जब से फ्रांस में एक इस्लामिक कट्टरपंथी द्वारा कार्टून दिखाये जाने के कारण एक इतिहास के शिक्षक का सिर कलम कर दिया गया जिससे पूरा फ्रांस इस्लामी कट्टरवाद के खिलाफ सड़कों पर उतर आया है। इसमें साथ दे रहे हैं वहां के राष्ट्रपति इम्मानुएल मैक्रों। इस्लामी कट्टरवाद के खिलाफ वह कई ऐसे बयान दे चुके हैं जिसका परिणाम यह हुआ है कि पाकिस्तान और तुर्की का पारा चढ़ गया है। दोनों ही देश के राष्ट्रप्रमुखों ने फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों की आलोचना करते हुए फ्रांस को चेतावनी दी है। एक तरफ़ जहां इमरान खान ने ट्वीट कर कहा कि मैक्रों ने इस्लाम पर हमला किया है तो वहीं एर्दोगन ने कहा था कि मैक्रों को अपनी दिमागी हालत ठीक करने की जरूरत है।
दरअसल, मैक्रों ने पिछले सप्ताह के मंगलवार को कहा था कि उनकी सरकार “कट्टरपंथी इस्लामवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई को और तेज करेगी।” उन्होंने कहा कि “पैटी की हत्या किए जाने के बाद कई कट्टरपंथी संगठनों और व्यक्तियों के खिलाफ दर्जनों कदम उठाए गए जो एक कट्टरपंथी इस्लाम की योजना चला रहे थे यानि दूसरे शब्दों में, एक ऐसी विचारधारा जिसका उद्देश्य (फ्रांसीसी) गणराज्य को नष्ट करना था।”
इसके बाद पाकिस्तान और तुर्की दोनों भड़क गए और दोनों ही देशों को ऐसी मिर्ची लगी कि वे मैक्रों को ‘पागल’ तक कहने से पीछे नहीं हटे। सबसे पहले बात करते हैं इमरान खान की। इमरान खान ने ट्वीट कर कहा कि, “मंडेला ने लोगों को विभाजित करने की बजाय उन्हें एक करने पर जोर दिया था लेकिन आज के समय में राष्ट्रपति मैक्रों देश से रेसिज्म, ध्रुवीकरण कम करने की बजाए आतंकवादियों को हीलिंग टच देने में लगे हैं, जो निश्चित रूप से उनकी कट्टरवादी सोच को दिखाता है।“
Hallmark of a leader is he unites human beings, as Mandela did, rather than dividing them. This is a time when Pres Macron could have put healing touch & denied space to extremists rather than creating further polarisation & marginalisation that inevitably leads to radicalisation
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) October 25, 2020
उन्होंने आगे कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राष्ट्रपति मैक्रों हिंसा करने वाले आतंकवादियों की बजाय इस्लाम पर हमला कर रहे हैं। अफसोस की बात है कि राष्ट्रपति मैक्रों ने इस्लाम और इस्लाम के रहनुमा पैगंबर साहब को निशाना बनाने वाले कार्टून के प्रदर्शन को बढ़ावा दिया है और जानबूझकर मुसलमानों को भड़कने पर मजबूर कर रहे हैं।” इमरान खान ने कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति को इस्लाम की कोई समझ नहीं है, फिर भी उन्होंने इस पर हमला करके यूरोप और दुनिया भर में लाखों मुसलमानों की भावनाओं पर हमला किया और उन्हें चोट पहुंचाई है।
वहीं, तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन तो दो कदम आगे निकल गए और शनिवार को बयान दिया था कि फ्रांस में मुसलमानों के प्रति अपने रवैये को लेकर फ्रांसीसी राष्ट्रपति को “किसी प्रकार के मानसिक उपचार” की आवश्यकता है।
एर्दोगन ने कहा कि, “मैक्रों की इस्लाम के साथ समस्या क्या है? मुसलमानों के साथ उनकी समस्या क्या है? मैक्रों को मानसिक उपचार की आवश्यकता है। उस राष्ट्रप्रमुख के बारे में और क्या कहना है जो धर्म की स्वतंत्रता में विश्वास नहीं करते हैं और अपने ही देश में रहने वाले विभिन्न धर्मों के लाखों लोगों के खिलाफ इस तरह से व्यवहार करते हैं।”
तुर्की के राष्ट्रपति के इस बयान से भड़के फ्रांस ने अपने राजदूत को अंकारा से वापस बुला लिया है। हालांकि, सिर्फ एर्दोगन ही नहीं तुर्की के विदेश मंत्री सहित कई और मंत्री भी फ्रांस के खिलाफ बयान दे चुके हैं।
When truth spoken to their faces Europe's loser racists showed up again. Trying to exploit Islamophobia and xenophobia. Time has come to stop Europe’s spoiled politicians with fascist mindset.
— Mevlüt Çavuşoğlu (@MevlutCavusoglu) October 25, 2020
#BREAKING President Emmanuel Macron described Islam as "a religion that is in crisis all over the world today" as he made keenly-awaited keynote address on battling Islamic radicalism in France pic.twitter.com/Xb1q564eFU
— AFP News Agency (@AFP) October 2, 2020
मैक्रों ने इस महीने की शुरुआत में जब यह कहा था कि “इस्लाम एक ऐसा धर्म है जो आज पूरे विश्व में संकट में है” तब भी तुर्की से इसी तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिली थी। कई स्थान पर फ्रांस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में वहां के सामानों का बॉयकॉट भी हुआ।
ये दोनों ही देश आतंक को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं। भारत समेत कई देशों मे ये आतंक को प्रायोजित करते हैं। हाल ही मे हमने अपनी रिपोर्ट मे बताया भी था कि तुर्की की सहायता से कट्टरपंथी मुस्लिम आतंकवाद को बढ़ावा देने हेतु भारतीय मुसलमानों को भड़काने में लगे हुए हैं। वहीं, पाकिस्तान अपने आतंकी संगठनो के जरिये भारत मे घुसपैठ कि कोशिश करता रहा है। ये दोनों ही देश दूसरे देशों मे कट्टरता को बढ़ावा देते हैं ऐसे मे इनका इस तरह से बिलबिलाना कोई हैरानी कि बात नहीं! हालांकि, यह भी स्पष्ट है कि ये दोनों ही देश यानि तुर्की और पाकिस्तान इस्लामिक दुनिया के नेता बनना चाहते हैं लेकिन इनकी अर्थव्यवस्था डावांडोल है और वे किसी भी तरह से अपनी जनता का ध्यान इस्लाम के नाम पर भटका रहे हैं। इनके इस रुख के पीछे इनकी आतंक परस्ती भी है।
परन्तु जिस तरह से फ्रांस में माहौल बना हुआ है उससे देखते हुए ये कहना गलत नहीं होगा कि इस बार तुर्की और पाकिस्तान जैसे देश कितनी भी कोशिश कर लें फ्रांस में कट्टरवाद के खिलाफ भड़के माहौल को चुप नहीं करा पाएंगे। वर्षों से कट्टरवादी सोच के कारण हजारो करोड़ लोगों की जान जा चुकी है। अब फ्रांस उसी कट्टरवादी सोच के खिलाफ खड़े होने का प्रयास कर रहा है वो भी एक ऐसे नेता के नेतृत्व में जो अपनी सेक्युलर विचारधारा के लिए जाना जाता है।