हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सांसदों को संबोधित करते हुए कहा कि कैसे उन्हें देश में शांति और सौहार्द स्थापित करने के लिए काफी परिश्रम करना होगा। उन्होंने कहा कि विकास के लिए देश में शांति, एकता और सद्भाव जरूरी है। यह सिर्फ कहने के लिए नहीं है, बल्कि सभी को इसके लिए प्रयास करने होंगे।
मोदी ने भारत माता की जय और वंदे मातरम को लेकर राजनीति करने वालों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कुछ नेताओं को भारत माता की जय और वंदे मातरम बोलने में शर्म आती है। ये लोग ‘देश के टुकड़े–टुकड़े’ नारा लगाते हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ मजबूती से खड़े होने की जरूरत है। यहां पीएम मोदी का इशारा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के विवादास्पद बयान की ओर था, जब उन्होंने कहा था, “आजकल राष्ट्रवाद और भारत माता की जय का उपयोग कर भारत में आतंकवाद जैसी भावना को बढ़ावा देने के लिए हो रहा है”।
Parliamentary Affairs Minister, Pralhad Joshi: Prime Minister Modi said that for development, there must be peace, unity and harmony. He also said that even today there are some parties that keep party interest above national interest. https://t.co/cqxsG1Z1d1 pic.twitter.com/lgPvAecRBa
— ANI (@ANI) March 3, 2020
इस दौरान पीएम मोदी ने अपने सांसदों की सक्रियता पर भी सवाल किया। उनका इशारा पूर्वोत्तर दिल्ली के दो सांसदों मनोज तिवारी और गौतम गंभीर की ओर था।
दरअसल, पूर्वोत्तर दिल्ली में 24 और 25 फरवरी को भीषण हिंसा हुई, जिसमें अब तक 46 लोगों की मौत हो चुकी है, परंतु न मनोज तिवारी और न ही गौतम गंभीर स्थिति को संभालने की कोई भी पहल करते दिखे।
दिल्ली क्षेत्र में 7 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें सभी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के सांसद उपस्थित हैं। लेकिन अगर प्रवेश साहिब सिंह वर्मा और कुछ हद तक स्वास्थ्य मंत्री डॉ॰ हर्ष वर्धन को छोड़ दिया जाये, तो ग्राउंड लेवल पर अभी तक कोई भी भाजपा सांसद नहीं दिखाई दिया है। मनोज तिवारी ने अपनी सफाई में कहा, “मैं पुलिस के संपर्क में था”।
परंतु यहां पर इन्होंने दिल्ली पुलिस पर पूरे हिंसा का ठीकरा फोड़ते हुए कहा, “मैं नहीं जानता कि क्या कहूं। इतने लोगों की मृत्यु हमारे लिए काफी दुख का विषय है। यदि पुलिस सतर्क होती तो कितनी जानें बच जाती। कितने लोगों की जानें बच जाती”।
उधर, गौतम गंभीर ने सोशल मीडिया पर शांति की अपील की, परंतु वे पीड़ित परिवारों से मिलने एक बार भी नहीं पहुंचे। यही नहीं, मनोज तिवारी और गौतम गंभीर ने जवाबदेही से बचने के लिए दंगों का ठीकरा वामपंथियों के ऊपर फोड़ने का प्रयास किया। गौतम गंभीर ने कपिल मिश्रा के संबंध में कहा, “कोई भी व्यक्ति, चाहे वो कपिल मिश्रा हो या कोई और, यदि वे भड़काऊ भाषण देने का दोषी पाया जाता है, तो उसे तुरंत गिरफ्तार करें”।
उधर, मनोज तिवारी भी दिल्ली भाजपा पर बोझ बनते दिखाई दे रहे हैं। उनके नेतृत्व में भाजपा को दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है। पूर्वाञ्चल के निवासियों को अपनी तरफ लुभाने के उद्देश्य से भाजपा ने 2016 में उन्हें दिल्ली भाजपा अध्यक्ष बना दिया था।
परंतु मनोज तिवारी दिल्ली की राजनीति में पूरी तरह हार गए। 2009 में इन्होंने ही भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ के खिलाफ गोरखपुर से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था, और वे बुरी तरह से ये चुनाव हारे थे। ऐसे में इस बात में कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि मनोज तिवारी भाजपा में केवल अपने निजी हित साधने के लिए आए हैं।
पीएम मोदी ने सांसदों को अपने क्षेत्रों में सक्रिय रहने का जो संदेश दिया था, वो इसलिए भी अहम बन जाता है, क्योंकि ये मनोज तिवारी और गौतम गंभीर जैसे निष्क्रिय सांसदों के लिए चेतावनी भी है, कि यदि वे नहीं चेते, तो भाजपा, और विशेष रूप से केंद्र सरकार उनके खिलाफ एक्शन लेने से भी नहीं हिचकिचाएगी।