एक ओर जहां पूरा देश सोमवार को जेएनयू के विवाद में उलझा हुआ था, तो वहीं ट्विटर पर आरएसएस के संबंध में एक और विवाद सामने आया। ये विवाद आरएसएस और ZOHO से जुड़ा है। ZOHO कॉर्प के संस्थापक और सीईओ श्रीधर वेम्बू और Accenture india के एमडी और मीडिया एवं टेक्नोलॉजी के कम्युनिकेशन्स हैड राम एस रामचन्द्रन 2 फरवरी को चेन्नई में रिसर्जेन्ट भारत के इवेंट में बतौर मुख्य अतिथि भाग लेने वाले हैं।
इस इवेंट को आरएसएस संचालित कर रहा है। श्रीधर और रामचंद्रन दोनों आईटी सैक्टर में जाने माने नाम है, इसलिए वामपंथी गुट का आगबबूला होना स्वाभाविक था, क्योंकि आरएसएस के साथ किसी भी तरह का संबंध रखना इनकी दृष्टि में किसी अक्षम्य अपराध से कम नहीं। कई लोग प्रोडक्ट को बॉयकॉट करने की बात करने लगे।
एक ट्विटर यूज़र, जो ‘यह लोग’ के नाम से ट्विटर हैंडल चलाता है, उसने ट्वीट कर कहा, “हैलो ऐक्सेंचर, आपका इंडिया एमडी कैसे उस संगठन की मीटिंग का हिस्सा बन रहा है, जो अल्पसंख्यकों को निशाने पर लेता है और देश के सबसे हिंसक घटनाओं का हिस्सा रहा है?”
Hello @Accenture, why is your India MD at a function of a religious extremist paramilitary group that seeks to target minorities and has been responsible for the most brutal acts of violence the country has seen? pic.twitter.com/Be0m16rZM9
— Yeh Log ! (@yehlog) January 6, 2020
अनिवार अरविंद नाम के एक अन्य यूजर ने ट्वीट कर कहा “जनता के लिए संदेश – ऐक्सेंचर के एमडी और ZOHO के सीईओ आरएसएस के एक चेन्नई इवैंट में चीफ गेस्ट बनने जा रहे हैं। समय आ गया है कि इन कंपनीज़ के प्रोडक्टस से मुंह मोड़ने का, ताकि फासीवादियों की ताकत न बढ़ने पाये”।
Public Advisory:@Accenture MD and @zoho CEO are chief guest at a RSS event to be held in Chennai.
It is time to avoid companies and their products supporting & strengthening Fascists. #CAA_NRCProtests pic.twitter.com/iGQiy1VMml
— 𝗔𝗻𝗶𝘃𝗮𝗿 𝗔𝗿𝗮𝘃𝗶𝗻𝗱 (@anivar) January 6, 2020
ऐसे ही एक ट्विटर यूज़र कन्नीयारी ने ट्वीट कर कहा, ‘तो अब Accenture एक ऐसे आतंकी संगठन का समर्थन कर रहे हैं जिसके सदस्य एमके गांधी की हत्या में नामजद हैं, बम फोड़ते हैं, नफरत फैलाते हैं, हिंसा में हिस्सा लेते हैं इत्यादि। आरएसएस एक फासीवादी संगठन है जिसके संस्थापक नाजीवाद से प्रेरित रहे हैं”।
https://twitter.com/kanniyarii/status/1214060857774075904?s=19
दरअसल, वामपंथियों को इस बात से चिढ़ मच रही है कि जिस आरएसएस को वे मिट्टी में मिलाने के लिए दिन रात प्रयासरत हैं, उसके इवेंट में आईटी सैक्टर के कुछ अहम लोग कैसे शिरकत कर सकते हैं। परंतु वे भूल जाते हैं कि आरएसएस सामाजिक न्याय के लिए प्रयासरत एक स्वयंसेवक संघ है, जिसमें 2014 तक 60 लाख सदस्य शामिल थे। यह संख्या अब तक करोड़ों में अवश्य पहुँच गयी होगी।
परंतु वामपंथियों के लाख चाहने पर भी दोनों आईटी हस्तियों ने न केवल समारोह में हिस्सा लेने की पुष्टि की, अपितु वामपंथियों को उनके बचकाने विरोध के लिए आड़े हाथों लिया। श्रीधर वेम्बू ने ट्विटर पर आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा, “मैं ट्विटर आधारित हमलों पर अपने विचार नहीं व्यक्त करता। अगर आपको मेरे इवेंट्स से चिढ़ है जिन्हें मैं अटेण्ड करता हूँ, तो आप अपनी ‘अंतरात्मा’ की सुने और मैं अपनी अंतरात्मा की सुनूंगा। हम अपने काम के कारण अपनी रोटी कमाते हैं, और हम अपना काम पूरी निष्ठा के साथ करते रहेंगे। मैं ऐसे हमलों के प्रति जवाबदेह नहीं”।
वैसे ऐसा पहली बार नहीं जब आरएसएस ने उद्योगपतियों और कॉर्पोरेट जगत के अव्वल खिलाड़ियों को आरएसएस ने अपने किसी इवेंट में आमंत्रित किया हो। आरएसएस ने हर प्रकार के विचारों के स्वागत हेतु एचसीएल के संस्थापक शिव नादर को विजयदशमी के आयोजन में आमंत्रित किया। रतन टाटा, अज़ीम प्रेमजी जैसे लोगों ने भी आरएसएस के आयोजनों में हिस्सा लिया है। यहाँ तक कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी आरएसएस के संस्थापना समारोह में हिस्सा लिया, और वामपंथियों के ‘विद्रोह’ को पूरी तरह अनदेखा किया।
जिस तरह से ZOHO कॉर्प के संस्थापक और सीईओ श्रीधर वेम्बू और राम एस रामचन्द्रन ऑनलाइन गुंडों की गुंडई के सामने छाती ठोक कर खड़े हुए हैं, वो अपने में काफी अनोखा और प्रशंसनीय है। बहुत से लोग तो पॉलिटिकल करेक्टनेस के नाम पर इनके सामने नतमस्तक हो जाते हैं, परंतु श्रीधर वेम्बू के ट्वीट्स ने समाज के ऐसे ठेकेदारों के मुंह पर करारा तमाचा जड़ा है, जो सोचते हैं कि वे किसी भी समय किसी को भी डरा धमका कर अपनी बात मनवा सकते हैं।