देश के अल्पसंख्यक समाज के चंद लोग ऐसे हैं जो आज भी मुगल आक्रांताओं और शासकों के प्रति प्रेम जाहिर करते रहते हैं और अपने समाज के लोगों को बरगलाने के लिए कट्टरपंथ का एजेंडा चलाते हैं। कुछ ऐसा ही इरशाद रशीद (Irshad Rashid) नाम के एक मौलाना ने किया है। उसने सोमनाथ मंदिर के सामने खड़े होकर लुटेरे महमूद गजनवी को एक नेक इंसान बताते हुए उसकी तारीफों के पुल बांधे थे। इतना ही नहीं महमूद गजनवी और मोहम्मद बिन कासिम को इस्लाम का गौरव बताया था, जिसके बाद विवाद बढ़ने और मामला पुलिस के पास जाने पर ये मौलाना अपनी बातों से पलट गया है। इसके बयान तो डर के मारे बदल गए हैं लेकिन इसकी सोच नहीं।
इतिहास गवाह है कि मोहम्मद बिन कासिम और महमूद गजनवी ने हिन्दू समाज की ऐतिहासिक धरोहर और पवित्र सोमनाथ मंदिर को तोड़ा था और देश के हजारों मंदिरों में लूट-पाट भी की थी, लेकिन मौलाना इरशाद रशीद की नजर में ये दोनों ही लुटेरे एक हीरो और देव मानुष हैं। गुजरात के समुद्र तटीय क्षेत्र में सोमनाथ मंदिर के परिसर से करीब 1.5 किलोमीटर दूर खड़े होकर एक वीडियो बनाते हुए मौलाना इरशाद ने सोमनाथ मंदिर की तरफ इशारा करते हुए कहा, “यह वही मंदिर है, जिसे महमूद गजनवी व मुहम्मद कासिम ने फतह किया था। कासिम ने अपनी सेना के साथ इसी सागर को पार कर भारत को जीत लिया था। यह वही समुद्र है जो पाकिस्तान को भारत से जोड़ता है।”
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मौलाना इरशाद रशीद के अनुसार गजनवी और कासिम दोनों ही महान थे जिन्होंने इस्लाम को गौरवान्वित किया है। इस मौलाना ने गजनवी को एक बेहद ही नेक इंसान बताया है। उसका कहना है कि देश में आज गजनवी और कासिम को लुटेरा-चोर घोषित कर दिया है जबकि ये केवल एक झूठ है। वहीं, इस मसले पर सोमनाथ मंदिर के ट्रस्ट विजय सिंह चावड़ा ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद उस मौलाना को पानीपत से गिरफ्तार कर लिया गया है।
वहीं, इस मसले पर जब बवाल बढ़ने लगा है तो कट्टर पंथी मौलाना के भी सुर बदल गए हैं। उसका कहना है कि उसकी बातों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। उसने कहा, “मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा सब पूजा स्थल हैं। बस सबके तरीके अलग–अलग हैं। उसका मकसद मंदिर का अपमान करना या किसी की भावना को आहत करना नहीं था।” ये मौलाना अब खुद पर मुसीबत आने की स्थिति में बचाव के लिए धार्मिक सौहार्द से लेकर धर्म निरपेक्षता तक की बातें कर रहा है। उसका कहना है कि वो इस मामले में केवल मजाक कर रहा था। मौलाना ने इस मुद्दे पर सफाई तो दी है लेकिन इसका पुराना इतिहास भी इसी तरह के विवादित बयानों का रहा है।
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इस मौलाना इरशाद रशीद के इतिहास की बात करें तो ये हरियाणा के पानीपत के कुटानी रोड के मदरसे में पढ़ाता है। उसके आस-पास रहने वालों ने बताया है कि इस मौलाना का इतिहास ऐसा ही रहा है। लोगों ने कहा,“वाट्सएप और फेसबुक पर वह इस तरह की आपत्तिजनक बातचीत करता रहता था। उसे कई बार टोका गया, लेकिन नहीं माना।” साफ है कि ये मौलाना तुच्छ विचार रखता है और कट्टरपंथ का प्रसार करता रहता है।
इस मौलाना ने अपने वीडियो के मसले पर माफी तो मांग ली है लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या इस माफी से इसकी सोच बदल जाएगी, यकीनन नहीं। यही मौलाना मदरसे में अपनी सोच के मुताबिक बच्चों में भी कट्टरपंथ का प्रचार प्रसार करता होगा जो कि समाज के लिए खतरनाक है। इसलिए अब प्रशासन को इस शख्स के खिलाफ माफी मांगने के बावजूद सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।