फेसबुक के एक वरिष्ठ अधिकारी का एक वीडियो टेप वायरल हुआ है, जिसमें वह बता रहे हैं कि फेसबुक आज कितना शक्तिशाली हो चुका है और वह अमेरिकी सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि वह तुरंत हस्तक्षेप करके इस कंपनी को तोड़े।
दक्षिण-पंथी मीडिया आउटलेट Guerilla news ने अपने प्रोजेक्ट Veritas के तहत फेसबुक के Global Planning प्रमुख, Benny Thomas से बातचीत का टेप वायरल किया है, जिसमें Benny अपनी कंपनी पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं।
वीडियो में वह कह रहे हैं “मैं एक ऐसी कंपनी में काम करता हूँ जो दुनिया को बहुत नुकसान पहुंचा रही है “। आगे उन्होंने कहा “कंपनी बहुत कुछ अच्छा कर रही है, किंतु वह बहुत कुछ बुरा भी कर रही है।”
फेसबुक के CEO जुकरबर्ग के बारे में टिप्पणी करते हुए थॉमस ने कहा “मेरा कहना है, संसार में किसी राजा ने 2 अरब लोगों पर राज नहीं किया लेकिन मार्क जुकरबर्ग कर रहे हैं…और वह मात्र 36 वर्ष के हैं और यह किसी 36 वर्षीय व्यक्ति के लिए बहुत अधिक है….आपके पास 2 अरब लोगों के ऊपर राज चलाने की शक्ति नहीं होनी चाहिए, मैं मानता हूँ यह बहुत गलत है।”
Benny Thomas जो बात कह रहे हैं वह शत प्रतिशत सत्य है। फेसबुक पर डेटा चोरी करने के आरोप तो लगते ही हैं, अब तो उसका टकराव सीधा लोकतांत्रिक सरकारों से होने लगा है। फेसबुक के मालिक जुकरबर्ग किसी स्वतंत्र शासक की तरह व्यवहार करते हुए देशों के कानूनों को मानने से इनकार कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया में मॉरिसन सरकार और फेसबुक का हालिया टकराव इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
देखा जाए तो बिग टेक जाइन्ट जैसे फेसबुक, गूगल, ट्विटर आदि की बढ़ती ताकत को लेकर चर्चा पिछले 6 महीनों में काफी बढ़ गई है। विशेष रूप से ट्रम्प का ट्विटर अकाउंट सस्पेंड होने के बाद तो दुनियाभर में इन कंपनियों के व्यवहार पर चर्चा शुरू हो गई है। ट्रम्प का अकाउंट जब सस्पेंड हुआ था, उस समय वह राष्ट्रपति पद पर आसीन थे। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी था कि ट्रम्प का अकाउंट डिलीट होना क्या संकेत देता है?
क्या एक कंपनी को इतनी शक्ति मिलना उचित है कि वह दुनिया के सबसे ताकतवर देश के चुने हुए और पदासीन राष्ट्रपति को एक क्लिक में चुप करा दे। ट्रम्प की राजनीति को नापसंद किया जा सकता है, लेकिन अगर वह नियम तोड़ रहे थे, उनके बयान हिंसा फैला रहे थे तो भी वह अमेरिका के राष्ट्रपति थे और उनपर कार्रवाई का अधिकार फेडरल कोर्ट को था।
इसपर पहले भी बहुत चर्चा हुई है और फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रॉन से लेकर पोलैंड के प्रधानमंत्री Mateusz Morawiecki तक बहुत से लोगों ने अपनी चिंता व्यक्त की है। किंतु सीधे तौर पर फेसबुक के वरिष्ठ अधिकारी द्वारा ऐसा आरोप लगाना बहुत बड़ी बात है। थॉमस कंपनी के विस्तार में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्हें भी कंपनी से बहुत लाभ मिलता है। लेकिन इसके बाद भी वह कंपनी के पास केंद्रित हो रही असीमित शक्ति को लेकर चिंतित है। एक ऐसे समय में जब ‘Data’ को नई दुनिया का ‘Oil’ माना जा रहा है, हर बड़ी कंपनी उपभोक्ताओं पर पकड़ बनाने के लिए ‘Data analysis’ पर निर्भर है, फेसबुक दुनिया की एक बड़ी आबादी का सारा Data रख रहा है।
थॉमस ने कहा कि कंपनी फेसबुक के अलावा Instagram, Oculus और WhatsApp जैसे बड़े प्लेटफार्म को नियंत्रित करती है और “इन कंपनियों को एक दूसरे से अलग कर दिया जाना चाहिए” क्योंकि “एक साथ मिलकर यह बहुत ही अधिक शक्तिशाली बन जाते हैं”।
देखा जाए तो 2 अरब लोगों की सोच, उनके बोलने, लिखने, उनकी रुचि सभी को नियंत्रित करने की शक्ति मार्क जुकरबर्ग के हाथ में है। यही कारण है कि थॉमस ने कहा “कंपनी को तोड़ देना चाहिए और जुकरबर्ग को CEO के पद से हटा देना चाहिए। थॉमस ने वीडियो में गूगल की ताकत को लेकर भी प्रश्न उठाए”। उन्होंने यहां तक कहा कि वह कम धन कमाकर भी खुश रहेंगे लेकिन अमेरिकी सरकार को अब हस्तक्षेप करना चाहिए और फेसबुक, गूगल जैसी बड़ी कंपनियों को तोड़ देना चाहिए।
थॉमस जो बात कह रहे हैं वह आज स्वतंत्र समाज के इच्छुक हर व्यक्ति से जुड़ी है। हम ऐसे दौर में हैं जहाँ इंटरनेट हमारे शिक्षक से लेकर मित्र सभी की भूमिका में है, कुछ चुनिंदा प्लेटफॉर्म पर हम घंटों सर्फिंग करते हैं, यह सोचकर कि हम अपने मन की बाते देख रहे हैं। लेकिन हममें से अधिकांश इससे अनभिज्ञ हैं कि हम जो देख रहे हैं वो एक अल्गोरिदम की देन है, जिसपर हमारा कोई जोर नहीं। ये अल्गोरिदम हमारी सोच को प्रभावित करता है, हमारे सामान खरीदने से लेकर हमारे राजनीतिक रुझान सब इसी से प्रभावित होते हैं। ऐसे में यह विचारणीय है कि “क्या बिग टेक आम आदमी के दिमाग को काबू कर उसे गुलाम बना रहा है?”