अगर अपना काम चल रहा है तो फिर राजनीति भी चलती रहनी चाहिए, तमिलनाडु सरकार ऑक्सीजन के मुद्दे पर यही नीति अपना रही है। सुप्रीम कोर्ट मेदांता ग्रुप के तमिलनाडु स्थित प्लांट में ऑक्सीजन उत्पादन को शुरू कराने की बात कर रहा है, जबकि राज्य की पिलानीस्वामी सरकार का कहना है कि उनके यहां ऑक्सीजन की दिक्कत नहीं है और स्टरलाइट प्लांट को शुरू करने से उस इलाके के आस-पास कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है। ये दिखाता है कि जब देश में जीवन रक्षक ऑक्सीजन की किल्लत है तो ऐसे वक्त में भी तमिलनाडु की सरकार निचले स्तर की घटिया राजनीति कर रही है।
तमिलनाडु के तूतीकोरिन में मेदांता ग्रुप के स्टरलाइट प्लांट में जीवन रक्षक ऑक्सीजन के उत्पादन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु की सरकार को जमकर लताड़ लगाई है, लेकिन इसका तमिलनाडु सरकार पर कोई खासा फर्क नहीं पड़ा है। इस मामले में चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े ने कहा, “इस प्लांट को वेदांता चलाए या कोई और, इससे उसे कोई मतलब नहीं है, उसे सिर्फ इस बात से मतलब है कि ऑक्सीजन का प्रोडक्शन होना चाहिए।” वहीं जस्टिस एलएनराव और जस्टिस एसआर भाट ने कहा, “इस मामले में किसी को ठोस जवाब देना होगा क्योंकि लोग ऑक्सीजन की कमी से मर रहे हैं।”
वहीं इस मामले में तमिलनाडु सरकार की तरफ से मामला रख रहे सीनियर एडवोकेट सीएस वैद्यनाथन ने कहा, “डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर आज सुबह वहां लोगों से बातचीत करने गए थे। वहां पूरी तरह से लैक ऑफ कांफिडेंस की स्थिति है, क्योंकि यहां पहले एक गोलीबारी में 13 लोग मारे गए थे।” उन्होंने कहा, “हम इसे लेकर जल्द ही एक एफिडेविट फाइल करेंगे।” बेहद ही अजीब तर्क है कि तमिलनाडु सरकार लॉ एंड ऑर्डर को इस संवेदनशील वक्त में भी संभालने में नाकाम रही है।
वहीं इस मामले में ये भी सामने आया है कि तमिलनाडु सरकार पहले ही इस प्लांट को अपने कब्जे में ले चुकी है और वो इससे ऑक्सीजन भी पैदा करती है। इस मामले में वहां प्रभावित हुए परिवारों की तरफ से पेश हुए वकील कोलिन गोंजाल्विस ने भी कहा कि ऑक्सीजन के प्रोडक्शन से उन्हें किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं है। तमिलनाडु में ऑक्सीजन की कोई समस्या नहीं है। इस स्थिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “अगर तमिलनाडु के पास सरप्लस ऑक्सीजन है तो अभी पूरे देश को इसकी जरूरत है तो फिर क्यों वह ऑक्सीजन नहीं बना रही है। देश की राष्ट्रीय संपत्ति का सभी नागरिकों को बराबर लाभ मिलना चाहिए।”
इस पूरी बहस का विश्लेषण करें तो साफ कहा जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर जल्द-से-जल्द समाधान करके तमिलनाडु के स्टरलाइट प्लांट में आक्सीजन बनाने के हक में हैं जबकि तमिलनाडु सरकार अपनी स्थानीय राजनीति की महत्वाकांक्षाओं के चक्कर में इस मुद्दे पर पल्ला झाड़ रही है। इससे इतर वो खुद उसी स्टरलाइट प्लांट से ऑक्सीजन का प्रोडक्शन कर रही है, लेकिन देश के लिए करने वाले प्रोडक्शन को लेकर वो लॉ एंड ऑर्डर का बेहूदा बहाना बना रही है। तमिलनाडु के इस रवैए की बड़ी वजह ये भी है कि उसके पास सरप्लस ऑक्सीजन है, इसीलिए उसके रुख में कोई नरमी नहीं है।
तमिलनाडु सरकार स्टरलाइट में ऑक्सीजन प्रोडक्शन के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से लताड़ झेलने के बावजूद अपनी बात से टस से मस नहीं हो रही है, ये दिखाता है कि पिलानीस्वामी का एक-एक कदम निचले स्तर की राजनीति से प्रेरित है।