दिल्ली के निज़ामुद्दीन क्षेत्र से 24 कोरोना पॉज़िटिव मरीजों के सामने आने और 350 से अधिक के अस्पताल में भर्ती होने के बाद देश में हड़कंप मचा हुआ है। कई सवाल खड़े हो रहे है। केंद्र सरकार से लेकर दिल्ली की केजरीवाल सरकार, पुलिस खुफिया विभाग से सवाल पूछे जा रहे हैं आखिर कहां चूक हुई?
दरअसल, राजधानी दिल्ली में धारा-144 लागू होने के बावजूद दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित तबलीगी जमात के सेंटर मरकज में 1600 से अधिक लोग एकत्रित हुए थे, अब इन्हीं में 24 को कोरोना पॉजिटिव पाया गया है और 300 से अधिक लोगों को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है।
यही नहीं इस कार्यक्रम में शामिल होकर वापस लौटे 10 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं जिसमें से 9 भारतीय और एक विदेशी नागरिक है। इसमें से 6 तो तेलंगाना के थे। जलसे से लौटे 60 वर्षीय व्यक्ति की बीते हफ्ते कश्मीर में मौत के बाद खतरे की घंटी बज गई थी।
अब यह भी खबर आ रही है कि उस दौरान 2000 नहीं 8000 लोग इस जलसे में शामिल हुए थे।
Over 8000 people from across India and countries like Indonesia, Malaysia, Kyrgyzstan, Bangladesh etc. attended the Tablegi Jamaat event in Nizamuddin. Govt sources say, all foreigners who attended this event will be blacklisted for violation of visa rules. 800 to be blacklisted.
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) March 31, 2020
ऐसी स्थिति में सवाल उठना भी लाज़मी है। अगर दिल्ली सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को देखें तो दिल्ली सरकार ने 13 मार्च को दिल्ली में खेल समारोहों पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन 13-15 मार्च के बीच 8000 लोगों के साथ निज़ामुद्दीन में जलसा कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसके बाद दिल्ली सरकार 16 मार्च को सभी सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, धार्मिक और शैक्षणिक कार्यक्रमों को प्रतिबंधित करती है। लेकिन यही सरकार सीधे 29 मार्च को जागती है जब निजामुद्दीन से कोरोना के मरीज पूरे देश में फैल जाते हैं।
अमर उजाला की एक रिपोर्ट कहती है कि निजामुद्दीन इलाके में थाने के पीछे स्थित मरकज में बड़ी संख्या में लोगों के एकत्रित होने की सूचना दिल्ली पुलिस को करीब एक सप्ताह पूर्व 23 मार्च को ही मिल गई थी। इसके बाद पुलिस ने आयोजकों से कहा कि लोगों के बीच दूरी बनाकर रखी जाए। पुलिस ने आयोजकों को थाने में बुलाकर उन्हें समझाया और नोटिस भी दिया। इसके बाद 27 मार्च को डब्ल्यूएचओ की टीम पुलिस को लेकर मरकज गई थी, लेकिन काफी देर मान-मनौवल के बाद दरवाजा खोला गया।
इस दौरान वहां जांच में सैकड़ों कोरोना संदिग्ध पाए गए. 204 लोगों को अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती करवाया गया, जिनमें से 6 लोगों में रविवार को संक्रमण में पुष्टि हुई। इसके बाद 28 मार्च को एसीपी लाजपतनगर ने आयोजकों को फिर से नोटिस भेजा।
रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि दिल्ली सरकार को भी जानकारी दी गई थी। इसके बावजूद दिल्ली सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
दक्षिण-पूर्व जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी का दावा है कि यह सूचना पहले ही दिल्ली सरकार और एसडीएम को दे दी गई थी। बताया जा रहा है कि संबंधित एजेंसियों की टीमों ने मौका मुआयना भी किया और डॉक्टरों की टीम भी भेजी गई थीं, परंतु सब खानापूर्ति की गई थी।
एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जब यहां के लोगों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि ये लोगों को धर्म से अलग करने की साजिश है। कोरोना कुछ भी नहीं है।
3) 12th March Delhi govt: Epidemic Act invoked
4) 13th March Delhi govt: All 200+ gatherings banned
5) 16th March: Gathering size reduced to below 50
6) 19th March Delhi govt: All educational institutions closed till 31st March#NizamuddinMarkaz #TablighiJamat2/3 pic.twitter.com/FNq4AZYb60
— Akhilesh Mishra (मोदी का परिवार) (@amishra77) March 31, 2020
केंद्र सरकार के कदम
अब केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय ने यहां हुए कार्यक्रम को लेकर जानकारी खंगालनी शुरू कर दी है। मरकज में मौजूद रहे करीब 800 लोग इंडोनेशिया से थे, जिन पर अब एक्शन लिया जाएगा। तबलीगी जमात में शामिल हुए जो 800 लोग इंडोनेशिया से भारत आए थे, उन्हें ब्लैक लिस्ट किया जा सकता है। क्योंकि ये सभी लोग टूरिस्ट वीज़ा पर भारत आए थे और इनके द्वारा अथॉरिटी को किसी जमात में शामिल होने की जानकारी नहीं दी गई थी। ऐसे में इस वीज़ा नियमों का उल्लंघन माना गया है।
Home Ministry has found violation of visa rules by foreigners who attended Tablighi Jamaat event in Nizamuddin, Delhi: Government sources pic.twitter.com/CAb29qewt4
— ANI (@ANI) March 31, 2020
अब यहाँ यह सवाल उठता है कि आखिर तब्लीगी सम्मेलन में विदेशी टूरिस्ट वीजा के साथ कैसे शामिल हो गए? यह भी ध्यान देने वाली बात है कि दिल्ली में कुछ ही दिन पूर्व हिंदू-मुस्लिम दंगे हुए थे और फिर उन दंगों के बाद तबलिगी जैसा एक कट्टरपंथी संगठन एक जलसा आयोजित करता है जिसमें विदेशी मजहबी आका बनकर आते हैं और शामिल होते हैं। किसने इन सभी विदेशियों को ‘सम्मेलन’ के लिए यहाँ आने का वीजा दिया? आखिर खुफिया एजेंसी क्या कर रही थीं?
किसी भी प्रकार का अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने के के लिए, 3 जगह से मंजूरी लेनी पड़ती है, पुलिस, गृह मंत्रालय (आईबी) और विदेश मंत्रालय। और दिल्ली में हिंदू विरोधी दंगों के बाद अगर किसी कट्टरपंथी समूह द्वारा इस स्तर का आयोजन कराया जाता है तो यह विफलता की ओर इशारा करता है।
एक भवन में 1000 से अधिक लोग जमा हो जाते हैं और पुलिस ने नींद से जागना भी उचित नहीं समझा ? आखिर उस क्षेत्र के क्षेत्र के डीएम क्या कर रहे थे? विधायक और एमपी का क्या कोई कर्तव्य नहीं था?
अब इस सम्मेलन में 1830 लोगों के होने की खबर आ रही है जो अन्य राज्यों में भी जा चुके हैं। इन सभी का पता लगाना मुश्किल है और यह सोचने वाली बात है कि यह सभी कोरोना वायरस लेकर घूम रहे थे और न जाने कितने लोगों को संक्रमित कर चुके होंगे।
ऐसे में अब पुलिस-प्रशासन इनकी तलाश में जुटी है, ताकि लोगों को क्वारनटीन किया जा सके। अंडमान निकोबार द्वीप समूह पर भी कोरोना के 10 मामले हो चुके हैं और यह सभी इसी जलसे में शामिल होने गए थे जिनका अब इलाज चल रहा है।
https://twitter.com/shubh19822/status/1244880836140232706?s=20
दिल्ली में अब तबलीगी जमात ने कोरोना का बम गिरा दिया है और यह संक्रमण देश के 4 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों तक फैल चुका है। सरकार ने जल्द से जल्द सभी को ट्रेस कर qurantaine नहीं किया तो ये सभी मिलकर भारत में कोरोना को कम्यूनिटी transmission स्टेज में पहुंचा देंगे। इसके साथ ही इस मामले में हुई गड़बड़ियों को उजागर कर सभी की जवाबदेही तय करनी होगी।