कई महीनों की तकरार के बाद अब ऐसा लगता है चीन ने ऑस्ट्रेलिया को एक शांति प्रस्ताव भेजा है। चीन में जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किए गए ऑस्ट्रेलियाई लेखक Yang Hengjun के ट्रायल को चीन ने टालने का फैसला लिया है।
दरअसल, चीन में जन्मे ऑस्ट्रेलियाई लेखक और लोकतंत्र समर्थक राजनीतिक टिप्पणीकार Yang Hengjun पर लगभग दो साल की नजरबंदी के बाद चीन में जासूसी का आरोप लगाया गया है, लेकिन अब चीन ने उनके ट्रायल में देरी करने का फैसला लिया है। यह ऑस्ट्रेलिया के लिए एक संकेत की तरह हो सकता है कि चीन कई महीनों के विवाद के बाद अब इस कदम से मामले को सुलझाने के लिए बातचीत को तैयार है।
बता दें कि Yang Hengjun के मित्र और समर्थक Feng Chongyi ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट को बताया कि चीनी अधिकारियों के अनुसार उनके जासूसी के मामले की “गंभीरता और जटिल प्रकृति” के कारण ट्रायल को 9 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया गया था। हालांकि, चीन अपनी मजबूती दिखाने के लिए इस तरह के बयान अवश्य देगा लेकिन उसे अभी पता है कि उसके इस कदम का जियोपॉलिटिक्स पर क्या असर पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि इस देरी का कारण वास्तव में Yang का अपनी गलती न स्वीकार करना है क्योंकि चीन में किसी भी अपराध को साबित करने के लिए के लिए स्वीकारोक्ति की अहम भूमिका होती है।
Feng ने कहा कि Yang ने आखिरी बार 17 दिसंबर को ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों से कांसुलर सहायता प्राप्त की थी और वे अपने मामले पर जल्द से जल्द अदालत में बहस करना चाहते हैं।
बता दें कि चीनी मूल के ऑस्ट्रेलियाई लेखक और लोकतंत्र समर्थक राजनीतिक टिप्पणीकार Yang Hengjun को औपचारिक रूप से चीन में जासूसी के आरोप में लगभग दो साल हिरासत के बाद आरोपित किया गया था। यांग जब जनवरी 2019 में वीजा से संबन्धित मामले के लिए चीन पहुंचे थे तब उन्हें हिरासत में लिया गया था। 55 वर्षीय Yang Hengjun को चीनी विदेश मंत्रालय का पूर्व कर्मचारी कहा जाता है। परंतु अब उनके पास ऑस्ट्रेलियाई नागरिकता है। प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन पहले ही कह चुके हैं कि ऑस्ट्रेलिया Yang के मामले में एक पारदर्शी, निष्पक्ष और न्यायपूर्ण प्रक्रिया पर जोर दे रहा है।
यही नहीं चीन को यह पता है कि अगर Yang Hengjun को सजा सुनाई जाती है तो ऑस्ट्रेलिया भी चुप नहीं बैठेगा और चीन के खिलाफ अवश्य ही कार्रवाई करेगा। ऑस्ट्रेलिया का चीन के साथ आर्थिक सम्बन्ध पहले ही निम्न स्तर पर चल हैं, ऐसे में वह किसी भी कड़े कदम से पीछे नहीं हटेगा जो चीन की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है। हो सकता है कि ऑस्ट्रेलिया चीन को Iron Ore के निर्यात को भी कम या बंद कर दे जिस पर चीन अत्यधिक निर्भर है। चीन अपने लौह अयस्क का 60% ऑस्ट्रेलिया से आयात करता है, और बहुत अधिक निर्भर है। चीन में प्रति वर्ष लगभग 1 बिलियन टन लौह अयस्क की खपत होती है, जिसका 60% ऑस्ट्रेलिया से आता है। चीन के लिए ऑस्ट्रेलियाई लौह अयस्क की बिक्री बंद होने से चीन के बाजार को एक बड़ा झटका लगेगा। इससे चीनी स्टील निर्माताओं के लिए परिचालन और लागत संबंधित चुनौतियां पैदा हो जाएंगी। कोरोना वायरस के कारण विश्व के लगभग सभी देशों की अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से गुजर रही है और चीन की भी यही हालत है।
ऐसे में चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था को दोबारा से पटरी पर लाने के लिए एक बड़े इनफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट की शुरुआत की है। इसी क्रम में बीजिंग और शंघाई सहित कई चीनी प्रांतों ने प्रमुख इनफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के विकास के लिए अपनी योजनाओं की घोषणा की है, जिसका कुल निवेश लगभग 600 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। प्रोजेक्ट्स में लगभग सभी तरह के निर्माण शामिल है जैसे सड़कें, हवाई अड्डे,रेलवे और उन्नत तकनीक जैसे Artificial Intelligence applications. और इस पूरे इनफ्रास्ट्रक्चर को बनाने के लिए सबसे अधिक Steel और Iron की ही आवश्यकता होगी, और Steel और Iron के लिए Iron Ore बेहद आवश्यक है।
यानि देखा जाए तो चीन अभी अपनी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए ऑस्ट्रेलिया पर ही सबसे अधिक निर्भर है। इससे स्पष्ट पता चल रहा है कि आखिर चीन ऑस्ट्रेलिया से आने वाले Iron Ore को निशाना क्यों नहीं बना रहा है। यह चीन की मजबूरी है कि उसे अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए ऑस्ट्रेलिया की मदद लेनी ही पड़ेगी।अगर ऑस्ट्रेलिया ने चीन को ठेंगा दिखाकर अपना Iron Ore दूसरे देशों को बेचना शुरू कर दिया, तो चीन की अर्थव्यवस्था रसातल में जाने लगेगी। शायद इसी वजह से अब ऐसा लगता है कि चीन ऑस्ट्रेलिया की तरफ अपने रिश्तों को सुधारने के लिए इशारा कर रहा है।