सालों से चल रहे प्रसार भारती को नए तौर-तरीकों से दौड़ाने की कवायद शुरू हो चुकी है। रिपोर्ट के अनुसार अब प्रसार भारती का कायाकल्प ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) की तर्ज पर किया जायेगा, जहाँ इंजीनियर पर कम और कंटेंट पर ज्यादा ध्यान दिया जायेगा। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो दोनों की पुनर्गठन योजना पर काम किया जा रहा है।
इस योजना की प्रक्रिया 2018 में शुरू की गई थी, जब प्रसार भारती ने कर्मचारियों को ऑडिट शुरू किया था। ‘अर्नस्ट और यंग’ को ऑडिट आउटसोर्स किया गया था, जिसमें इस परिवर्तन का सुझाव दिया गया था। इस ऑडिट के काम को फरवरी में पूरा किया गया।रिपोर्ट के अनुसार संगठन के 25,000 कर्मचारी तो सिर्फ इंजीनियरिंग डिवीजन में कार्यरत हैं। प्रसार भारती की कंटेंट टीम में कर्मचारियों की संख्या 20% से भी कम है, जबकि बीबीसी की यही कंटेंट टीम 70% है।
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प्रसार भारती के खर्चों में मैनपावर की लागत 60% से अधिक है, जबकि बीबीसी में यही लागत 30% है। प्रसार भारती की योजना अपने संगठन को छोटा करने की है। अगले पांच साल के दौरान लगभग आधे से अधिक कर्मचारी सेवानिवृत्त होने वाले हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि कर्मचारियों में से 10% से कम की उम्र 31 से 40 के बीच है। सिर्फ 5% लोग ही 20-30 के बीच के हैं, जबकि 60% से अधिक कर्मचारी 50 से अधिक उम्र के हैं।
इस योजना के दौरान एक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना भी पेश कर सकती है। इसी मॉडल पर वर्तमान में भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) भी काम कर रहा है। वीआरएस योजना 50 वर्ष से अधिक उम्र के कर्मचारियों को उचित मुआवजा प्रदान करेगी, जो सेवानिवृत्त होना चाहते हैं। साथ ही Contractual Employees की श्रेणी पर भी विचार किया जा रहा है।
प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर का कहना है कि, “मैनपावर ऑडिट एक लंबे समय से रुका हुआ काम था … यह देखना है कि हम विभिन्न मोर्चों पर सार्वजनिक प्रसारण कैसे बदल सकते हैं। हम कई स्टेक होल्डर्स से सलाह ले रहे हैं।“
प्रसार भारती ने पहले से ही क्लाउड आधारित प्रसारण और रिमोट मॉनिटरिंग जैसे प्रसारण में दक्षता बढ़ाने के लिए बदलाव शुरू कर दिए हैं। संचालन के संदर्भ में, यह डिजिटल प्लेटफार्मों पर भी स्थानांतरित हो गया है। संसदीय अधिनियम में बदलाव, जिसके तहत निकाय बनाए गए हैं, उन पर भी विचार किया जा रहा है।
इससे जुड़े लोगों का कहना है कि, “यह सार्वजनिक जनादेश है। लेकिन साथ ही, व्यावसायिक अपेक्षाएँ भी होनी चाहिए। प्रसार भारती के दर्शकों की संख्या कम है और यह केवल तभी बदल सकता है, जब कंटेंट को सुधारा जाए।” उन्होंने कहा कि बेहतर संपत्ति का उपयोग प्राथमिकता है। उन्होंने कहा, “इससे पहले, प्रसार भारती को एक मजबूत इंजीनियरिंग विभाग की आवश्यकता थी, लेकिन अब इसे कंटेंट पर ज्यादा फोकस करना होगा।”
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पूर्व I & B मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि जिस मूलभूत चीज को निर्धारित करने की आवश्यकता है। वह यह है कि क्या भारत को सार्वजनिक प्रसारणकर्ता की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि, “प्रसार भारती अधिनियम को 1990 में अस्तित्व में लाया गया था, लेकिन इसे आंशिक रूप से केवल 1997 में लागू किया गया था। दूरदर्शन और आकाशवाणी पर सरकार का एकाधिकार होने की पृष्ठभूमि में यह अधिनियम अस्तित्व में आया।“
अब यह देखना है कि इस योजना के बाद प्रसार भारती में क्या बदलाव होता है और कायाकल्प के बाद कंटेट में सुधार किस प्रकार का होता है। अगर ऐसा होता है तो भारत के पास भी एक अपना इंटरनेशनल ब्रॉडकास्टर होगा और वह भी बीबीसी लेवल का।