वर्ष 2020 समाप्त होने वाला है और इससे ठीक पहले नॉर्थ कोरिया और दक्षिण कोरिया के सम्बन्धों से जुड़ी एक बड़ी खबर देखने को मिल रही है। प्रतिबंधों का सामना कर रहे उत्तर कोरिया की अर्थव्यवस्था पर कोरोना का कहर जबरदस्त पड़ा है। शायद यही एक कारण है कि अब अपनी इकॉनोमी को बेहतर करने के लिए उत्तर कोरिया अपने पारंपरिक साथी चीन को छोड़कर रूस और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के साथ नज़दीकियां बढ़ा रहा है। हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार अब उत्तर कोरिया अपने “पहाड़ी पर्यटन स्थल” को एक सांस्कृतिक केंद्र के रूप में दोबारा विकसित करने की नीति पर काम कर रहा है। वर्ष 2008 से पहले तक इस स्थल पर सालाना हजारों दक्षिण कोरियाई पर्यटक आते थे, जिसके कारण उत्तर कोरिया को काफी राजस्व प्राप्त होता था।
वर्ष 2008 में यहां एक दक्षिण कोरियाई पर्यटक की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी, जिसके बाद यह पर्यटन स्थल एक सुनसान जगह में परिवर्तित हो गया। अब उत्तर कोरिया के अधिकारी इस जगह को पुनर्जीवित करना चाहते हैं। एक अधिकारी के मुताबिक “हम आपसी सांस्कृतिक पहचान और सद्भावना को नया आयाम देने के लिए इस जगह को दोबारा स्थापित करना चाहते हैं।” कुछ एक्सपर्ट्स इस बात को भी मानते हैं कि इस सांस्कृतिक केंद्र को दोबारा विकसित करने के लिए उत्तर कोरिया दक्षिण पर दबाव बना रहा है ताकि उसे कुछ आर्थिक मदद मिल सके।
इस रिपोर्ट्स को देखकर यह समझा जा सकता है कि उत्तर कोरिया अब अपनी इकॉनमी को बेहतर करने के लिए चीन पर अपनी निर्भरता कम करता जा रहा है। उदाहरण के लिए लॉकडाउन से पहले तक उपर्युक्त पर्यटन केंद्र पर बेहद कम संख्या में चीनी पर्यटक आते थे, लेकिन अब उत्तर कोरिया दक्षिण कोरिया के पर्यटकों को दोबारा अपने यहां निमंत्रण देने की तैयारी में जुटा है।
कोरोना के बाद से ही उत्तर कोरिया की विदेश नीति में एक बदलाव देखने को मिला है और वह चीन के अलावा अपने बाकी पड़ोसियों के प्रति भी सहनशीलता की भावना दिखा रहा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण सितंबर में देखने को मिला था। तब दक्षिण कोरियाई नागरिक की समुद्र में गोली मारकर हत्या किए जाने पर उत्तर कोरिया के नेत किम जोंग-उन ने माफी मांगते हुए इसे अप्रत्याशित और अपमानजनक घटना करार दिया था। आमतौर पर तानाशाह किम-जोंग-उन से इस प्रकार माफी मांगने की उम्मीद कम ही की जाती रही है। हालांकि, उनके इस कदम को दक्षिण के साथ तनाव को कम करने की कोशिश के रूप में देखा गया था।
दक्षिण कोरिया की ओर से भी ऐसे कदम उठाए गए हैं, जिसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में बेहतरी के आसार बढ़े हैं। उदाहरण के लिए इसी महीने दक्षिण कोरिया ने “प्रोपेगैंडा से भरे पत्रों” को बॉर्डर पार भेजने पर रोक लगा दी है। पूर्व में उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के लोग गुब्बारों के जरिये एक दूसरे के खिलाफ पत्रों को बॉर्डर पार पहुंचाते रहे हैं। हालांकि, इसी महीने दक्षिण कोरियाई संसद ने इसे गैर-कानूनी करार दिया है, जिसका दक्षिण कोरिया में कुछ हद तक विरोध भी देखने को मिला था।
उत्तर कोरिया पर UN द्वारा प्रतिबंध लगाए गए हैं, इसके साथ ही इस देश का चीन के साथ व्यापार भी कम होता जा रहा है। Washington Post की एक रिपोर्ट के मुताबिक अकेले वर्ष 2020 में उत्तर कोरिया और चीन के बीच में व्यापार में 75 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है। इसका एक बड़ा कारण यह हो सकता है कि कोरोना के कारण उत्तर कोरिया ने चीन के साथ लगे बॉर्डर को पूरी तरह सील कर दिया था। यहाँ तक कि चीनी सरकार ने अपने नागरिकों को सावधान किया था कि अगर वे उत्तर कोरिया के बॉर्डर के नजदीक जाते हैं तो उन्हें गोली लगने का खतरा होगा।
उत्तर कोरिया पर अब चीन का प्रभाव कम होता जा रहा है। इसकी बजाय अब यह देश रूस और दक्षिण कोरिया के नजदीक जाता जा रहा है। हाल ही में देश में रूसी वैक्सीन Sputnik V के आयात की खबरें भी देखने को मिली थी, जिसे उत्तर कोरिया में मौजूद रूसी दूतावास से पुष्ट करने से इंकार किया है। अब दक्षिण कोरिया के साथ नजदीकी बढ़ाने से उत्तर कोरिया को तो आर्थिक फायदा होने की उम्मीद है ही, साथ ही चीन के प्रभाव से मुक्त होकर इस देश को अन्य वैश्विक ताकतों के साथ वार्ता करने का बेहतर मौका भी मिल सकेगा।