गदा व्यायाम के फायदे
हाल ही में एक यूट्यूब चैनल की तरफ ध्यान गया, जिसका नाम था ‘The Art of Manliness’। पुरुषत्व को पाश्चात्य दृष्टिकोण से देखने वाले इस चैनल ने आश्चर्यजनक रूप से भारतीय गदा युद्ध नीति पर प्रकाश डाला और इस विषय पर बातचीत भी की।
जिस प्राचीन युद्ध कला के लिए वीर पवनपुत्र हनुमान लोकप्रिय थे, जिस कला की वजह से पवनपुत्र हनुमान से कोई लड़ने में समर्थ नहीं था, आज उसी के बारे में हमें विदेशियों से ज्ञान लेना पड़ रहा है।
ये गदा है क्या? इसके उपयोग से क्या लाभ और हानि होती है? इसके बारे में स्वयं बताते हुए The Art of Manliness के सूत्रधार कहते हैं, “गदा जो है, ये भारतीयों द्वारा लगभग 2000 वर्षों से उपयोग में लाई जा रही है। जब सिकंदर ने युद्ध में हिन्दू योद्धाओं का सामना किया था तो उनमें से कई ऐसे भीमकाय योद्धा था, जिनके हाथों में गदा थी”।
गदा का धार्मिक महत्व भी है। रामायण में पवनदेव के पुत्र, वीर हनुमान इसे चलाने में निपुण थे। ऐसा नहीं है कि अकेले प्रभु हनुमान ही इसमें निपुण हों बल्कि, बालि से लेकर सुग्रीव, अंगद और वानर सेना के अनेक वीर योद्धा गदा युद्ध में निपुण थे।
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इसे चलाने की परंपरा केवल रामायण तक ही सीमित नहीँ थी। भगवान श्री कृष्ण के अग्रज बलराम भी गदा युद्ध में निपुण थे, जिनसे भीम और दुर्योधन ने भी दीक्षा ली थी। महाभारत के निर्णायक युद्ध का परिणाम चाहे जो भी रहा हो, परंतु इस बात में कोई संदेह नहीं है कि भीम और दुर्योधन अपने आप में गदा युद्ध के उत्कृष्ट योद्धा थे।
गदा आज भी शरीर के लिए कई मायनों में बहुत हितकारी है। इससे पूरे शरीर का व्यायाम होता है, जिससे आप न केवल हृष्ट पुष्ट होते हैं, बल्कि हर प्रकार से आत्मरक्षा में निपुण होते हैं।
प्राचीनकाल में जो सबसे शक्तिशाली योद्धा होते थे, उन्हे इसे चलाने की शिक्षा दी जाती थी। स्वतंत्रता से पहले भी कई ऐसे पहलवान थे, जिनके लिए व्यायाम में इसे चलाना आवश्यक माना जाता था। गामा पहलवान से लगाकर गुरु हनुमान की पुरानी तस्वीरें आप उठाकर देखिए, आपको कोई ऐसा नहीं दिखेगा जिसने कम से कम एक बार इसे न उठाया हो।
ऐसे में अब समय आ चुका है जब हम अपनी संस्कृति की तरफ लौटें और गदा को दोबारा से व्यायाम का हिस्सा बनाएं। जब अंग्रेजी डम्बेल (Dumbbell) अपनाने में कोई संकोच नहीं, तो देसी गदा अपनाने में कैसी शर्म?
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