जब सभी को यह लगा था कि अब चीन के खिलाफ दुनिया भर के देशों का टेक-वार समाप्त हो गया तभी रूस चीनी वीडियो शेयरिंग ऐप्प टिक-टॉक के खिलाफ एक प्लान के साथ आया है। मीडिया रिपोर्ट की माने तो रूस वीडियो शेयरिंग ऐप्प के क्षेत्र में प्रवेश करने जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रूस टिक-टॉक के अपने संस्करण को लॉन्च करने के लिए पूरी तरह तैयार है जो रूस में मौजूद टिक-टॉक के यूजर्स को हथिया लेगा। इसके अलावा, रूस के निचले सदन ने एक बिल पारित किया है जो रूस के सोशल मीडिया दिग्गजों की पहुंच को प्रतिबंधित करने की शक्ति प्रदान कर सकता है। यानि अब रूस इंटरनेट की टेक कंपनियों के प्रतिस्पर्धा में अपनी कंपनियों को उतारने वाला है और इसका सबसे पहले निशाना चीन का टिक-टॉक है।
रिपोर्ट के अनुसार रूस की प्रमुख मीडिया होल्डिंग कंपनी वीडियो-शेयरिंग सोशल नेटवर्क टिकटॉक के समान ही एक ऐप्प लॉन्च करेगी। इस मीडिया होल्डिंग कंपनी को रूस की ऊर्जा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी Gazprom द्वारा नियंत्रित किया जाता है। Kommersant business daily ने Gazprom-Media के CEO अलेक्जेंडर ज़ारोव का हवाला देते हुए बताया कि होल्डिंग ने ” Ya Molodets ” नामक एक सर्विस खरीदी है।
ज़ारोव ने बताया कि इस ऐप्प को Innopraktika foundation के समर्थन से विकसित किया गया था, जो Katerina Tikhonova द्वारा संचालित एक संगठन है। बता दें कि Katerina Tikhonova को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की कथित बेटियों में से एक माना जाता है।
ज़ारोव ने कहा कि Gazprom-Media रूसी ब्लॉगर्स के लिए एक नई वीडियो सर्विस के निर्माण में तेजी लाने जा रही है। यह ऐप चीनी सोशल नेटवर्क ऐप्प टिक-टॉक की तरह ही छोटे वीडियो शेयर करेगा। बता दें कि रूस में टिक-टॉक बेहद लोकप्रिय हैं और इस देश में लगभग 20 मिलियन से अधिक बार इसे डाउनलोड किया जा चुका है।
यानि रूसी वीडियो शेयरिंग ऐप्प के आने के बाद चीनी टिक-टॉक की कमर टूटनी तय है। यह न सिर्फ रूस में टिक-टॉक के बाजार को खराब करेगा बल्कि उसे मिट्टी में मिला देगा। अगर देखा जाए तो यह एक तरह से चीन के खिलाफ रूस के तकनीकी क्षेत्र में युद्ध की शुरुआत ही है।
इस महीने की शुरुआत में ज़ारोव ने घोषणा की, कि Gazprom-Media अगले दो वर्षों में YouTube के समान दो वेबसाइट लॉन्च करेगा, जिसमें से एक आरट्यूब स्ट्रीमिंग सेवा का एक उन्नत संस्करण होगा। यानि रूस के निशाने पर अन्य इंटरनेट कंपनियाँ भी हैं।
यही नहीं इसके अलावा रूस के निचले सदन ने एक बिल पारित किया है जिससे रूस को किसी भी सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनियों की पहुंच को प्रतिबंधित करने की शक्ति मिल जाएगी है।
यदि अमेरिकी सोशल मीडिया दिग्गज कंपनी जैसे फ़ेसबूक, या गूगल रूसी मीडिया के खिलाफ “भेदभाव” करते हैं और प्रतिबंधित सामग्री को कहने पर भी नहीं हटाते हैं, तो इस बिल के तहत उन प्लेटफार्मों पर बड़ा जुर्माना लगाया जा सकता हैं। इस बिल को तैयार करने वाले ने बताया कि YouTube और Facebook के द्वारा किए गए उल्लंघन ने इस कानून की आवश्यकता को दर्शाया था। अब इस बिल के आने के बाद रूस की इंटरनेट “संप्रभुता” को बनाए रखा जा सकेगा।
यानि रूस की रणनीति सरल है। एक तरफ टिक-टॉक के बाजार को समाप्त करना तथा दूसरी तरफ अन्य कंपनियों को प्रतिबंधित कर रूसी ऐप्प के लिए रूस में स्थान बनाना। विश्व भर के देश चीन के खिलाफ अपने टेक वार को अंजाम दे चुके हैं। भारत ने 300 से अधिक चीनी ऐप्प को बैन किया था तो वहीं अमेरिका ने चीनी दिग्गज हुवावे को ही बैन कर दिया है।
इसी तरह बाकी देश भी अपने-अपने अनुसार चीन के बहिष्कार में लगे हुए हैं। अभी तक शांत बैठे रूस ने अब चीन के खिलाफ युद्ध में प्रवेश किया है और वह भी एक बड़े धमाके के साथ। अब यह देखना होगा कि रूस अगला कदम क्या उठाता है।