कोरोना ने विश्व में ऐसी तबाही मचाई है जिससे उबरने में वर्षों लग जाएंगे लेकिन अब धीरे-धीरे रोज़मर्रा की जिंदगी कुछ बदलाव के साथ लौटने लगी है। भारत चुनावों का देश है और यहाँ किसी न किसी प्रकार के चुनाव का सिलसिला लगा रहता है। इस वर्ष भी बिहार विधान सभा का चुनाव और फिर अगले ही वर्ष पश्चिम बंगाल का चुनाव है, राजनीतिक पार्टियां कोरोना के बावजूद चुनाव की तैयारियों में लग चुकी हैं।
कोरोना इन चुनावों में एक बेहद अहम और निर्णायक मुद्दा रहने वाला है। इस मुद्दे के परिपेक्ष्य में अगर देखा जाए तो बिहार और पश्चिम बंगाल दोनों की सत्ताधारी पार्टियों का सुपड़ा साफ होने वाला है। कारण कोरोना के समय में नीतीश कुमार और ममता बनर्जी का बेहद खराब प्रदर्शन।
हाल ही में टाइम्स नाउ और ORMAX Media के सर्वे में एक तरफ पीएम मोदी की लोकप्रियता आसमान पर पहुंचती नजर आई तो वहीं पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की लोकप्रियता गर्त में जाती दिखाई दी।
In case you missed Friday’s episode of @thenewshour with Navika Kumar: A recap of TIMES NOW-ORMAX Media Survey.
PM @NarendraModi’s popularity soared to 7.9% in May '20 during COVID crisis,a significant spike compared to what it was in 2019 LS polls (April).#ModiApprovalRating pic.twitter.com/SBSw7mos0I
— TIMES NOW (@TimesNow) May 9, 2020
सर्वे के अनुसार कोलकाता के सिर्फ 6 प्रतिशत लोगों ने ममता बनर्जी का कोरोना के खिलाफ लड़ाई को अप्रूव किया। यहाँ ध्यान देने वाली बात है कि ममता बनर्जी ने न सिर्फ कोरोना के मामलों को छुपाया बल्कि लगातार केंद्र सरकार के सभी फैसलों पर विरोध जताती रहीं।
वीडियो कॉन्फ्रेसिंग में भी ममता पीएम मोदी के साथ आरोप-प्रत्यारोप खेल रही थीं
जब सोमवार को पीएम मोदी सभी मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में लॉकडाउन 4.0 पर अपने सुझाव दे रहे थे तब ममता बनर्जी आरोप-प्रत्यारोप का खेल खेल रही थीं। जिस तरह से ममता की लोकप्रियता माइनस में जा रही है उससे अगले वर्ष के शुरू में होने वाले चुनाव से उनका हराना तय है। BJP ने पिछले वर्ष के आम चुनावों में भी पश्चिम बंगाल में बेहतरीन प्रदर्शन किया था और 18 सीटों के साथ लगभग एक तिहाई वोट अपने पक्ष में किया था।
डॉक्टरों के साथ चीनी जुल्म
ममता बनर्जी ने पूरे पश्चिम बंगाल में कोरोना फैलाने के लिए स्पष्ट रूप से जिम्मेदार है क्योंकि जब जब केंद्र सरकार ने राज्यों से इस महामारी के बारे में जानकारी मांगी तब तब ममता बनर्जी ने जानकारी छिपाया। शी जिनपिंग की तरह ही ममता बनर्जी सरकार ने एक डॉक्टर को परेशान किया, जिसने खराब पीपीई की कमी के बारे बताने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया था।
हृदयघात से मरे एक व्यक्ति को PPE के साथ दफनाया जाना हो या कोरोना से मरने वालों की संख्या निर्धारित करने वाली कमिटी का गठन करना हो या फिर the Inter-Ministerial Central Team (IMCT) को राज्य में घूमने से रोकना हो, ममता बनर्जी ने कोरोना वायरस को छिपाने का हरसंभव प्रयास किया। कोरोना काल में राज्य सरकारें क्या-क्या फैसलें ले रही हैं, ये सब चुनाव में जनता याद रखेगी, और पश्चिम बंगाल की जनता इसे भली-भांति समझती है.
बिहार में नीतीश कुमार कोरोना से हार रहे हैं
यही हाल बिहार का भी है। कोरोना के मामले में राज्य के सीएम नीतीश कुमार की ढीली ढाली प्रतिक्रिया देखने को मिली। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार ने प्रारंभ में, बेहद ही धीमी गति से कोरोना के लक्षण वाले व्यक्तियों से नमूने एकत्रित करना शुरू किए और टेस्ट रिजल्ट आने में भी देरी हुई।
नीतीश का तबलीगियों पर नरम रवैया
इसके बाद यह खबर सामने आई कि 14-15 मार्च को 640 तबलिगी बिहार के नालंदा मरकज कर रहे थे। नीतीश ने न सिर्फ ढीली ढाली प्रतिक्रिया दी है बल्कि दूसरे राज्य में फंसे अपने राज्य के श्रमिकों और छात्रों को भी छोड़ दिया और उनकी सुध नहीं ली. एक तरफ जहां योगी आदित्यनाथ जैसे मुख्यमंत्री न सिर्फ छात्रों बल्कि श्रमिकों को भी अपने राज्य में बुलाने के सभी प्रबंध किए बल्कि बस भी भेजा वहीं दूसरी ओर नीतीश कुमार अपनी पर अड़े रहे।
बिहार में अब सत्ता परिवर्तन की मांग
हमने बार-बार यही कहा है कि बिहार में BJP को JDU का साथ छोड़ देना चाहिए और यह न सिर्फ BJP के लिए भला होगा बल्कि राज्य के लोगों पर एहसान भी होगा। बिहारवासियों को अब सत्ता में बदलाव की आवश्यकता है। बगल के ही राज्य उत्तर प्रदेश में कई विकास कार्य हो रहे हैं लेकिन बिहार अभी भी उसी पिछड़ेपन में जी रहा है। जब तक नीतीश कुमार सत्ता में रहेंगे, बिहार भी इसी अवस्था में रहेगा।
कोरोना के दौरान नीतीश की अक्षमता एक बार फिर से सामने आ चुकी है और बिहार के लोगों को भी सोचना होगा कि आखिर कब तक वे दूसरे राज्यों में जा कर कमाते रहेंगे? क्यों न नौकरी को ही बिहार बुलाया जाए और यह तभी होगा जब समाजवादी विचारधारा रखने वाले नीतीश कुमार जैसे नताओं को सत्ता के शीर्ष से हटाया जाएगा।
इस बार के चुनाव में बिहार के लोगों के पास एक शानदार मौका है जिससे वे नीतीश कुमार को सत्ता से बेदखल कर सकते हैं। कोरोना ने न सिर्फ लोगों के रहन-सहन में बदलाव किया है बल्कि अब इस महामारी का असर इन दोनों की राज्यों के विधान सभा चुनावों के दौरान देखने को मिल सकता है।