कहते हैं जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदते हैं, बाद में वे खुद उसी गड्ढे में गिर जाते हैं। कुछ ऐसा ही अभी तृणमूल काँग्रेस के साथ हो रहा है। दरअसल बांकुड़ा में स्थित TMC पार्टी दफ्तर में बम विस्फोट हुआ है, लेकिन ममता बनर्जी इस विषय पर कुछ भी बोलने से बच रही हैं, क्योंकि वह नहीं चाहतीं कि उनकी फिर से खिल्ली उड़े।
बता दें कि पश्चिम बंगाल में पहले चरण की वोटिंग से एक दिन पहले शुक्रवार शाम को तृणमूल कांग्रेस (TMC) के एक पार्टी कार्यालय में बम धमाका हो गया। यह घटना बांकुड़ा जिले के जोयपुर की है। इस धमाके में तीन लोग जख्मी हो गए।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस विस्फोट के बाद दो गुट एक-दूसरे से भिड़ गए। TMC के कार्यकर्ताओं ने इंडियन सेकुलर फ्रंट (ISF) के कार्यकर्ता पर विस्फोट का आरोप लगाया है, जो इस समय काँग्रेस और वामपंथी मोर्चा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही है। इस पर दोनों गुटों के बीच बहस हुई और मामला मारपीट तक पहुंच गया। स्थिति बिगड़ती देख इलाके में पुलिस फोर्स तैनात की गई है।
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इस विषय पर TMC ने भाजपा का नाम क्यों नहीं लिया ? जिस पार्टी के प्रमुख को खरोंच लगने पर भी तृणमूल काँग्रेस भाजपा पर आरोप लगाती है, वह इस बार भाजपा का नाम लेने से क्यों बच रही है।
इसका कारण स्पष्ट है –TMC का कड़वा अनुभव । कुछ ही हफ्तों पहले ममता बनर्जी जब नंदीग्राम में चुनाव प्रचार के दौरान घायल हुई थी, तो उन्होंने बिना कुछ सोचे समझे भाजपा पर हमला करवाने का आरोप लगा दिया, लेकिन न तो स्थानीय लोगों ने ममता के दावों का समर्थन किया और न ही स्थानीय प्रशासन ने ममता की जी हुज़ूरी की। अंत में ममता अपना सा मुँह लेकर रह गईं और उन्हें अपनी चोट की वास्तविकता को छिपाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा।
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इसके अलावा पिछले कई दिनों से एक के बाद एक तृणमूल काँग्रेस की पोल खुलती ही जा रही हैं। अभी कुछ ही दिनों पहले एक बड़बोले नेता ने बीरभूम में रैली करते समय यह दावा कर दिया कि यदि 30 प्रतिशत मुसलमान एक हो गए, तो देश भर में 4 पाकिस्तान बन सकते हैं। यहाँ तक कि प्रशांत किशोर की दलीलें भी किसी काम की सिद्ध नहीं हो रही हैं। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि ममता बनर्जी ने बांकुरा में बम फटने के बावजूद चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी है, क्यों जहां उन्होंने कुछ भाजपा के विरुद्ध बोला, वहाँ उनकी भद्द पिटनी तय है।