वुहान वायरस की महामारी के समय भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) निस्सवार्थ भाव से सेवा हेतु मोर्चा संभाले हुए है। आरएसएस से संबंधित एक ट्रस्ट भारती सेवा संगम चेन्नई में ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन के साथ मिलकर काम कर रही है, ताकि लॉक डाउन के समय आवश्यक सुविधाएं अविलंब पहुंचाई जा सकें।
बीएसएस ने वरिष्ठ नागरिकों की सुविधा हेतु एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया है और कई जगह आवश्यक सुविधाएं प्रदान कर भी रहा है। परन्तु यदि आरएसएस जनकल्याण का कार्य करे और वामपंथियों के नथुने ना फड़कें, ऐसा हो सकता है क्या?
अपने आप को द्रविड़ समर्थक बताने वाले वामपंथी अब ट्विटर पर चेन्नई कॉर्प रिमूव आरएसएस से ट्विटर ट्रेंड चलाने में लग गए। बिना किसी ठोस प्रमाण के यह लोग केवल आरएसएस के विरुद्ध अपनी कुंठा जगजाहिर कर रहे हैं। इसी को कहते हैं, खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे।
मोरल पुलिसिंग के आरोप से लेकर महात्मा गांधी के हत्यारों के झूठे आरोपों तक, इन वामपंथियों ने एक बार फिर वही घिसे-पिटे आरोप दोहराए। इससे स्पष्ट होता है कि कैसे आरएसएस के परमार्थ ने इन निकृष्ट लोगों के मन मस्तिष्क में ईर्ष्या का विष घोल दिया है। ट्वीट तो बस बहाना है, आरएसएस से अपनी कुंठा जो सबको दिखाना है.
We don't want RSS to do such moral policing in Tamilnadu.
dont give them access to our homes
#ChennaiCorpRemoveRSS pic.twitter.com/KnsdwpjQAC— Erode Lukman Hakkim (@sdpilukman) April 14, 2020
https://twitter.com/ramasamyJP/status/1250221399920140289
https://twitter.com/cheirosum/status/1250131102921945088
@cheirosum नाम से ट्विटर अकाउंट चलाने वाले एक यूज़र तो RSS के नाम पर आर्य आक्रमण सिद्धांत को ही दोहराने लगे और साथ ही में RSS को प्रतिबंधित करने की मांग करने लगे। इन ट्वीट्स से आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि इन वामपंथियों में RSS के लिए कितनी घृणा और कुंठा भारी हुई है।
ये वही लोग है, जिन्हें उस समय सांप सूंघ जाता है जब तब्लीगी जमात के उत्पात के कारण तमिलनाडु में त्राहिमाम मच जाता है। तमिलनाडु के कुल मामलों में अस्सी प्रतिशत से अधिक मामले केवल तब्लीगी जमात की देन है। कहा जा रहा है कि दिल्ली में आयोजित तब्लीगी जमात के विशाल समारोह में केवल तमिलनाडु से 1500 लोग शामिल हुए थे.
आज जो लोग RSS के विरुद्ध विष उगल रहे हैं, वह इन्हीं जमातियों के सामने मिमिया रहे थे। विरोध करते भी कैसे? RSS के विरुद्ध बोलने पर किसी की जान तो नहीं जाती, पर तब्लीगी जमात के विरुद्ध आवाज उठाने पर मृत्यु तो अवश्य होती है, जैसे प्रयागराज में एक व्यक्ति के साथ हुआ था.
RSS के विरुद्ध आवाज उठाने पर तब्लीगी जमात वाला हिसाब नहीं होता, इसलिए इन द्रविड़ समर्थकों में इतनी हिमाकत है कि वे चेन्नई की निस्वार्थ भाव से सेवा कर रहे RSS स्वयंसेवकों के साथ भेदभाव करे। पर जब तब्लीगी जमात के सदस्य राज्य में उत्पात मचाते हैं, तो ये लोग मौन व्रत धारण कर लेते हैं।
RSS प्रारंभ से ही देशभर में किसी भी संकट के समय राहत पहुंचाने में सबसे आगे रही है, चाहे वो केरल या जम्मू-कश्मीर का बाढ़ हो, उत्तराखंड की त्रासदी हो, RSS ने बिना किसी भेद-भाव के अपने नागरिकों की सेवा की है।
पूर्वोत्तर से गुजरात एक, और कश्मीर से तमिलनाडु तक, सब जगह RSS के परमार्थ का डंका बजा है। RSS के परमार्थ से सब इतने प्रभावित हैं कि जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश से एक मुस्लिम महिला ने हज के लिए बचाए 5 लाख रुपए RSS से संबंधित सेवा भारती संगठन को दान कर दिए। RSS और तब्लीगी जमात में धरती आसमान का अंतर है। एक के लिए मानवता और राष्ट्रहित सर्वोपरि है, तो दूसरे के लिए केवल उसकी कुत्सित विचारधारा, मजहबी एजेंडा और जिहाद.