राजस्थान की राजनीतिक उठापटक ने एक नया मोड ले लिया है। केन्द्रीय जल मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने Audio टेप विवाद में नाम घसीटे जाने पर गहलोत सरकार को आड़े हाथों लेते हुए ये आरोप लगाया है कि अपनी अकर्मण्यता को छुपाने के लिए ये लोग उन पर निशाना साध रहे हैं।
दरअसल राजस्थान के सियासी उथल पुथल के दौरान अशोक गहलोत के नेतृत्व में राजस्थान काँग्रेस ने तीन औडियो क्लिप प्रकाशित करवाई, जिसमें कथित तौर पर राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार को हटाने को लेकर बातचीत की गई थी। इस ऑडियो टेप को लेकर केंद्रीय मंत्री शेखावत पर भी आरोप लगाए गए कि तीन लोगों की बातचीत में से एक वो भी थे। इसके अलावा दो अन्य में से एक कांग्रेस के विधायक भंवरलाल शर्मा और दूसरे संजय जैन थे। बाद में इस मामले को लेकर दो एफआईआर भी दर्ज की गईं। इसी विषय पर गजेंद्र सिंह शेखावत ने काँग्रेस सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा था, “जिसको जिस प्रकार की जांच करानी है, मैं उसके लिए पूरी तरह तैयार हूँ”।
टाइम्स ऑफ इंडिया को दिये विशेष इंटरव्यू में गजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि कैसे दो लोगों की आपसी लड़ाई [गहलोत और सचिन पायलट] के बीच उन्हें फंसाया जा रहा है। गजेंद्र के अनुसार, “इसमें जिस व्यक्ति को ‘गजेंद्र’कहा जा रहा है, उसके बोलने का अंदाज बिल्कुल अलग श्रीगंगानगर इलाके जैसा है। वहीं मैं बिल्कुल जोधपुरी मारवाड़ी लहजे के साथ बोलता हूं। एफआईआर में ‘गजेन्द्र सिंह’का नाम शामिल किए जाने को लेकर केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘रिकॉर्डिंग का स्रोत वेरिफाई करने लायक नहीं है। मेरे खिलाफ केस इसलिए किया गया जिससे फेयरमोंट होटल में रुके हुए कांग्रेस विधायकों के मन में डर का माहौल बनाया जा सके”।
पर जब राजस्थान में भाजपा की मुखिया वसुंधरा राजे सिंधिया हैं, और आधिकारिक तौर पर सतीश पूनिया प्रदेश भाजपा की कमान संभालते हैं, तो फिर भला गजेंद्र सिंह शेखावत को कठघरे में खड़ा करने की क्या आवश्यकता आन पड़ी? गजेंद्र ने इस विषय पर अपना मत रखते हुए बोले, “राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अपने बेटे की हार का बदला लेने के लिए मेरे ऊपर आरोप लगाए हैं। ऑडियो टेप में जिस भी बात का जिक्र है वो दुर्भावनापूर्ण और अपमानजनक है। उन्होंने ये भी कहा कि रिकॉर्डिंग में न तो आवाज मेरी है, न ही एक्सेंट। मैंने तीनों ऑडियो क्लिप की बातचीत को पूरा सुना है”।
बता दें कि पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव में अशोक गहलोत ने सभी समीकरणों और पार्टी की स्थिति का मानो मखौल उड़ाते हुए अपने पुत्र वैभव गहलोत को प्रदेश में चुनाव प्रचार की कमान सौंपी। इतना ही नहीं, उन्होने अपने पुत्र वैभव गहलोत को चुनाव भी लड़वाया। रोचक बात तो यह है कि वैभव के प्रमुख प्रतिद्वंदी गजेंद्र सिंह शेखावत ही थे, जिन्होंने लोकसभा चुनाव में जोधपुर सीट पर अशोक गहलोत के बेटे और कांग्रेस उम्मीदवार वैभव गहलोत को लगभग 2.7 लाख वोटों से हराया था। ऐसे में यदि वे आरोप लगाएँ कि अशोक उस पराजय की कसर निकालना चाहते हैं, तो वे पूरी तरह गलत भी नहीं है।
अब चूंकि अशोक गहलोत ने audio टेप कांड के जरिये सचिन पायलट और गजेंद्र सिंह शेखावत दोनों को ही लपेटे में ले लिया, तो इससे एक तीर दो निशाने वाली बात सिद्ध हो जाती। सचिन पायलट और गजेन्द्र सिंह शेखावत के बैकफुट पर होने से न केवल गहलोत को फ़ायदा मिलता, अपितु वसुंधरा राजे के वर्चस्व को भी कोई चुनौती नहीं मिलती। बता दें कि गजेन्द्र सिंह शेखावत ने केवल अशोक गहलोत के पुत्र को ही लोकसभा चुनाव में नहीं हराया था, अपितु राजस्थान में काँग्रेस का सूपड़ा साफ करने में भी एक अहम भूमिका निभाई थी।
सच कहें तो गजेन्द्र सिंह शेखावत को घेरकर राजस्थान काँग्रेस ने अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारी है। गजेन्द्र सिंह शेखावत का रिकॉर्ड बिलकुल साफ रहा है, और उन्होने स्वयं हर प्रकार से जांच एजेंसियों को सहयोग देने की बात कही है। ऐसे में अशोक गहलोत की स्थिति ऐसी हो गई कि उनके आगे बदनामी का कुआं है, तो पीछे राजनीतिक हाशिये की खाई।