जब से PM Cares चर्चा में आया है तब से ही विपक्षी पार्टियों ने इस पर विवाद पैदा करने की कोशिश की है। परन्तु हर बार उन्हें मुंह की खानी पड़ी है। एक बार फिर से इसी तरह की कोशिश की गयी परन्तु इस बार निशाने पर PM Care से ख़रीदा गए वेंटिलेटर थे। कुछ दिनों पहले पंजाब सरकार ने यह आरोप लगाया कि केंद्र सरकार द्वारा PM Care फंड से ख़रीद कर भेजा गया वेंटिलेटर ख़राब है।
जब केंद्र सरकार ने भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड के इंजीनियरों को जाँच के लिए भेजा तो यह बात सामने आई है कि वेंटिलेटर ख़राब नहीं बल्कि अस्पताल के अधिकारियों द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार फ्लो सेंसर, बैक्टीरिया फिल्टर और MHI फिल्टर को ही नहीं बदला जा रहा है, या इन महत्वपूर्ण उपभोग्य वस्तुओं के बिना वेंटिलेटर का उपयोग किया जा रहा है। यानी एक बार फिर से PM Care और Make in India को बदनाम करने की कांग्रेस की योजना धराशायी हो गयी।
TOI EXC:A check by engineers of Bharat Electronics Ltd(BEL) & assmnt by central team find states inc Punjab mismangd ventillator instaln,dumpd thm as non-functionl
1.Didnt change consumables:Flow & O2 sensors
2.Didnt recalib pressure acc to geographcl lochttps://t.co/6tlVrQ6Lgh— Rohan Dua (@rohanduaT02) May 16, 2021
दरअसल, कुछ दिनों पहले कई मीडिया रिपोर्ट्स सामने आई थी कि पंजाब में सरकारी डॉक्टर आरोप लगा रहे हैं कि उन्हें पीएम केयर्स फंड के तहत मिले सैकड़ों वेंटिलेटर बेकार पड़े हैं क्योंकि उनमें से ज्यादातर खराब हैं और उन्हें ठीक करने के लिए कोई रास्ता नहीं है। अब इन आरोपों पर जवाब देते हुए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने खुलासा किया है।
मंत्रालय ने बताया कि भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड (बीईएल) इंजीनियरिंग की एक टीम को पीएम केयर्स ऑक्सीजन वेंटिलेटर की रिपोर्ट के बारे में पूछताछ करने के लिए पंजाब भेजा गया था।
उनकी जांच में यह बात सामने आई है कि वेंटिलेटर ख़राब नहीं है। BIL ने सूचित किया है कि जीजीएस मेडिकल कॉलेज अस्पताल (GGSMCH), फरीदकोट में अधिकांश वेंटिलेटर खराब नहीं हैं, जैसा कि मीडिया के एक वर्ग में बताया जा रहा है।
इंजीनियरिंग की टीम ने बताया कि अस्पताल के अधिकारियों द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार फ्लो सेंसर, बैक्टीरिया फिल्टर और एचएमई फिल्टर को ही नहीं बदला जा रहा है, या इन महत्वपूर्ण उपभोग्य वस्तुओं के बिना वेंटिलेटर का उपयोग किया जा रहा है।
उन्होंने यह भी बताया कि कई कर्मचारियों को यह नहीं पता था कि वेंटिलेटर कैसे install किया जाए. यानी यह स्पष्ट है कि केंद्र ने पंजाब को पीएम केयर्स फंड के तहत खराब गुणवत्ता वाले वेंटिलेटर प्रदान नहीं दिया था। हालाँकि पंजाब की कांग्रेस सरकार ने लेफ्ट ब्रिगेड की मीडिया के साथ मिल कर इस मामले को तुल देने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
TOI ने वेंटिलेटर का उपयोग न करने के मुद्दे पर BEL से बात की। बीईएल के सीएमडी एम वी गौतम ने बताया कि, “मरीज के आईसीयू से जुड़े flow sensors होते हैं और फिर ऑक्सीजन सेंसर भी हैं। जब हमारी टीम फरीदकोट गई तो हमने देखा कि consumables को बदला नहीं गया था। हर बार जब कोई नया मरीज आईसीयू में आता है तो फ्लो सेंसर को बदलना अनिवार्य होता है।“
“There are flow sensors are connected with patient's ICU and then there are O2 sensors. When our team went to Faridkot, we saw consumables were not replaced. It is mandatory to change the flow sensor each time a new patient comes to ICU” M V Gowtham, CMD, BEL pic.twitter.com/4kv6bibDQo
— Rohan Dua (@rohanduaT02) May 16, 2021
उन्होंने आगे बताया कि, “कुछ वेंटिलेटर installation के दौरान फरीदकोट के latitude-longitude के साथ calibrate नहीं किए गए थे। जब भी वेंटिलेटर का स्थान बदलता है, तो उस स्थान के अनुसार ऑक्सीजन का दबाव बदलना चाहिए। ऑक्सीजन सेंसर की शेल्फ लाइफ होती है। यदि आप इसे एक दर्जन रोगियों के साथ 100% ऑक्सीजन के साथ उपयोग करते हैं, तो यह बिगड़ जाएगा, यह काम नहीं करेगा। ऑक्सीजन सेंसर को बदला जाना चाहिए, जो फरीदकोट में नहीं हुआ।“
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यही नहीं केंद्र सरकार के एक पत्र से यह भी खुलासा हुआ कि कई राज्यों के अस्पतालों या जहाँ वेंटिलेटर लगाया जाना था, वे उसके लिए तैयार ही नहीं थे। कहीं पाइप से O2 आपूर्ति नहीं है तो कही या पाइप में आवश्यक दबाव नहीं थे। यहां तक कि कहीं कही तो उचित electrical fittings भी नहीं था।
Further, explosive letter by centre to states that claimd ventil were non functional made scathing attack
"Its obsrvd ..a no. of hosp in states, sites werent ready for ventlr install.This incl avail of piped O2 supply or optimum pressre in pipe, even proper electrical fittings," pic.twitter.com/B4aQxFNGQe
— Rohan Dua (@rohanduaT02) May 16, 2021
यानी स्पष्ट है कि पंजाब द्वारा लगाया गया आरोप निराधार ही नहीं बल्कि के केंद्र सरकार के खिलाफ प्रायोजित हमला था जिससे पम मोदी और PM Care के तहत मिले वेंटिलेटर को बदनाम किया जा सके।
बता दें कि केंद्र ने बताया था कि अप्रैल 2020 में 60,000 वेंटिलेटर ऑर्डर किये गए थे और 49,960 से अधिक राज्यों में आवंटित किए गए थे तथा कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 12,000 वेंटिलेटर भेजे गए थे। इसमें से करीब 50,000 PM-CARES फंड के तहत भेजे गए। रिपोर्ट यह आई कि लगभग 4,854 वेंटिलेटर unused पड़े हैं जिसके बाद ख़राब वेंटिलेटर का प्रचार किया गया।