पिछले कुछ समय से मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी में मतभेद जारी है। कमलनाथ बनाम ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच जारी इस कोल्ड वॉर को कांग्रेस हाईकमान कम करने पर काम कर रही है। दरअसल, अब मध्य प्रदेश से प्रियंका गाँधी को राज्यसभा भेजने की खबरों के बीच कांग्रेस पार्टी अब ज्योतिरादित्य सिंधिया को शांत करने के लिए उन्हें राज्यसभा भेज सकती है।
अमर उजाला की एक रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा दोनों चाहते हैं कि मध्यप्रदेश के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया राज्यसभा के लिए चुनकर संसद भवन पहुंचे। सोनिया गाँधी भी इसके पक्ष में हैं।
बता दें कि 9 अप्रैल को राज्यसभा की तीन सीटें खाली होने वाली हैं जिनमें से दो सीटें कांग्रेस के पास जाएंगी, तो वहीं 1 सीट भाजपा के पास जाना तय है। कहा जा रहा था कि इस सीट से दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया की बजाय प्रियंका गाँधी वाड्रा को राज्यसभा भेजा जा सकता है।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस की सबसे बड़ी समस्या यह है कि यहाँ एक से ज़्यादा पॉवर सेंटर मौजूद हैं। कांग्रेस का एक खेमा ऐसा है जो ज्योतिरादित्य सिंधिया को फॉलो करता है, तो वहीं सीएम कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का अलग खेमा दिखाई देता है। यही कारण है कि पिछले कुछ महीनों से सिंधिया और कमलनाथ के बीच तल्खी बढ़ती दिखाई दे रही है। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह कांग्रेस के वफादार नेताओं में गिने जाते हैं जो हमेशा से ही गांधी परिवार की चाटुकारिता करते आये हैं। कांग्रेस ने हमेशा से ही अपने पुराने नेताओं को अधिक महत्व दिया है। वर्ष 2018 में राजस्थान और मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान हमें ये देखने को भी मिला था। जब कांग्रेस हाईकमान ने सिंधिया और पायलट की बजाय अशोक गहलोत और कमलनाथ को राज्यों की सत्ता सौंपी थी।
इसके बाद सिंधिया और कमलनाथ के बीच कई बार तनाव देखने को मिला है। हो भी क्यों न मध्य प्रदेश में सिंधिया ने पार्टी की जीत के लिए खूब मेहनत की थी परन्तु उन्हें मुख्यमंत्री बनने का अवसर नहीं मिला। तभी से ही कई बार सिंधिया के बागी तेवर देखने को मिले हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया कई बार खुलकर पार्टी के हाईकमान के खिलाफ भी बोल चुके हैं। कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के मुद्दे पर उन्होंने पार्टी के हाईकमान के खिलाफ जाकर बयान दिया था। हालांकि, कांग्रेस पार्टी भी खुलकर सिंधिया के खिलाफ एक्शन नहीं ले सकती है क्योंकि वे गुना में बेहद लोकप्रिय हैं, जहां से वे लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस पार्टी में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के लिए सिंधिया परिवार के वंशज को किनारे करने की कोशिशें दिखाई देने लगी थीं। स्पष्ट है राज्यसभा के लिए सिंधिया की बजाय प्रियंका वाड्रा के चुने जाने पर सिंधिया के समर्थक भी कोई आपत्ति भी नहीं जताते और इस तरह सिंधिया को किनारे की कांग्रेस पार्टी की योजना भी सफल हो जाती।
पर एक सच तो यह भी है कि सिंधिया को इस तरह से किनारे करना कांग्रेस पार्टी के लिए घातक साबित हो सकता था। कांग्रेस पार्टी को भी पता है कि यदि ज्योतिरादित्य सिंधिया कमलनाथ सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरेंगे, तो इसे संभाल पाना राज्य सरकार के लिए आसान नहीं होगा। परन्तु कांग्रेस के प्रति निष्ठा और राहुल गाँधी के साथ दोस्ती के कारण वो लक्ष्मण रेखा लांघने से बचते हैं। अब ऐसा लगता है कांग्रेस पार्टी फिलहाल कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। ग्वालियर-चंबल संभाग समेत मध्यप्रदेश के अनेक इलाकों में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया का खासा जनाधार है। यहाँ तक कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा भेजने की मांग पार्टी नेतृत्व से कर चुके हैं।
यही वजह है कि राज्य में और कांग्रेस पार्टी में सिंधिया की पकड़ को देखते हुए कांग्रेस हाईकमान उन्हें राज्यसभा भेजने पर विचार कर रही है जिससे राज्य में पार्टी के अंदर जारी मतभेद को नियंत्रित किया जा सके। स्पष्ट है सिंधिया की लोकप्रियता को देखते हुए गाँधी परिवार ने उनके समक्ष घुटने टेक दिए हैं।