हिमालय की तलहटी में बसा नक्सलबाड़ी माओवादी आंदोलन के जन्म स्थान के रूप में जाना जाता है, लेकिन अब यह क्षेत्र भगवा रंग में रंग चुका है। इस बार विधानसभा चुनाव में नक्सलबाड़ी में बीजेपी को जीत की उम्मीद है। उत्तर बंगाल के कॉमर्शियल हब माने जाने वाले सिलीगुड़ी से 25 किलोमीटर दूर नक्सलबाड़ी में अब बदलाव की झलक स्पष्ट दिखाई दे रही है।
हालांकि, पहले कम्युनिस्ट पार्टी और फिर TMC की सरकार आने के कारण लोगों को गरीबी से छुटकारा नहीं मिला है, लेकिन नक्सली आंदोलन के उस दौर के मुकाबले परिवर्तन दिखाई दे रहा है। अब तो हाल यह है कि नक्सल आंदोलन से जुड़े लोग बीजेपी की तरफ झुकने लगे हैं। इसका कारण कुछ और नहीं बल्कि लेफ्ट की विचारधारा में बदलाव और टीएमसी की तुष्टिकरण की राजनीति है। आज नक्सलबाड़ी में वामपंथ का लाल रंग कम और भगवा रंग अधिक दिखाई दे रहा है।
दरअसल नक्सलबाड़ी अपने विद्रोह भरे अतीत से आगे बढ़ गया है और अब विकास की राह पर आगे बढ़ना चाहता है। सिलीगुड़ी को नक्सलबाड़ी से जोड़ने वाली सड़क उत्तर पश्चिम में नेपाल सीमा की ओर जाती है और वहां हो रहे विकास की खुशबू दूर से ही आती है।
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सामान्य तौर पर देखा जाए तो नक्सलबाड़ी विरोधाभासों का एक जीता जागता उदहारण है। छोटी-छोटी झोंपड़ियों के बीच की घाटियों और हरे-भरे चाय के बागानों से गरीबी के संकेत मिलते हैं। नक्सलबाड़ी से आंदोलन का नेतृत्व करने वाले प्रसिद्ध माओवादी अब अपनी ढलती उम्र की ओर हैं। कानू सान्याल के साथ काम कर चुके शांति मुंडा जैसे कार्यकर्ता अब 80 साल की उम्र को पार कर चुके हैं। इस क्षेत्र में भगवा रंग के बढ़ने की सबसे बड़ी वजह यह है कि लेफ्ट पार्टी अपनी विचारधारा खो चुकी हैं।
शांति मुंडा ने ANI से बातचीत करते हुए बताया कि ‘इसके लिए लेफ्ट जिम्मेदार है। अब उनकी कोई विचारधारा नहीं है। वो समझते हैं कि पैसा ही सबकुछ है। इस जमीन के लिए हमारी पूरी पीढ़ी ने संघर्ष किया, लेकिन सच्चाई यह है कि आज हमारी अगली पीढ़ी या तो जमीन बेचने के लिए मजबूर है या लालच में जमीन बेच रही है। यहां तक कि मैंने भी अपना घर बनाने के लिए अपनी तीन कट्ठा जमीन बेची है।’
मुंडा ने कहा कि उन्हें राज्य या केंद्र सरकार की ओर से गरीबों के लिए आवास योजना को कोई लाभ नहीं मिला है। उसके पास अब 3.5 कट्ठा जमीन है। भूमि के उस छोटे से भूखंड से होना वाली उपज उसके परिवार को खिलाने के लिए अपर्याप्त है। उन्होंने कहा, “क्षेत्र में पानी की भारी कमी के कारण, खेती ठीक से नहीं हो रही, जिससे लोग शहरों में पलायन कर रहे हैं।”
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कानू सान्याल के संगठन की महासचिव जुड़ीं दीपू हल्दर ने ANI से बातचीत के दौरान बताया कि, ‘मैं ये नहीं कहती कि हमने सबकुछ गंवा दिया है, लेकिन हां हमने बहुत कुछ खो दिया है। इस हालात के लिए लेफ्ट फ्रंट जिम्मेदार है। हमने 34 वर्षों तक पश्चिम बंगाल में शासन किया, लेकिन हमारे नेताओं ने बंगाल के आम लोगों के लिए क्या किया ? हम विचारधारा में विश्वास करते हैं, लेकिन जब लेफ्ट विचारधारा भूल गया तो सबकुछ धीरे-धीरे खत्म होना शुरू हो गया।’
जब एएनआई ने उनसे पूछा कि क्या लाल इलाका अब भगवा रंग में रंग चुका है, तो वो बोलीं, ‘लाल से भगवा एक दिन में नहीं हुआ है। यह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ है, जिसने इस इलाके में बहुत कड़ी मेहनत की है। बीजेपी अकेले ये सब नहीं कर सकती थी।’ स्पष्ट है TMC के आतंक के बावजूद आरएसएस के कार्यकर्ता अपनी जान पर खेल कर लोगों से जुड़ने का काम करते रहे हैं। आज इसी का नतीजा है कि यह क्षेत्र भगवा रंग में नजर आ रहा है।
हल्दर ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कुशासन को इस क्षेत्र में भाजपा के उभरने के पीछे एक कारण के रूप में भी गिनाया। उनका कहना है कि, “इस स्थिति के लिए, ममता बनर्जी भी जिम्मेदार हैं। वामपंथी दलों ने जो 34 वर्षों में किया, टीएमसी तो 10 साल में ही उससे आगे निकल गई है और अब वह रो रही है।“
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पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के पांचवें चरण में नक्सलबाड़ी में 17 अप्रैल को चुनाव होने हैं। यद्यपि सभी दल अपने उम्मीदवारों के लिए प्रचार कर रहे हैं, लेकिन भाजपा के झंडे का प्रभुत्व आसानी से देखा जा सकता है। माटीगाड़ा-नक्सलबाड़ी विधानसभा क्षेत्र में पांचवें चरण में 17 अप्रैल को वोटिंग होनी है।
बीजेपी ने यहां कांग्रेस के मौजूदा विधायक शंकर मालाकार और टीएमसी के रंजन सुंदास के खिलाफ आनंदमॉय बर्मन को टिकट दिया है। आनंदमॉय बर्मन ने कहा, ‘मोदी जी के नेतृत्व में किया जा रहा सबका साथ सबका विकास नक्सलबाड़ी के लोगों को पसंद आ रहा है। आप इस इलाके में बीजेपी के लिए लोगों का प्रेम देख सकते हैं और मैं यहां से जीतने जा रहा हूं।
बता दें कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में मतों की गिनती 2 मई को होगी। उसके बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि आखिर जीत किसकी हुई, लेकिन जिस तरह से बीजेपी और RSS ने मिलकर नक्सलबाड़ी क्षेत्र में काम किया है। उसका असर अब स्पष्ट दिखाई दे रहा है और कभी लेफ्ट के लाल में रंग यह क्षेत्र अब भगवा रंग में रंगने को तैयार है।