तबलीगी जमात के कारण कोरोना पॉज़िटिव मामलों में आए अप्रत्याशित उछाल से भी लोग नहीं सीख रहे हैं और धार्मिक कार्य के लिए चर्च तथा मस्जिद में लगातार जमा हो रहे हैं। इसी तरह से एक चर्च में पाल्म सन्डे के लिए जमा हुई भीड़ पर कार्रवाई करते हुए आंध्र प्रदेश की पुलिस ने पादरी को हिरासत में लिया। बता दें कि आने वाले 10 अप्रैल को गुड फ्राइडे और 12 अप्रैल को ईस्टर पर चर्च में सामूहिक आयोजन भीड़ जमा हो सकती है। अगर इसे काबू नहीं किया गया और बैन नहीं किया गया तो देश में यह दूसरा तबलीगी बन सकता है जिसमें शामिल होने वालों ने पूरे देश में कोरोना का कहर ढाह दिया है।
A pastor arrested in Rayavaram, East Godavari district, #AndhraPradesh. Ignoring lockdown, he was holding a prayer meeting with about 150 ppl. Locals alerted the police. #COVIDIOTS #Covid_19 pic.twitter.com/VIvwS3m7pt
— Revathi (@revathitweets) April 5, 2020
दरअसल, आंध्र प्रदेश की पुलिस ने रयावरम गाँव के एक चर्च में छापा मारा गया जहां लॉकडाउन के बावजूद 150 से अधिक लोग प्रार्थना करने के लिए जमा थे। यह प्रार्थना ईसाइयों के पवित्र सप्ताह की शुरुआत होने के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था। मीडिया की खबरों के अनुसार, छापेमारी करने वाली पुलिस ने बताया कि किसी भी व्यक्ति ने मास्क नहीं पहन रखा था और वे कथित तौर पर एक ही बर्तन से पानी पी रहे थे। परिसर का दौरा करने के बाद, पुलिस ने लोगों को घर भेज दिया और पादरी को हिरासत में ले लिया है।
वहीं शनिवार को भी पश्चिम गोदावरी जिले के Light-Life Ministries Church में 48 पादरियों ने बैठक की थी। इनके खिलाफ भी मामला दर्ज कर लिया गया था।
बता दें कि रविवार को आंध्र प्रदेश में कोरोना के 26 नए मामले दर्ज किए गए, जिसमें राज्य की COVID-19 मामलों की संख्या 252 हो गई। इनमें से अधिकतर मामले दिल्ली के मरकज़ में शामिल हुए तबलीगी के ही हैं।
जिस तरह से चर्चों में गुड फ्राइडे को देखते हुए भीड़ बढ़ रही है, उसे अगर काबू में नहीं किया गया तो यह भी तबलीगी जैसे ही देश भर में कोरोना फैला देंगे। दुनिया में कोरोना वायरस को फैलाने कि पीछे धार्मिक गतिविधियां सबसे बड़ा कारण बनती जा रही हैं। ऐसा देखने में आया है कि दक्षिण कोरिया और मलेशिया जैसे देशों में धार्मिक स्थलों और कार्यक्रमों ने ही कोरोनावायरस को फैलाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई है। फ्रांस में भी यही देखने को मिला जब म्यूलहाउस स्थित एक चर्च में फरवरी महीने में एक धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ था, जहां शक है कि किसी कोरोना संक्रमित मरीज ने आकर कई लोगों को संक्रमित किया होगा।
https://twitter.com/by2kaafi/status/1244560155141787649
18 फरवरी को उस चर्च में सामूहिक प्रार्थना हुई थी जिसमें दुनिया भर के हजारों लोग शामिल हुए थे। इसके बाद वे लोग दुनिया के अलग-अलग हिस्से में वापस चले गए और कोरोना वायरस टाइम बम बनकर अब अलग-अलग जगह कहर बरपा रहा है। अब तक करीब 2500 ऐसे संक्रमित मरीज सामने आ चुका हैं जिन्होंने उस दिन इस चर्च के कार्यक्रम में हिस्सा लिया था।
इसी तरह मलेशिया का पेंतालिंग मस्जिद दुनिया के कई देशों में कोरोना फैलाने के लिए जिम्मेदार बना था। 27 फरवरी से लेकर 1 मार्च के बीच यहां एक बड़ा धार्मिक कार्यक्रम हुआ था जिसमें लगभग 16 हज़ार लोगों ने हिस्सा लिया था। इनमें 1500 विदेशी नागरिक थे और उन सबका दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों से संबंध था। अब इस मस्जिद से जाने वाले लोगों को संक्रमित पाया गया है और इसे वायरस फैलाने का सबसे बड़ा दोषी माना जा रहा है।
भारत में तो इस जमात ने आतंक ही मचा रखा है और देश के कोरोना पॉज़िटिव मामलों में से 30 प्रतिशत इसी तबलीगी जमात के निज़ामुद्दीन स्थित मरकज़ में शामिल हुए लोगों द्वारा फैलाया गया है। इन उदाहरणों से स्पष्ट हो गया है कि दुनिया भर में धार्मिक गतिविधियां ही कोरोना को फैलाने का सबसे बड़ा कारण बनकर उभर रही हैं। दक्षिण कोरिया से लेकर, ईरान और फिर फ्रांस तक, सब जगह धार्मिक कार्यक्रमों ने ही कोरोना को सबसे ज़्यादा फैलाया फिर चाहे उनका संबंध किसी भी धर्म से क्यों ना हो। कोरोना के समय हर देश को ऐसी धार्मिक गतिविधियों पर पाबंदी लगाने की सख्त ज़रूरत है।
अगर ज़रूरत हो, तो ये हिंदुओं से भी सीख ले सकते हैं, जहां लोग अब पवित्र त्योहार नवरात्रि को छोड़कर social distancing को अपना रहे थे। यह समझना आवश्यक है कि अगर जान बचेगी, तभी तो धर्म बचेगा। सरकार को ऐसे कार्यक्रमों पर नजर रखते हुए तुरंत एक्शन लेना होगा नहीं तो ये भी गुड फ्राइडे के चक्कर में कोरोना बम फोड़ सकते हैं।