चीन के इशारों पर नाचने वाली नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार भारत के साथ सीमा विवाद को लेकर रोज नया हँगामा कर रही है। अब नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली को उत्तर प्रदेश के सीएम योगी अदित्यनाथ की एक सलाह बुरी लग गई है और वे नाराजगी जता रहे हैं। असल में योगी आदित्यनाथ ने नेपाल की सरकार को या बताया था कि चीन ने किस तरह से तिब्बत पर कब्जा कर लिया, वही गलती नेपाल न दोहराए। इस पर ओली ने कहा कि धमकाने वाले बयान ना दिए जाएं। ऐसा लग रहा है कि उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के बयान से नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार पूरी तरह से डरी हुई है और वो नहीं चाहती है कि योगी आदित्यनाथ नेपाल के बारे में कोई बयान दें।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार नेपाल के पीएम केपी ओली ने कहा है कि, ”उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने नेपाल को लेकर कुछ कहा है। उनकी टिप्पणी उचित नहीं है। केंद्र सरकार को उन्हें सलाह देनी चाहिए कि वह उन मुद्दों पर ना बोलें जो उनकी जिम्मेदारी नहीं है। उन्हें यह भी बताया जाए कि नेपाल को धमकी देने वाले बयान की निंदा की जाएगी।”
उन्होंने नेपाल के नए नक्शे को मंजूरी के बाद नेपाली संसद के प्रतिनिधि सभा को संबोधित करते हुए कहा कि अगर योगी आदित्यनाथ नेपाल को डराने की कोशिश कर रहे हैं तो यह उचित नहीं है।
हालांकि, योगी आदित्यनाथ ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा था जो धमकी जैसा हो। उन्होंने बस तिब्बत की सच्चाई बताते हुए कहा था कि नेपाल को अपने देश की राजनैतिक सीमाएं तय करने से पहले परिणामों के बारे में भी सोच लेना चाहिए।
उन्होंने तिब्बत का उदाहरण देते हुए कहा था, “नेपाल को यह भी याद करना चाहिए कि तिब्बत का क्या हश्र हुआ? नेपाल को तिब्बत जैसी गलती नहीं करनी चाहिए।“
बता दें कि चीन ने तिब्बत पर आक्रमण कर उसे अपनी सीमा में मिला लिया था और तिब्बतियों पर अनेकों अत्याचार ढाये थे।
भारत और नेपाल के सांस्कृतिक जुड़ाव को याद दिलाते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि, “नेपाल और भारत एक ही आत्मा हैं भले ही दो देश हों। भारत और नेपाल के सदियों पुराने रिश्ते हैं, जो केवल सीमाओं की बंदिशों से तय नहीं हो सकते। दोनों देशों के रिश्ते सांस्कृतिक रूप से बहुत ही सुदृढ़ हैं।“
सीएम योगी ने नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार को कहा था कि,”नेपाल की सरकार को हमारे रिश्तों के आधार पर ही कोई फैसला करना चाहिए। नेपाल अगर नहीं चेता तो उसे तिब्बत का उदाहरण याद रखना चाहिए।“
यहाँ पर योगी आदित्यनाथ के किसी भी बयान में ऐसा नहीं था जो गलत हो। जिस तरह से चीन नेपाल के साथ रिश्ते बढ़ा रहा है उससे तो यही लगता है कि धीरे-धीरे पूरे नेपाल को अपनी सीमा में मिला लेगा और नेपाल की सरकार हाथ पर हाथ धरे रह जाएगी।
परन्तु केपी ओली के इस डर का क्या कारण है? दरअसल, यहाँ नेपाल को योगी आदित्यनाथ के इस बयान से डर नहीं लग रहा बल्कि स्वयं आदित्यनाथ से डर लग रहा क्योंकि अब हिन्दू हृदय सम्राट आदित्यनाथ ने नेपाल के मामले पर बोलना शुरू कर दिया है। बता दें कि नेपाल एक हिन्दू राष्ट्र है जिसे माओवादियों ने सेक्युलर घोषित किया हुआ है और इस हिन्दू देश की आम जनता में योगी आदित्यनाथ का गोरखनाथ मठ के मठाधीश के रूप में बहुत मान सम्मान हैं।
यही नहीं योगी आदित्यनाथ का नेपाल और वहां के शाही परिवार के साथ गहरा संबंध हैं। दरअसल, गोरखनाथ मठ दो मंदिरों का संचालन करता है। एक मंदिर नेपाल में है और दूसरा मंदिर गोरखपुर में। गोरखनाथ मठ में गुरु गोरक्षनाथ की समाधि भी है। गोरखनाथ मठ के पूर्व महंत अवैद्यनाथ जिन्हें योगी आदित्यनाथ का गुरु माना जाता है, उन्हें नेपाल के राजा बिरेंद्र भी अपना गुरु मानते थे। और 2014 से ही इस गोरखनाथ मठ के मठाधीश योगी आदित्यनाथ हैं। अगर योगी आदित्यनाथ ने नेपाल के मामले पर बयान देना शुरू कर दिया है तो नेपाल की सरकार को डर है कि कहीं उनके बयान से नेपाली जनता में सरकार के प्रति उबाल न आ जाए।
यही कारण है कि केपी ओली ने इस तरह से योगी आदित्यनाथ के खिलाफ बयान दिया है। जिस तरह से केपी ओली की सरकार चीन के लिए भारत के साथ विवाद को तूल दे रही उस बीच में दोनों देशों के बेहतर रिश्ते के लिए योगी आदित्यनाथ को बोलना ही पड़ा। यदि नेपाल सरकार नहीं चेती तो इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि भविष्य में योगी आदित्यनथी खुद इस मामले में हस्तक्षेप करें।