निज़ामुद्दीन मरकज़ में तबलीगी जमात के कार्यक्रम का तो आपसब को पता ही चल गया होगा, जिसकी वजह से ना सिर्फ कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, बल्कि कई हज़ार लोगों की जान पर भी खतरा मंडराने लगा है। यह संकट और भी ज़्यादा बड़ा हो सकता था क्योंकि शुरू में निज़ामुद्दीन मरकज़ के अध्यक्ष मौलाना साद ने पुलिस और अधिकारियों के साथ किसी भी तरह का सहयोग करने से मना कर दिया था। पुलिस ने मरकज़ में मौजूद सभी लोगों से कोरोना के लिए टेस्ट कराने और अपने आप को क्वॉरेंटाइन करने के लिए कहा था, जिसे मौलानाओं ने मानने से मना कर दिया था, बाद में अमित शाह ने इस काम के लिए अजीत डोभाल को चुना।
ज़िम्मेदारी के मिलते ही तुरंत अजीत डोभाल अपने इस मिशन पर निकल लिये और वे 28-29 मार्च की रात 2 बजे ही मरकज़ पहुंच गए। वहां उन्होंने मौलानाओं से बातचीत की और उन्हें टेस्ट कराने के साथ ही क्वॉरेंटाइन के लिए भी मनाया। सोचिए अगर ये सभी मौलाना सरकार का कहा नहीं मानते और ऐसी ही क़ानूनों की धज्जियां उड़ाते रहते तो पूरी दिल्ली को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते थे।
बाद में 28,29 और 30 मार्च को मरकज़ की ओर से 167 तबलीगी कार्यकार्याओं को अस्पताल में शामिल होने के लिए अनुमति दी गयी थी। ये सब अजीत डोभाल के दखल देने के बाद ही संभव हो पाया था।
अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि गृह मंत्री अमित शाह ने इस काम के लिए अजीत डोभाल को ही क्यों चुना। दरअसल, राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों के लिए डोभाल इन मुस्लिम संगठनों के साथ बार-बार बातचीत करते रहते हैं, और इस प्रकार डोभाल और इन संगठनों के बीच एक अच्छी समझ विकसित हो चुकी है। यही कारण है कि जब डोभाल इनके पास पहुंचे तो ये तुरंत उनकी बात मानने के लिए राज़ी हो गए।
बता दें कि राजधानी दिल्ली में धारा-144 लागू होने के बावजूद दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित तब्लीगी जमात के सेंटर मरकज में लगभग 8 हज़ार से अधिक लोग एकत्रित हुए थे, अब इन्हीं में से 24 को कोरोना पॉजिटिव पाया गया है और 300 से अधिक लोगों को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। चिंता की बात तो यह है कि इस सम्मेलन में भाग लेने वाले कई मुस्लिम देश के अलग-अलग राज्यों में फैल चुके हैं और इससे देश के कई राज्यों में संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है।
अमर उजाला की एक रिपोर्ट के अनुसार, निजामुद्दीन इलाके में थाने के पीछे स्थित मरकज में बड़ी संख्या में लोगों के एकत्रित होने की सूचना दिल्ली पुलिस को करीब एक सप्ताह पूर्व 23 मार्च को ही मिल गई थी। इसके बाद पुलिस ने आयोजकों से कहा कि लोगों के बीच दूरी बनाकर रखी जाए। पुलिस ने आयोजकों को थाने में बुलाकर उन्हें समझाया और नोटिस भी दिया। इसके बाद 27 मार्च को डब्ल्यूएचओ की टीम पुलिस को लेकर मरकज गई थी, लेकिन काफी देर मान-मनौवल के बाद दरवाजा खोला गया। अब इसमें अजीत डोभाल की भूमिका सामने आई है। अजीत डोभाल इस तरह दिल्ली के संकटमोचक बनकर उभरे। इससे पहले CAA के प्रदर्शनों के दौरान भी वे इस तरह अपनी भूमिका अदा कर चुके हैं, तब उन्होंने दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर हरियाणा की ओर से आने वाली बड़ी भीड़ को रोकने का काम किया था। ऐसा ही कुछ उन्होंने अब कोरोना के समय पर भी किया है, जो बहुत सराहनीय है।





























