चुनावों से कई लोग आशा लगा कर बैठे थे। इनमें से ही एक वायनाड से सांसद राहुल गाँधी भी थे। जिस तरह उन्होंने केरल में चुनाव प्रचार किया और उसके बाद असम में कांग्रेस की लोकप्रियता दोबारा हासिल करने की कोशिश की उसे देख कर भारतीय राजनीति समझने वाला कोई भी व्यक्ति यह अंदाजा लगा सकता है कि राहुल गाँधी इन राज्यों में कांग्रेस की जीत सुनिश्चित करना चाहते थे।
उनके इस मेहनत का मकसद था जीत के साथ कांग्रेस अध्यक्ष पद को हासिल करना था जिससे उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनावों में करारी हार के बाद इस्तीफा दे दिया था।
हालाँकि, इस बार भी उनके इस सपने पर पानी फिर गया और किसी भी राज्य में कांग्रेस टक्कर में नहीं है। केरल और असम में कांग्रेस को उम्मीद थी कि अब भी कुछ हो सकता है और वे सत्ता में लौट सकते हैं, लेकिन एग्जिट पोल ठीक उलट इशारा कर रहे हैं। केरल में जहाँ राहुल गाँधी ने सबसे अधिक मेहनत किया था वहां कांग्रेस CPI(M) वाले गठबंधन से पीछे छुटता दिखाई दे रहा है।
ABP- C Voter के एग्जिट पोल के अनुसार कांग्रेस के नेतृत्व में UDF को 62 से 68 सीटों पर जीत मिलती दिखाई दे रही है तो वहीं LDF को 71-72 सीटों पर जीत मिलती दिखाई दे रही है। अगर बात India Today- Axix द्वारा जारी किए गए एग्जिट पोल देखे तो यह अंतर और बढ़ जाता है। इसमें कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन को मात्र 20 से 36 सीटें मिलती दिखाई दे रही है तो LDF को 104 से 120 सीटों के साथ बहुमत मिल सकता है।
अगर बात असम की हो तब वहां कांग्रेस को निराशा ही हाथ लगने वाली है। किसी भी एग्जिट पोल में कांग्रेस को 126 विधानसभा सीटों में से 50 सीटों से अधिक नहीं मिलती दिखाई दे रही है। India Today- Axix या फिर Republic TV CNX दोनों के एग्जिट पोल में कांग्रेस को अधिकतम 50 सीटें मिल रही है। ABP- C Voter के अनुसार कांग्रेस के गठबंधन को असम में अधिकतम 66 और न्यूनतम 53 सीटें मिल सकती हैं।
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इन दोनों के अलावा पश्चिम बंगाल में कांग्रेस तीसरे नंबर पर थी। पश्चिम बंगाल में तो कांग्रेस CPI(M) के साथ गठबंधन में थी। यही कारण था कि राहुल गाँधी पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार के लिए केरल के चुनाव संपन्न होने के बाद आये। वहां से आये एग्जिट पोल में इस गठबंधन को 294 सीटों में से अधिकतम 25 सीटें मिलती दिखाई दे रही है।
वहीं तमिलनाडु की बात करें तो यहाँ कांग्रेस ने DMK के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था और एग्जिट पोल इस राज्य में DMK की 151-177 सीटों पर जीत का दावा कर रहे हैं। अब देखना यह है चुनाव परिणाम इन एग्जिट पोल के अनुसार रहते हैं या इसके उलट।
एक बात तय है कि एग्जिट पोल ने राहुल गाँधी का जीत के साथ-साथ कांग्रेस अध्यक्ष बनने का सपना भी तोड़ दिया है। जब 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की करारी हार हुई तब कांग्रेस के अन्दर ही गाँधी परिवार के खिलाफ विद्रोह बढ़ने लगा था जिसके बाद दबाव में आ कर राहुल गाँधी को इस्तीफा देना पड़ा।
उसके बाद कांग्रेस नेतृत्व सोनिया गाँधी के हाथों में हैं। तब से ही राहुल गाँधी एक बड़ी चुनाव जीत की आशा में हैं जिससे पार्टी के अन्दर उनके प्रति स्वीकार्यता बढ़े और वह अध्यक्ष पद पर स्थापित हो सके। इस बार चारों राज्य का चुनाव खास कर केरल और असम से उन्हें बड़ी आशा थी परन्तु उन्हें निराशा ही हाथ लगने वाली है।