इन दिनों सोशल मीडिया पर फेक न्यूज और कोविड से संबंधित भ्रामक खबरों की बाढ़ सी आ चुकी है। इसके प्रति केंद्र सरकार से लेकर कई हस्तियों ने आगाह किया है, जिनमें अभी हाल ही में प्रखर निवेशक राकेश झुंझुनवाला ने ऐसे लोगों को बढ़ावा देने के लिए मीडिया को लताड़ा भी था, लेकिन अब समय आ चुका है कि ऐसे झोलाछाप सलाहकारों से बचने का।
सबसे पहले ध्रुव राठी को ही देख लीजिए। यह क्या करते हैं, किसी को कुछ पता नहीं, लेकिन इनकी लच्छेदार बोली से यदि कोई कुछ हद तक भी प्रभावित हो, तो चकित मत होइएगा। अपने आप को हर क्षेत्र का विशेषज्ञ मानने वाले इस व्यक्ति ने पिछल कुछ दिनों से अपने आप को कोविड के इलाज का विशेषज्ञ बना लिया है। इनकी माने तो कुछ स्टेरॉइड लेकर आप घर पर ही बिना किसी चिकित्सीय सलाह के कोविड जैसी महामारी से उबर सकते हैं। ये न सिर्फ गलत है, बल्कि ऐसी बचकानी सलाह कई मरीज़ों की जान जोखिम में भी डाल सकती है, परंतु अब ये व्यक्ति इस प्रकार की वीडियो बना रहे हैं कि आपको कौन सी वैक्सीन लेनी चाहिए। जिसने न एमबीबीएस किया है और न ही चिकित्सा शास्त्र का ‘च’ पढ़ा है, वो अब हमें बताएगा कि हमें कौन सी वैक्सीन लगानी चाहिए –
Which is the Best Vaccine?
Watch Video: https://t.co/W7vFsP83EB pic.twitter.com/2BgQWvsp6G
— Dhruv Rathee (@dhruv_rathee) May 6, 2021
परंतु ध्रुव राठी जैसे ठग इस खेल में अकेले नहीं है, बल्कि इस समय सोशल मीडिया पर ऐसे ही लोगों का वर्चस्व व्याप्त है। लिबरल जमात की स्टार पत्रकार बरखा दत्त का मानना है कि कोविशील्ड के दो डोज़ में समय बढ़ाने का अर्थ है कि वो किसी योग्य नहीं है। मोहतरमा के ट्वीट के अनुसार, “अगर दो डोज़ कोविशील्ड मुझे भारत के नए म्यूटेन्ट स्ट्रेन से बचा सकता है [क्योंकि एक से तो शायद ही कुछ होगा] तो दोनों डोज़ में समय बढ़ाने से कोई फायदा नहीं है। इससे लगता है कि इनके पास वैक्सीन की किल्लत है।”
यहाँ पर मोहतरमा ने एक ही तीर से दो निशाने साधे हैं। न केवल डबल्यूएचओ और केंद्र सरकार के लाख निर्देश के बावजूद उसने इंडियन वेरियंट का नाम लिया, बल्कि वैक्सीन के प्रति लोगों के मन में खौफ बढ़ाने का भी प्रयास किया। अगर देखा जाए, तो यह लोग है कौन? क्या यह एम्स से स्नातक है? क्या इन्होंने वर्षों तक चिकित्साशास्त्र में कमरतोड़ मेहनत की है? क्या इन्होंने अपनी ‘चिकित्सा’ से लोगों के दुख दर्द दूर किए हैं? लेकिन ये खेल केवल ध्रुव राठी और बरखा दत्त तक ही सीमित नहीं है।
द वायर के संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन से लेकर आकाश बनर्जी जैसे स्वघोषित चिकित्सक विशेषज्ञ तक ऐसे कई लोग हैं, जो सिर्फ इसलिए वैक्सीन के प्रति फेक न्यूज फैला रहे हैं, ताकि वे मोदी सरकार को नीचा दिखा सके
ऐसा बिल्कुल भी है, बल्कि ऐसे झोलाछाप सलाहकार चाहते हैं कि भारत बस यूं ही कोविड से तड़पता रहे और वह केंद्र सरकार को इसके लिए किसी भी तरह दोषी सिद्ध करें, चाहे कुछ भी करना पड़े। केंद्र सरकार से लेकर वैक्सीन निर्माताओं ने अनेकों ट्वीट किए, वीडियो प्रकाशित किए कि वैक्सीन लगवाने से कोई विशेष साइड इफेक्ट नहीं होगा, लेकिन इसके बावजूद इन झोलाछाप सलाहकारों के कारण लोगों में टीकाकरण के प्रति हिचक उत्पन्न हुई है। रही सही कसर तो कई राज्यों में शासन कर रही वामपंथी सरकारों ने किया है, जो जानबूझकर वैक्सीन की किल्लत उत्पन्न कर रहे हैं, ताकि केंद्र सरकार को नीचा दिखाया जा सके। ऐसे में देश को इन झोलाछाप सलाहकारों से निपटने हेतु भी कोई ठोस कदम उठाना पड़ेगा।