योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में कोरोना को कुछ ही दिनों में काबू कर लिया है। शनिवार को 2,287 नए मामले आए, जबकि शुक्रवार को 2,402 नए मामले आए थे। बृहस्पतिवार को 3,278, बुधवार को 3,371 और मंगलवार को 3,957 नए मामले सामने आए।
प्रदेश में पाॅजिटिविटी रेट 0.8 प्रतिशत है। प्रदेश में रिकवरी रेट 96.10 प्रतिशत है। एक दिन में ठीक होने वालों की संख्या कुल नए मामलों से तीन गुना अधिक है। शनिवार को 7,908 लोग ठीक हुए।
यही कारण है कि जहाँ बाकी राज्यों में अभी भी कोरोना थम नहीं रहा तो उत्तर प्रदेश में अब चरणबद्ध तरीके से Lockdown खोलने की शुरुआत होने वाली है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 31 मई के बाद लॉकडाउन की अवधि समाप्त होने पर 1 जून से सब्जी की दुकानों, किराना स्टोर को पूरे समय जबकि रेस्टोरेंट को आधी क्षमता के साथ खोलने की अनुमति मिल सकती है। कंस्ट्रक्शन का काम भी शुरू करने की अनुमति मिलने की संभावना है।
योगी आदित्यनाथ द्वारा किए गए प्रदेश के निरीक्षण दौरे के कारण यह सब संभव हुआ है। साथ ही प्रदेश सरकार ने 3T योजना ‛tracing, testing and treatment’ को आक्रामक तरीके से लागू किया है। 28 मई को प्रदेश में 3,30,289 कोरोना टेस्ट हुए। 28 मई तक प्रदेश में 4.87 करोड़ से अधिक टेस्ट हुए थे, यह पूरे भारत में सबसे अधिक है।
इसकी तुलना महाराष्ट्र से करें तो महाराष्ट्र के स्वास्थ मंत्री ने स्पष्ट कहा है कि प्रदेश में लॉकडाउन नहीं खुलेगा। प्रदेश में ब्लैक फंगस फैलने का भय है। एक दिन में 55 से अधिक मामले सामने आए हैं, जबकि महाराष्ट्र की जनसंख्या उत्तर प्रदेश के आधी से भी कम है।
पंजाब जनसंख्या के मामले में उत्तर प्रदेश से 8 गुना कम है लेकिन वहाँ रोजाना 3 हजार से अधिक मामले सामने आ रहे हैं। यह हाल तब है जब गाँवो की वास्तविक स्थिति का अंदाजा नहीं है। वहीं केरल की बात करें तो वहाँ 23 हजार से अधिक मामले सामने आए हैं। केरल में हालात नहीं सुधर रहे इसी कारण वहाँ लॉकडाउन 10 दिन बढ़ाना पड़ा है।
छत्तीसगढ़ में रोजाना 2.4 हजार मामले आ रहे हैं जबकि उसकी आबादी उत्तर प्रदेश से 8 गुना कम है
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एक तथ्य जिसकी ओर लोग ध्यान नहीं देते हैं, वह यह है कि, प्रदेश में हालात उस दौरान ही बिगड़े थे जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं कोरोना से संक्रमित होकर क्वारेंटाइन में रह रहे थे। उस समय थोड़े दिनों के लिए परिस्थितियां विकट हुई थीं। किन्तु ऐसा भी नहीं था कि यह हालत केवल उत्तर प्रदेश में बिगड़ी, वस्तुतः पूरा उत्तर भारत ऑक्सीजन की किल्लत से जूझने लगा था।
इसका एक कारण यह भी था कि, भारत में ऑक्सीजन प्लांट तटवर्ती राज्यों, जैसे गुजरात, उड़ीसा आदि जगहों पर हैं। इसलिये उत्तर भारत के राज्यों तक ऑक्सीजन सप्लाई पहुंचने में समय लग रहा था। किंतु जहाँ पंजाब, दिल्ली, राजस्थान जैसे राज्यों ने इसके लिए केंद्र पर दोषारोपण किया, आदित्यनाथ ने प्रदेश में ऑक्सीजन उत्पादन की व्यवस्था पर काम करना शुरू किया।
इसी कारण मात्र 17 दिनों में उत्तर प्रदेश ऑक्सीजन के मामले में आत्मनिर्भर बन गया। यह किसी करिश्मे से कम नहीं है।
उत्तर प्रदेश सरकार को उसकी उपलब्धियों के लिए मेन स्ट्रीम मीडिया में कोई जगह नहीं मिली। झूठी खबरें चलाकर प्रदेश सरकार को बदनाम करने की साजिश अब भी चल रही है। योगी का बढ़ता ग्राफ बहुत लोगों को पसंद आ रहा है क्योंकि योगी में भारत का अगला प्रधानमंत्री बनने की प्रबल संभावनाएं दिखती हैं।
ऐसे में बहुत से लोगों को यह पच नहीं रहा कि, एक हिन्दू सन्त को प्रधानमंत्री पद के भावी उम्मीदवार के रूप में लोगों द्वारा सराहा जाए। यही कारण है कि मीडिया में उत्तर प्रदेश सरकार की छवि धूमिल करने के लिए अभियान चल रहा है जबकि जमीनी हकीकत यह है कि उत्तर प्रदेश, कोरोना को नियंत्रित करने में भारत के सभी राज्यों के लिए एक रोल मॉडल है।