उत्तर प्रदेश के अगले विधानसभा चुनावों को लेकर बीजेपी ने अभी से अपनी रणनीति बनानी शुरु कर दी है। प्रधानमंत्री ने अपने सबसे खास और भरोसेमंद शख्स को यूपी भेजा है, लेकिन राजनीतिक खेमें में अभी इस बात की खास चर्चा है ही नहीं, क्योंकि वो इस प्लानिंग को समझ ही नहीं पाए हैं। ये शख्स कोई और नहीं बल्कि ए के शर्मा हैं, जो पिछले 20 वर्षों से पीएम मोदी के साथ IAS के तौर पर काम कर चुके हैं, और उनके करीबी माने जाते हैं। अब वो उत्तर प्रदेश विधान परिषद के चुनाव में बीजेपी द्वारा प्रत्याशी बनाए गए हैं। उन्होंने हाल ही में वीआरएस लेकर भाजपा का दामन थामा था इसके तुरंत बाद ही बीजेपी द्वारा उन्हें उत्तर प्रदेश विधान परिषद के चुनाव का प्रत्याशी बनाया गया है। उन्हें एक दिन में इतने बड़े पद के लिए नामित कर दिया गया, जो दिखाता है कि असल में उन्हें किसी खास मकसद से यूपी भेजा गया है और यहां उन्हें यूपी चुनावों को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मदद करनी है।
इसमें कोई शक नहीं है कि यूपी एक बड़ा प्रदेश है जिसे संभालने के लिए एक बड़े पावर सेंटर के अलावा अलग- अलग स्तर पर कुछ जरूरी पावर सेंटरों की आवश्यकता होगी। 2017 में पार्टी ने इस परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए यूपी में योगी के साथ दो डिप्टी सीएम नियुक्त किए थे। ये कहना गलत न होगा कि योगी और उनकी कैबिनेट ने पिछले तीन वर्षों में कानून व्यवस्था से लेकर सभी जमीनी मुद्दों पर बेहतरीन काम किया है लेकिन इन सबके बावजूद प्रदेश के बड़े होने के चलते राज्य में अपराध से लेकर भ्रष्टाचार की जड़ें काफी मजबूत है जिसकी अपनी कुछ विशेष वजहें हैं।
2017 में यूपी सरकार तो बदल गई थी, लकिन अधिकारी तो लगभग वही ही हैं, नतीजा ये कि अधिकारी अपनी ढुल-मुल नीति से बाज नहीं आ रहे हैं। इन सब कारणों के चलते यूपी सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है । ऐसे में यूपी में एक अनुभवी नेता की आवश्यकता है जो सीएम का करीबी होने के साथ ही अधिकारियों और राजनेताओं के बीच कार्यप्रणाली का संयम स्थापित कर सके। इस पूरी स्थिति को देखते हुए ही प्रधानमंत्री ने अपने ही करीबी आईएएस अधिकारी को नौकरी से रिटायर होने के बाद उत्तर प्रदेश भेज दिया।
पीएम का आदेश इसे इसलिए भी कहा जा सकता है क्योंकि वीआरएस लेने के ठीक बाद उन्होंने बीजेपी ज्वाइन की और ठीक एक दिन बाद ही उन्हें उत्तर प्रदेश में हो रहे विधानपरिषद चुनावों के लिए प्रत्याशी बना दिया गया। उनके नामांकन के दौरान यूपी बीजेपी के सभी बड़े नेता मौजूद थे, जिनमें यूपी बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा भी थे। जिस तरह से उन्हें यूपी में स्पेशल ट्रीटमेंट मिल रहा है वो ये दिखाता है कि उन्हें प्रधानमंत्री और केन्द्रीय नेतृत्व ने किसी प्रयोजन से ही भेजा है, और वो प्रयोजन केवल योगी की मदद करने का है, और जल्द ही प्लानिंग के तहत ही संभावनाएं हैं कि उन्हें योगी कैबिनेट का कोई अहम पद भी जाएगा।
ऐ के शर्मा 20 साल से मोदी के साथ काम कर चुके हैं, पहले तब जब पीएम मोदी गुजरात के सीएम थे और फिर बाद में जब वो देश के पीएम बने। उन्हें मोदी स्टाइल काम करने का अच्छा खासा अनुभव है। ऐसे में बीजेपी ने उन्हें अपनी प्रयोगशाला यानी उत्तर प्रदेश भेजा है जहां उन्हे 2022 विधानसभा चुनावों के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मदद करनी है, क्योंकि जिस तरह से योगी उत्तर प्रदेश में काम कर रहे हैं उससे विपक्षी पार्टियों के पसीने छूट रहे हैं और समय है कि उन्हें मोदी स्टाइल काम करने वाला कोई साथी मिले जो पर्दे के पीछे योगी के लिए रणनीति तैयार करे।