कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के भारत विरोधी गतिविधियों से भला कौन परिचित नहीं है? लेकिन अब PFI की पहचान केवल एक कट्टरपंथी आतंक समर्थक संगठन के तौर पर ही नहीं, बल्कि एक ऐसे संगठन के तौर पर है, जो देश के दुश्मनों के साथ मिलकर भारत को दहलाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। एक यूरोपीय रिसर्च ग्रुप ने एक सनसनीखेज खुलासे में PFI के तार तुर्की के एक बेहद उग्रवादी आतंकी संगठन से जोड़े हैं।
Republic TV की रिपोर्ट के अनुसार यूरोपीय रिसर्च ग्रुप नॉर्डिक मॉनिटर की रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर 2018 में PFI के कुछ नेताओं और तुर्की प्रशासन द्वारा कथित तौर पर बढ़ावा दिए जा रहे आतंकी संगठन IHH के बीच एक गुप्त बैठक के बारे में कुछ अहम साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। रिपोर्ट के अंश अनुसार, “उक्त बैठक का उद्देश्य था तुर्की द्वारा दक्षिण एशिया एवं दक्षिण पूर्वी एशिया के मुसलमानों को अपनी ओर आकर्षित करना। PFI को इसलिए चुना गया था क्योंकि उसने 2016 में एर्दोगन द्वारा तख्तापलट की कोशिश को ध्वस्त करने के निर्णय का समर्थन किया था और तुर्की की Anadolu न्यूज एजेंसी ने उसे एक ऐसे संगठन के रूप में चित्रित किया, जिसे ‘हिन्दुस्तानी पुलिस द्वारा सताया गया था”।
#BREAKING | Photos of October 2018 secret meeting between India's PFI and Turkish terror-linked group IHH in Turkey out. Details of meeting accessed by European research group Nordic monitor. #PFITurkeySecretMeet
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— Republic (@republic) November 15, 2020
बता दें कि İnsan Hak ve Hürriyetleri ve İnsani Yardım Vakfı अथवा IHH के दुर्दांत आतंकी संगठन अलकायदा से भी संबंधों की पुष्टि हुई है। ऐसे में अब यह अतिआवश्यक हो चुका है कि PFI पर तत्काल प्रभाव से केन्द्र सरकार प्रतिबंध लगाए, अन्यथा PFI पूरे देश के लिए नासूर बन जाएगा।
पीएफआई इस देश के लिए कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा आप हाथरस हत्याकांड से ही लगा सकते हैं। CAA के विरोध के नाम पर देशभर में हिंसा भड़काने की साजिश में शामिल रहने वाला PFI हाथरस हत्याकांड में भी काफी सक्रिय रहा है, और यदि समय रहते यूपी प्रशासन ने स्थिति को नहीं संभालता , तो एक बार फिर PFI के कारण भारत का एक और राज्य वैमनस्य की आग में झुलस जाता।
TFI ने इस विषय पर पहले रिपोर्ट भी किया है कि कैसे तुर्की का वर्तमान प्रशासन भारतीय मुसलमानों को भारत के विरुद्ध भड़का रहा है और उन्हें आतंकी संगठनों में भर्ती होने के लिए प्रेरित भी कर रहा है। यही नहीं, तुर्की ने भारत विरोधी भावनाओं को बढ़ावा देने के लिए कश्मीर से अलगाववादी विचारधारा रखने वाले और पाकिस्तानी पत्रकारों को अपने न्यूज एजेंसी में नियुक्त किया है। तुर्की अब पाकिस्तान के बाद भारत विरोधी गतिविधियों का दूसरा सबसे बड़ा गढ़ बन चुका है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि तुर्की कश्मीरी अलगाववादियों को भड़काने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है, और केरल के वर्तमान प्रशासन की निष्क्रियता का फ़ायदा उठा इस राज्य को पूर्णतया कट्टरपंथी इस्लाम का गुलाम बनाने के लिए भी प्रयासरत है।
अब ऐसे में जिस प्रकार से PFI एवं तुर्की के बीच के संबंध स्पष्ट हुए हैं, और जिस प्रकार से PFI की भारत विरोधी गतिविधियों में दिन प्रतिदिन वृद्धि हो रही है, उससे इतना तो स्पष्ट है कि सरकार को अब कुछ कड़े कदम अवश्य उठाने पड़ेंगे, और PFI के विरुद्ध युद्धस्तर पर काम करना पड़ेगा, अन्यथा कहीं लेने के देने न पड़ जाए।