कुछ दिनों पहले कोरोना के कुछ सौ पॉज़िटिव केस रिपोर्ट दर्ज करने वाले रूस में इस महामारी ने विकराल रूप धारण कर लिया है। अब इस देश में लगभग रोज 10 हजार के कोरोना के पॉज़िटिव मामले सामने आ रहे हैं। रूस में अभी तक कोरोना के कुल 1 लाख 87 हजार मामले सामने आ चुके हैं और यह रोज तीव्र गति से बढ़ता ही जा रहा है। रूस से सिर्फ कोरोना मामले ही सामने नहीं आ रहे हैं बल्कि विरोध जताने वाले डाक्टरों को जान से भी मार देने की खबर सामने आई है।
दरअसल, रूस में कोरोना पूरी तरह से बेकाबू हो चुका है और रूस में डॉक्टर्स, नर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ को पीपीई और अन्य मेडिकल इक्विपमेंट्स की भारी कमी हो गई है। डाक्टरों से जबरन काम करवाया जा रहा है। इस कारण कई डाक्टरों को भी कोरोना हो चुका है बावजूद इसके उन्हें कोरोना के मरीजों के देखभाल के लिए लगाया जा रहा है और जो भी इसका विरोध कर रहा है उसकी खिड़कियों से गिरकर रहस्यमयी मौत हो जा रही है।
यह एक डॉक्टर के साथ नहीं हुआ बल्कि एक के बाद तीन डाक्टरों के साथ ये हो चुका है जिनमे से 2 की मौत हो चुकी है और एक की हालत गंभीर। यह कोई संयोग नहीं है और इसमें पुतिन सरकार के हाथ होने की शंका जताई जा रही है।
पहला मामला मास्को के दक्षिण में 500 किलोमीटर (310 मील) की दूर अलेक्जेंडर शुलेपोव नाम के एक डॉक्टर और उनके सहयोगी अलेक्जेंडर कोश्यकिन की है। इन दोनों ने मिल कर 22 अप्रैल को एक वीडियो ऑनलाइन पोस्ट किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि कोरोना पॉजिटिव आने के बाद भी उन्हें काम जारी रखने के लिए मजबूर किया गया था। उसी दिन उन्हें पकड़ कर अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
यहाँ ध्यान देने वाली बात है कि अस्पताल में भर्ती होने के तीन दिन बाद शुलेपोव ने अपने पिछले बयानों को वापस ले लिया था। इसके बाद वोरोनिश क्षेत्र में एक एम्बुलेंस चालक दल पर काम करने वाले डॉ एलेक्जेंडर सुलेपोव एक अस्पताल में दूसरी मंजिल की खिड़की से 2 मई को गिर गए थे, जहाँ उनका इलाज चल रहा था। एलेक्जेंडर सुलेपोव फिलहाल आइसीयू में हैं और छत से गिरने से उनके सर में बड़ी चोट आई है, जबकि 8 पसलियां भी टूट गयीं हैं।
इसी तरह रूस के दो और डॉक्टरों साथ इसी तरह की घटना सामने आई हैं। इन दोनों ने भी मेडिकल अधिकारियों का विरोध किया था और साथ में PPE, मास्क और दस्तानों की मांग की थी। जिसके बाद खबरें आईं कि ये अपने हॉस्पिटल की खिड़की से गिर गए और इन दोनों की मौत हो गई।
Dr. Elena Nepomnyashchaya पश्चिम साइबेरिया के Krasnoyarsk के एक अस्पताल की कार्यवाहक प्रमुख थीं। रिपोर्ट के अनुसार क्षेत्रीय स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ एक बैठक के दौरान एक खिड़की से बाहर गिर गईं और उनकी मृत्यु हो गई।
वहीं एक अन्य मामले में एक अन्य डॉक्टर Natalya Lebedeva की मॉस्को में अस्पताल की खिड़की से गिरने से गंभीर रूप से घायल हो गईं थी, उसके बाद मौत हो गई थी।
ऐसे में पुलिन सरकार की आलोचना करने वाले ती डॉक्टर्स के छत से गिर जाने की घटना काफी सवाल खड़े करती है।
यही नहीं रूस में डाक्टरों की इतनी कमी हो गयी है कि मेडिकल के अंतिम सत्र के छात्रों को कोरोना से इलाज करने में लगाया गया है। एक संयुक्त आदेश में, रूस के स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्रालयों ने विश्वविद्यालयों को तीसरे वर्ष या उच्चतर जनरल प्रैक्टिस करने वाले, बाल रोग, preventative medicine और दंत चिकित्सा के छात्रों के साथ-साथ दो साल के अध्ययन को पूरा करने वाली नर्सों कोरोनोवायरस अस्पतालों में तैनात करने का निर्देश दिया है।”
रूस कोरोना से इतना ग्रस्त हो चुका है उसके सीक्रेट सिटीज में भी कोरोना के मामले मिले हैं। जिन शहरों को रूस दुनिया की नजरों से बचा कर प्रयोगों के लिए उपयोग करता था वे सभी अब कोरोना के कारण एक्सपोज हो चुके हैं। स्थिति इतनी खराब है कि एक शीर्ष रूसी कार्यकारी अधिकारी को अपने संबोधन के दौरान इन शहरों का उल्लेख करने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
Rosatom के प्रमुख Alexei Likhachev ने अपने सम्बोधन में कहा कि , ”Sarov, Elektrostal, और Desnogorsk की स्थिति आज विशेष रूप से खतरनाक है।“
Sarov में कम से कम 23 कोरोनोवायरस के मामले हैं, वहीं Elektrostal और Desnogorsk की संख्या स्पष्ट नहीं है। इसके अलावा इन शहरों में अस्पतालों की संख्या और उनकी महामारी संबंधी तैयारियों के बारे में भी किसी को नहीं पता हैं।
यह आश्चर्य की बात नहीं कि विश्व को इन शहरों के बारे में अधिक जानकारी नहीं क्योंकि इन शहरों को रूस ने दुनिया की नजरों से दूर रखा है। रूस में इस तरह के कई गुप्त शहर है जिसके बारे में दुनिया को कुछ भी खबर नहीं है और Sarov, Elektrostal, और Desnogorsk उनमें से ही कुछ शहर हैं।
जिस प्रकार पिछले 20 दिनों में एकदम कोरोना के मामलों का पहाड़ टूटा है, उससे इस बात का शक बढ़ गया है कि रूस ने अब तक दुनिया से कोरोना के मामलों को छुपाया होगा। रूस में स्थिति बेहद चिंताजनक हो गयी है और वहाँ के प्रधानमंत्री तक को कोरोना पॉज़िटिव पाया गया है। रूस का भविष्य अब इस बात पर निर्भर करेगा कि रूस अब इस चुनौती से कैसे निपटता है। जिस तरह से कोरोना के मामले और लोगों के मौत की संख्या बढ़ रही है तथा डाक्टरों पर अत्याचार की खबरें आ रही हैं उससे तो यही लगता है अभी रूस सही रास्ते पर नहीं है।