देश में मौत के आंकड़ों को छुपाने को लेकर चीन अब दुनिया के सामने एक्सपोज होता जा रहा है। सभी देश उसपर दबाव बना रहे हैं और शायद यही कारण है कि चीन ने पहली बार यह मान लिया है कि वुहान वायरस से उसके देश में सिर्फ 3000 मौतें नहीं हुई। दरअसल, कल एक बेहद हैरानी भरे फैसले में चीन ने अपने यहां कोरोना से मरने वाले लोगों के आंकड़े को 50 प्रतिशत तक बढ़ा दिया।
अब नए आंकड़ों के अनुसार चीन में कोरोना से मरने वाले लोगों की संख्या 4362 हो गई है। अब जब पूरी दुनिया में WHO और चीन की जांच करने की बात उठाई जा रही है, तो इस बात के अनुमान बेहद ज़्यादा हैं कि चीन ने अपने ऊपर से दबाव हटाने के लिए ही यह कदम उठाया होगा, लेकिन इस कदम से चीन ने अपने आप को फिर से एक्सपोज कर लिया है।
आंकड़े छिपाने के आरोप तो चीन पर शुरू से ही लगते रहे हैं, लेकिन अब तक चीन इस बात को नकारता आया था कि वुहान में आधिकारिक आंकड़ों से ज़्यादा लोग मरे हैं। चीन के इस झूठ का पर्दाफाश तब हो गया था जब वुहान शहर के शमशान घाट खुले थे और वहां लोगों की बेहद लंबी लाइनें लगी नज़र आई थी।
फ्रांस में चीन के राजदूत से जब ये सवाल पूछा गया था कि आखिर शमशान घाटों के बाहर इतने लोग कहां से आए, तो उस राजदूत ने जवाब दिया था “वुहान में 2 महीनों का लॉकडाउन था, वहाँ इसी बीच अन्य कारणों से 10 हज़ार लोगों की मौत हो गयी”। अब ये 10 हज़ार लोग किन कारणों से मरे होंगे, इसका जवाब आपको चीन ही दे सकता है।
इसके अलावा चीन से ऐसी भी खबरें आती रहती हैं कि चीन कोरोना से मरने वाले लोगों को cured यानि ठीक हुए रोगियों की श्रेणी में गिनता है। उदाहरण के तौर पर South China Morning Post की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन में एक 36 वर्षीय शख्स ली लियांग को कोरोना पॉज़िटिव पाया गया तो उसे डॉक्टरों ने अस्पताल में भर्ती किया, कुछ दिनों बाद उसे Cured कहकर अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी, लेकिन अस्पताल से छुट्टी के 5 दिन बाद ही उसकी मौत हो गयी, क्योंकि उसके फेफड़े सही से ठीक हुए ही नहीं थे।
आंकड़ों में आज भी वह शख्स Cured की श्रेणी में ही पंजीकृत है लेकिन असल में वह कब का मारा जा चुका है। ये खबरें इस बात को और भी ज़्यादा प्रमाणित करती हैं कि चीन के इन आंकड़ों पर विश्वास नहीं किया जा सकता। इसी कारणवश दुनियाभर के नेता अब चीन के इन आंकड़ों पर सवाल उठाने लगे हैं। पिछले दिनों UK की बोरिस जॉनसन सरकार ने यह दावा किया था कि चीन में वुहान वायरस से मरने वाले लोगों का आंकड़ा आधिकारिक आंकड़ों से 40 गुणा ज़्यादा हो सकता है।
इसी प्रकार अमेरिका में भी चीन के खिलाफ कांग्रेस द्वारा जांच करने की मांग को उठाया जा रहा है। अमेरिका WHO की फंडिंग को पहले ही रोक चुका है। ऐसे में चीन पर दबाव बढ़ता ही जा रहा है, और शायद तभी उसने अपने मौत के आंकड़ों को 50 प्रतिशत बढ़ाने का फैसला लिया है।
चीन को डर है कि कहीं अमेरिका उस पर बेहद कड़े प्रतिबंध ना लगा दे, चीन को डर है कि कहीं जापान की ही तर्ज पर कोरिया और अमेरिका भी अपनी कंपनियों को चीन से बाहर न निकाल ले, शायद चीन इसी लिए अपने आंकड़ों को पारदर्शी दिखाने की कोशिश में इन्हें बढ़ाने में लगा है लेकिन अब शायद बहुत देर हो चुकी है और चीन को बेहद बुरे अंजाम भुगतने के लिए तैयार हो जाना चाहिए।