डीजिटल मोर्चे पर चीन को कभी न भर सकने वाला घाव देने के बाद, अब भारत ने चीन को पेट्रोलियम क्षेत्र में भी आर्थिक चोट पहुंचाने की तैयारी कर ली है। भारतीय स्टेट रिफाइनर्स ने चीन से जुड़ी कंपनियों से कच्चा तेल खरीदने पर रोक लगा दिया है। Reuters की रिपोर्ट के अनुसार, नई दिल्ली ने 23 जुलाई को एक रेगुलेशन लागू किया था जिसके तहत भारत से बॉर्डर साझा करने वाले देशों से क्रूड ऑयल के आयात पर शर्तिया प्रतिबंधित लगाया गया था। जब से नया ऑर्डर आया है तब से ही भारत की कंपनियाँ अपने इम्पोर्ट टेंडर में इस नए नियम को लागू कर रही हैं।
इसी के तहत पिछले हफ्ते, भारतीय स्टेट रिफाइनर्स ने CNOOC Ltd, Unipec और PetroChina जैसी चीनी ट्रेडिंग फर्म को क्रूड इंपोर्ट टेंडर न भेजने का फैसला किया। यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि, भारत चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल और भूटान के साथ सीमा साझा करता है, लेकिन इस रेगुलेशन का इशारा चीन की ओर ही था।
बता दें कि भारत के स्टेट रिफाइनर्स, देश की 5 मिलियन बैरल प्रति दिन रिफाइनिंग क्षमता का लगभग 60 प्रतिशत नियंत्रित करते हैं। इसीलिए भारत क्रूड पेट्रोलियम के लिए एक बड़ा बाजार है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता और आयातक देश है और अपनी जरूरतों का लगभग 84% तेल आयात करता है। हालांकि, भारत चीन से क्रूड आयल का निर्यात नहीं करता है लेकिन चीनी कंपनियां वैश्विक स्तर पर इस क्षेत्र की प्रमुख प्लेयर्स हैं।
चीनी कंपनियां मध्य पूर्व से अफ्रीका और अमेरिका तक, दुनिया भर के कई तेल उद्योगों में इक्विटी स्टेक रखती हैं। इसी तरह वो भारतीय स्टेट रिफाइनर द्वारा कच्चे तेल के आयात में प्रतिस्पर्धी बोली प्रस्तुत करती हैं।
पर गलवान घाटी में चीनी सैनियों के हमले के बाद, भारत लगातार चीन को आर्थिक झटके दे रहा है। इसी क्रम में अब भारतीय स्टेट रिफाइनर्स ने एक्शन लेते हुए चीनी कंपनियों जैसे चीन एविएशन ऑयल (सिंगापुर), पेट्रो चाइना और यूनिपेक की सहायक कंपनियों के साथ ईंधन आयात के लिए सौदे पर रोक लगाने का फैसला किया है। यही नहीं, आयात के लिए चीनी टैंकरों को किराया देना भी बंद कर दिया गया है।
कुछ दिनों पहले ही भारत की सरकारी तेल कंपनियों ने अपने पेट्रोलियम उत्पादों के ट्रांसपोर्ट के लिए चीन के जहाज और चीनी टैंकरों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। लाइवमिंट अख़बार की एक रिपोर्ट के अनुसार, “हाल ही में एक ऑर्डर पारित हुआ है, जिसमें चीनी जहाज भारत के पेट्रोलियम उत्पाद खरीदने के लिए आवश्यक टेंडर प्रक्रिया में भाग नहीं ले पाएँगे। हालांकि, यह सार्वजनिक नहीं हुआ है, लेकिन सरकार से जुड़े सूत्रों के अनुसार इस ऑर्डर का प्रमुख निशाना पाकिस्तान और चीन ही हैं।“ फिलहाल, इस कदम को लेकर अभी तक इंडियन ऑयल लिमिटेड (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन का कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
पहले भारतीय तेल कंपनियों द्वारा चीन के स्वामित्व वाले किसी भी ऑयल टैंकर या शिप का इस्तेमाल पर रोक लगाना और अब चीनी तेल कंपनियों से तेल के आयात पर ही रोक लगाने के भारत द्वारा उठाए गए कदम से यह स्पष्ट होता है कि, भारत हर प्रकार से चीन को आर्थिक झटके देना चाहता है। भारत के बाजार को देखते हुए चीनी तेल कंपनियों को एक बड़े नुकसान के लिए तैयार हो जाना चाहिए। इसमें कोई दो राय नहीं है कि, भारत ने चीन को कड़ा सबक सिखाने के लिए मोर्चा संभाल लिया है और यदि सब कुछ सही रहा, तो चीन को ऐसा आर्थिक झटका लगेगा कि, वह दशकों तक उससे उबर नहीं पाएगा।