दुष्प्रचार के आधार पर ही सही, लेकिन पंजाब से शुरु हुए किसान आंदोलन का अब बुरा असर बीजेपी को सियासी रूप से देखने को मिल रहा है, स्थिति ये है कि भाजपा अब पंजाब में अपने सियासी गढ़ में भी औंधे मुंह गिर पड़ी है। हाल के पंजाब में हुए निकाय चुनावों के नतीजों में सबसे बड़ा फायदा कांग्रेस को ही हुआ है। इसके अलावा अकाली दल और आम आदमी पार्टी भी हाशिए पर चली गईं हैं, जो ये साबित करता है कि कांग्रेस द्वारा पंजाब के लोगों में फैलाया गया भ्रम अब बीजेपी पर सबसे ज्यादा भारी पड़ रहा है। ऐसे में यदि बीजेपी को पंजाब में अपना राजनीतिक रसूख बढ़ाना है, तो यहां की जनता के भ्रम को जमीनी स्तर पर जाकर दूर करना ही होगा।
पंजाब में हुए निकाय चुनावों की स्थिति की बात करें, तो राज्य की लगभग सभी सीटों पर कांग्रेस बिना किसी टक्कर के आगे निकल रही है। आम आदमी पार्टी से लेकर लेफ्ट और अकाली दल जैसी सभी पार्टियां हाशिए पर लुढ़क गईं हैं। वहीं, बीजेपी की स्थिति तो बद से बदतर हो गई है। कांग्रेस ने चुनाव से ठीक पहले केन्द्र द्वारा पारित किसानों के विरोध में जो हवा चलाई थी, वो अब कामयाब होती दिख रही है। भले ही कांग्रेस ने इस मुद्दे पर जनता को भ्रमित किया हो लेकिन सच तो यही है कि सियासत और परसेप्शन की इस जंग में बीजेपो पछाड़ कर कांग्रेस आगे निकल गई है।
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इस स्थिति को देखते हुए अब बीजेपी के वरिष्ठ नेता और गृहमंत्री अमित शाह भी देर से ही सही, लेकिन एक्शन में आ गए हैं, और वो अब वो विपक्ष द्वारा बनाए गए इस तिलिस्म को तोड़ने की कोशिशों में जुट गए हैं। उन्होंने इस मुद्दे पर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ पंजाब हरिय़ाणा, दिल्ली , पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बीजेपी नेताओं के साथ बैठक की है क्योंकि बीजपी को अंदरखाने ये खबर लग चुकी है, कि इस फर्जी किसान आंदोलन से उसे करीब 40 लोकसभा सीटों की बड़ी चपत लग सकती हैं, जो कि सियासी रूप से काफी अहम है।
अमित शाह की इस बैठक में जाट, गुर्जर और सिख जैसे सभी समुदायों का भी खास ध्यान रखा गया है। बैठक में तय किया गया है कि सभी नेता और सांसद अपने-अपने इलाके में जाकर केन्द्र द्वारा पारित कृषि कानूनों के मुद्दों पर लोगों को जागरुक करें और इस अभियान से विपक्षियों द्वारा फैलाए जा रहे भ्रम की काट की जा सके। इस बैठक में यूपी, हरियाणा और राजस्थान के 10 बीजेपी सांसद, 14 विधायक और 40 कार्यकर्ता मीटिंग में हिस्सा ले रहे हैं। इस दौरान बीजेपी अध्यक्ष किसान आंदोलन और कृषि कानूनों को लेकर आम लोगों में क्या राय है, इसके बारे में फीडबैक लेंगे।
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साफ है कि कांग्रेस द्वारा कृषि कानूनों का दुष्प्रचार उसे पंजाब में फायदा पहुंचा रहा है, जिससे कांग्रेस के मंसूबे अन्य राज्यों की तरफ भी रुख कर सकते हैं। ऐसे में बीजेपी नेता और पार्टी के चाणक्य अमित शाह डैमेज कंट्रोल के मोड में आ चुके हैं। वो जानते हैं कि इस भ्रम की असल काट अब जमीनी स्तर पर उतर कर ही की जा सकता है।
इसलिए शाह ने अपने मिशन पंजाब को पुनः आगे बढ़ाने के साथ ही अन्य राज्यों में किसान आंदोलन को लेकर फैले भ्रम की काट करने के लिए एक हाई लेवल टीम तैयार कर ली है जो कि जल्द से जल्द सरकार के प्रति नकारात्मक हो चुके इस रुख को कंट्रोल करेगी।