भारत की गिरती अर्थव्यवस्था के बीच भी एक खुशखबरी इस बात के संकेत देती है कि आने वाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से उबरने लगेगी। कोरोनावायरस के फैलाव के बाद से भारतीय कंपनियों ने रिकॉर्ड 2.27 लाख करोड़ रुपए (3100 करोड़ डॉलर) की इक्विटी पूंजी जुटाई है। इसमें सबसे ज्यादा इक्विटी फंड देश के बैंकों द्वारा जेनेरेट किया गया। इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि, 3100 करोड़ रुपए की कुल इक्विटी पूंजी में से 600 करोड़ विदेशी निवेश द्वारा आया है। कोरोना वायरस के कारण देश की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंची है इसमें कोई दो राय नहीं है। लेकिन जिन कंपनियों ने निवेश किया है उनकी नजर वर्तमान परिस्थितियों पर नहीं बल्कि भविष्य में बनने वाली सम्भावनाओं पर है।
कोई कंपनी इक्विटी पूंजी तब जुटाती है जब लोग उस कंपनी के शेयर खरीदते हैं। किसी कंपनी के शेयर बिकने का मतलब यह होता है कि, निवेशकों को भविष्य में उस कंपनी से लाभ की उम्मीद है। ऐसे में इक्विटी पूंजी के द्वारा इतनी बड़ी मात्रा में धन का एकत्रित होना यह बताता है कि, कोरोनावायरस के बाद भी निवेशकों का भारतीय बाजार में विश्वास बना हुआ है।
हाल ही में रिलायंस ने यह कहा था कि, उनकी कंपनी भारत में 5G इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध करवाएगी। भारतीय बाजार में रिलायंस की सफलता पर विदेशी कंपनियों का इतना विश्वास है कि, फेसबुक, गूगल सहित दुनिया की तमाम बड़ी कंपनियां रिलायंस में लगातार निवेश कर रही हैं।
भारत में डिजिटलाइजेशन के क्षेत्र में गूगल ने 75,000 करोड़ के निवेश की बात की है। वहीं Apple के सहयोगी प्रतिष्ठान Faxconn ने भी भारत में 1 बिलियन डॉलर के निवेश की बात कही है। Faxconn जो मोबाईल निर्माण से जुड़ी एक दिग्गज कंपनी है, उसका निवेश इसी कारण हुआ है क्योंकि वे जानते हैं कि मोदी सरकार की प्रोडक्शन लिंक इनिशिएटिव योजना के कारण आने वाले समय में भारत का मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर भी तेजी से बढ़ेगा।
वहीं रियल इस्टेट की बात करें, तो उसमें भी तेजी से निवेश हो रहा है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण उत्तर प्रदेश का जेवर एयरपोर्ट है। रिपोर्ट के अनुसार, मई-जून में जेवर एयरपोर्ट के पास कुल 69 फर्म्स को इंड्रस्टियल लैंड दिया गया है। इससे यह पूरा इलाका देशी-विदेशी कंपनियों के लिए पसंदीदा जगह बन रहा है।
कोरोना के फैलाव के बाद से पूरी दुनिया के आर्थिक समीकरण तेज़ी से बदल रहे हैं। हर बड़ी कंपनियां भारत की तरफ आकर्षित हो रही है। दुनियाभर के देश यह चाहते हैं कि, वे सप्लाई चीन को चीन से विकेंद्रीकृत करें। भारत सरकार का प्रयास है कि, वह अपने आप को चीन के विकल्प के रूप में प्रस्तुत करे। हाल ही में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बयान दिया था कि, भारत केवल घरेलू नहीं बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी उन क्षेत्रों में स्वयं को चीन का विकल्प बनाने की कोशिश करेगा जहां आज चीन प्रभावी है।
हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने भी एक बयान में कहा था कि, भारत में वैश्विक सप्लाई चेन को अपनी और आकर्षित करने की भरपूर क्षमता है। अमेरिका के अलावा जापान और ऑस्ट्रेलिया, भारत के साथ मिलकर सप्लाई चेन से चीन को हटाने के लिए एक समझौते के ऊपर कार्य कर रहे हैं। इसके अलावा जापान की सरकार ने भी निर्णय लिया है कि, वह उन जापानी कंपनियों को सब्सिडी देगी जो अपनी विनिर्माण इकाइयों को चीन से भारत में शिफ्ट करेंगे।
ये सभी बातें बताती हैं कि लॉकडाउन के समय भारत की आर्थिक गतिविधियां बंद होने की वजह से, भारत की विकास दर में जो गिरावट देखी गई है वह अल्पकालिक है। इन सभी संकेतों का साफ अर्थ है कि आने वाले समय में भारत की अर्थव्यवस्था इस स्थिति से निकलकर पुनः विकास के मार्ग पर तेज़ी से आगे बढ़ेगी।