कहते हैं कि सच परेशान ज़रूर हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं! चीन की अर्थव्यवस्था से जुड़े आंकड़ों के मामले में भी यह कथन एक दम सटीक बैठता है। चीन का सारा ध्यान आजकल अपने आर्थिक विकास से हटकर अपनी अर्थव्यवस्था की लीपा-पोती पर केन्द्रित हो चुका है। वह headline management के जरिये आज भी अपने आप को economic powerhouse के तौर पर प्रदर्शित करना चाहता है, लेकिन आंकड़े हर बार चीनी सरकार की पोल खोल देते हैं। उदाहरण के लिए अब चीनी बॉन्ड मार्केट में बड़ी-बड़ी चीनी कंपनियों ने बॉन्ड default करने शुरू कर दिये हैं, जिसके कारण चीनी वित्त बाज़ार पर से निवेशकों का भरोसा लगातार उठता जा रहा है। बॉन्ड मार्केट की ऐसी हालत देखकर चीन की अर्थव्यवस्था के बुखार का असली तापमान आसानी से पता लगाया जा सकता है।
दरअसल, हाल ही में कई बड़ी सरकारी चीनी कंपनियों ने Bonds का principal amount या ब्याज देने में अपनी असमर्थता जताई है। इनमें Yongcheng Coal & Electricity Holding Group और Huachen Auto Group Holdings Co जैसी बड़ी सरकारी कंपनियाँ भी शामिल हैं। इसका अर्थ यह है कि ये चीनी कंपनी अपने खर्चे चलाने के लिए लोगों से पैसा तो मांग रही हैं लेकिन ये कंपनियाँ उस पैसे को वापस देने या उसपर ब्याज देने के योग्य नहीं रही हैं। इस बड़े आर्थिक संकट के बीच अब चीनी सरकार ने default करने वाली कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू कर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है।
इस साल जुलाई महीने तक में ही चीनी कंपनियों ने कुल 16 बिलियन युआन की देनदारी पर default घोषित कर दिया था, जो इस साल के अंत तक 30 बिलियन युआन से भी ज़्यादा हो सकता है। चीनी कंपनियों द्वारा किए जा रहे bond defaults से इतना तो स्पष्ट है कि चीनी कंपनियों की वित्तीय हालत बिलकुल भी ठीक नहीं है, जैसा कि चीनी सरकार दावा कर रही है।
उदाहरण के लिए चीन ने यह दावा किया है कि वर्ष 2020 में भी उसकी अर्थव्यवस्था में 2 प्रतिशत की दर से विकास देखने को मिलेगा। हालांकि, यह बात समझ से परे है कि ऐसे वक्त में जब सप्लाई चेन बाधित होने के कारण एक एक्सपोर्ट आधारित अर्थव्यवस्था के व्यापार में गिरावट देखने को मिली है, तो ऐसे हालातों में भी चीन जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था विकास कैसे कर सकती है? इसके अलावा खुद चीनी कंपनियों की वित्तीय हालत यह बखूबी बयां करती है कि चीनी अर्थव्यवस्था के साथ सब सही तो बिलकुल नहीं है।
कोरोना के कारण अप्रैल में चीनी अर्थव्यवस्था में 6 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली थी, उसके ठीक तीन महीने के अंदर ही चीन ने यह दावा कर दिया कि साल की दूसरी तिमाही में चीन की अर्थव्यवस्था में 3.2 प्रतिशत का उछाल देखने को मिला है। हालांकि, चीन के इन दावों की पोल अब खुद चीन की सरकारी कंपनियों ने ही खोल दी है। सच्चाई तो यह है कि अब चीनी बॉन्ड मार्केट में निवेशकों का भरोसा लगातार कम होता जा रहा है और अब ये निवेशक भारत और इंडोनेशिया जैसे बाज़ारों में निवेश करने को प्राथमिकता दे रहे हैं, क्योंकि उन्हें यहाँ से बेहतर रिटर्न की उम्मीदें हैं।
भारत की अर्थव्यवस्था घरेलू मांग पर आधारित है जबकि चीनी अर्थव्यवस्था exports पर! सप्लाई चेन बाधित होने के कारण चीनी अर्थव्यवस्था लड़खड़ा रही है, जबकि भारत “आत्मनिर्भर भारत” मुहिम के तहत तेजी से bounce back करने के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। चीन दुनिया का विश्वास खोता जा रहा है और इसके उलट भारत एक मजबूत विकल्प के तौर पर उभरकर सामने आ रहा है।