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विकास दुबे के एनकाउंटर ने सपा-बसपा के अगले विधानसभा चुनाव को जीतने की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है

ये चले थे 'विकास' को हथियार बनाने, उल्टा 'विकास' गले की फांस बन गया है

Abhinav Kumar द्वारा Abhinav Kumar
12 July 2020
in समीक्षा
विकास दुबे के एनकाउंटर ने सपा-बसपा के अगले विधानसभा चुनाव को जीतने की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है
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कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाले अपराधी विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने हत्याकांड से संबंधित सभी पहलुओं की जांच के लिए और उसके सहयोगियों को बेनकाब करने के लिए विशेष जांच दल (SIT) गठन किया है। ऐसे में उत्तर प्रदेश की राजनीतिक पार्टियों के लिए विकास दुबे के काले कारनामों के सामने आने से मुश्किलें बढ़ेंगी, साथ ही विकास दुबे के एनकाउंटर से पहले और बाद में जो बसपा और सपा ने ब्रह्मणवाद का नैरेटिव चलाया था उससे उन्हें अगले विधानसभा चुनाव में बड़ा झटका देने के लिए काफी होगा। या यूं कहे, उत्तर प्रदेश की विपक्षी पार्टियों का योगी के खिलाफ एजेंडा मुँह के बल गिरा है और CM योगी का कद उत्तर प्रदेश की जनता में और बढ़ गया है।

दरअसल, जबसे उत्तर प्रदेश के 8 पुलिसकर्मियों की हत्या विकास दुबे ने की थी तबसे वो फरार चल रहा था जिसको लेकर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने अवसर देख धार्मिक कार्ड खेलना शुरू कर दिया।  केवल अखिलेश यादव ही क्यों वामपंथी मीडिया ने भी अपनी खबरों से उत्तर प्रदेश की जनता को बरगलाना शुरू कर दिया। जब विकास दुबे नहीं पकड़ा गया था तब न्यूज़ पोर्टल The Wire ने एक लेख लिखा था और उसमें यह दावा किया था कि “योगी आदित्यनाथ के एनकाउंटर राज में, सिर्फ निचले तबके के अपराधियों का ही एनकाउंटर किया जाता।“

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राहुल गांधी का ह्यूस्टन इवेंट आयोजित करने वाली संस्था CAIR अमेरिका में आतंकी संगठन घोषित, हिंदू घृणा फैलाने वाली संस्था के अलकायदा, हमास जैसे आतंकी संगठनों से मिले रिश्ते

अमेरिका ने भारत को बताया “मेजर डिफेंस पार्टनर”, जैवलिन मिसाइल समेत बड़े डिफेंस पैकेज को दी मंजूरी, पटरी पर लौट रहे हैं रिश्ते ?

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इसी लेख में आगे लिखा गया था कि

“योगी राज में किए गए सभी एनकाउंटर के बारे में एक बात सामने आती है कि मारे गए लोगों में से आधे मुस्लिम हैं, जबकि अन्य सभी दलित और ओबीसी हैं।”

यही नहीं कांग्रेस और उसके चमचों ने तो ब्राह्मण और राजपूत का कार्ड भी खेलने की कोशिश की जिससे राज्य की जनता मुख्यमंत्री महंत योगी आदित्यनाथ के खिलाफ हो जाए। कांग्रेस के नेता उदित राज ने ट्विटर पर लिखा था कि ‘अगर विकास दुबे एक ठाकुर होता तो क्‍या उसका हाल भी ऐसा होता?

अगर विकास दुबे ठाकुर होता तो क्या ऐसा ही व्यवहार होता?

— Dr. Udit Raj (@Dr_Uditraj) July 10, 2020

वहीं अखिलेश यादव ने विकास दुबे के एनकाउंटर से पहले इसी तरह का एक ट्वीट कर जातिवाद की गंदी राजनीति शुरु कर दी। उन्होंने लिखा था, “अब तो विकास ख़ुद ही पूछ रहा है… ‘विकास’ को कब गिरफ़्तार करोगे… करोगे भी या नहीं? वैसे उप्र की ‘नाम बदलू’ भाजपा सरकार के पास एक विकल्प और है… किसी और का नाम बदलकर ‘विकास’ रख ले और फिर… बाकी क्या कहना… जनता ख़ुद समझदार है”

अब तो विकास ख़ुद ही पूछ रहा है… ‘विकास’ को कब गिरफ़्तार करोगे… करोगे भी या नहीं?

वैसे उप्र की ‘नाम बदलू’ भाजपा सरकार के पास एक विकल्प और है… किसी और का नाम बदलकर ‘विकास’ रख ले और फिर… बाकी क्या कहना… जनता ख़ुद समझदार है.

— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) July 8, 2020

हालांकि, विकास दुबे और उसके गैंग के खिलाफ त्वरित कार्रवाई से इन सभी के प्रोपेगेंडा पर पानी फिर गया। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश की सरकार में कानून व्यवस्था कितनी मजबूत है और अपराधियों के लिए कितनी सख्त है, ये जल्द ही सामने आ गया जब एक के बाद एक विकास दुबे के साथी ढेर होने लगे, और फिर नंबर आया विकास दुबे का जिसे मध्य प्रदेश के उज्जैन से गिरफ्तार किया गया। इस गिरफ़्तारी के बाद भला कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल कहाँ चुप बैठने वाले थे सभी ने कहा क्योंकि वो ब्राह्मण है उसका एनकाउंटर नहीं किया गया। परन्तु इनका ये दावा भी धरा का धरा रह गया जब मध्य प्रदेश से कानुपर लाते वक़्त विकास दुबे को ला रही पुलिस की गाड़ी पलट गयी और मौका देखते ही विकास दुबे ने भागने की कोशिश की। यहाँ तक कि पुलिस कर्मियों पर हमला भी किया जिसके बाद जवाबी कार्रवाई में यूपी पुलिस ने विकास दुबे को ढेर कर दिया। इस एनकाउंटर से उत्तर प्रदेश की जनता में एक स्पष्ट सन्देश यूपी सरकार ने भेजा। सन्देश ये कि अपराधी किसी भी धर्म या जाति से हो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इससे उत्तर प्रदेश के अन्य जातियों में योगी पर विश्वास और मजबूत हो गया। फिर भी अखिलेश यादव और मायावती समेत अन्य विपक्षी दलों ने रोना शुरू कर दिया।

हद तो तब हो गई जब अखिलेश यादव के लिए जो विकास दुबे गैंगस्टर था वो अचानक से बेकसूर हो गया। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आज तक पर रो रहे थे कि विकास दुबे के साथ अन्याय हुआ है।

#Exclusive | #VikasDubey had strong ties with BJP: @yadavakhilesh on #VikasDubeyEncounter
Full video of the conversation with @sardesairajdeep – https://t.co/oeSLGwxcqm#RE pic.twitter.com/EBi1pzNBOx

— IndiaToday (@IndiaToday) July 10, 2020

उनके अनुसार, “बेकसूर लोगों को मार कर आप कानून व्यवस्था को कैसे सुधारोगे?”  अखिलेश यादव ने ये तक कहा कि, “विकास दुबे के भाजपा के साथ बड़े घनिष्ठ संबंध थे। क्या इस मामले में कोई एक्शन लेगी योगी सरकार?” अखिलेश यादव की पार्टी समाजवादी पार्टी और बसपा के साथ विकास दुबे के कनेक्शन मीडिया में पहले ही सामने आ चुके हैं ऐसे में विकास दुबे किसके करीब था इसे बताने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, मायावती ने फूँक-फूँक के कदम रखते हुए केवल सुप्रीम कोर्ट द्वारा निष्पक्ष जांच की मांग की।

Kanpur: House of the history-sheeter Vikas Dubey, the main accused in Kanpur encounter case, being demolished by district administration. More details awaited.

8 policemen were killed in the encounter which broke out when police went to arrest him in Bikaru, Kanpur yesterday. pic.twitter.com/gukyZZwfl9

— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) July 4, 2020

जिस तरह की प्रतिक्रिया सपा और बसपा से देखने को मिली है उससे उत्तर प्रदेश की जनता में नाराजगी तो अवश्य होगी क्योंकि योगी सरकार ने इन नेताओं के दावों और झूठे आरोपों के विपरीत न केवल विकास दुबे को सजा दी है, बल्कि उसकी मौत के बाद अब SIT  का गठन कर गहन जांच शुरू कर दी है। यहाँ तक विकास दुबे और उसके साथियों की अवैध रूप से अर्जित सम्पत्ति, व्यापारों और आर्थिक गतिविधियों की भी जांच होगी। बता दें कि विकास दुबे बसपा से करीब 15 साल तक जुड़ा रहा था। इस दौरान जिला पंचायत सदस्य भी रहा। बसपा सुप्रीमो से लेकर पार्टी के कई बड़े नेताओं से उसका सीधा संपर्क रहा था। उसके बाद उसने समाजवादी पार्टी का हाथ थाम लिया था। अब योगी सरकार इस अपराधी के सभी कच्चे चिट्टे जांच करा रही है। जैसे-जैसे जांच की परते खुलती जाएंगी वैसे-वैसे अपराध की दुनिया में SP और BSP की भूमिका की पोल भी खुलेगी। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि बीजेपी को हराने की सपा-बसपा की आखिरी उम्मीद पर विकास दुबे का एनकाउंटर पानी फेरने का काम करेगा।

हालाँकि, योगी आदित्यनाथ ने किसी भी घटना पर त्वरित न्याय की मांग करने वाली यूपी की जनता का दिल जीता है। जनता में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता एक ऐसे नेता के रूप में बन रही है जो किसी भी मामले को जाति, धर्म या पद से ऊपर उठ कर फैसला लेता है। यूपी में वर्ष 2022 में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं और जिस तरह से SP और BSP अपनी साख खो रही है उससे नहीं लगता है कि वर्ष 2022 तक 10 सीटें भी जीतने के काबिल रहेगी। वहीं, एंटी CAA प्रोटेस्ट के दौरान दंगाइयों को सबक सीखाना हो या विकास दुबे के पूरे गैंग को 10 दिनों के भीतर ढेर करना हो, योगी के त्वरित कार्रवाई से जनता के सभी तबकों के बीच एक सकारात्मक छवि बन चुकी है जिसके परिणाम हमें आने वाले समय में अवश्य देखने को मिलेंगे।

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