कश्मीर घाटी में फिर से आतंकवाद अपना सिर उठाने लगा है। पिछले कुछ दिनों से जिस प्रकार से घाटी में आतंकवादियों से सुरक्षाबलों की मुठभेड़ जारी है, उससे स्पष्ट होता है कि स्थिति अभी पूरी तरह शांत नहीं हुई है। इसी बीच द वायर ने स्थिति को बिगाड़ने का प्रयास किया, जिसके कारण जम्मू कश्मीर पुलिस को द वायर को कारण बताओ नोटिस जारी करना पड़ा है।
परंतु ऐसा करने के लिए कश्मीर पुलिस को विवश क्यों होना पड़ा? दरअसल, द वायर ने जून में कुछ खबरें प्रकाशित की थीं, जिसके जरिए ये अफवाह फैलाने का प्रयास किया जा रहा था कि आतंकवाद के बढ़ने के कारण पुलिसकर्मियों को या तो अपनी सेवा छोड़ने पर बाध्य होना पड़ रहा है, या फिर आतंकवाद से जुडने पर विवश होना पड़ रहा है।
जैसा कि आप इस नोटिस के अंश के जरिए समझ सकते हैं, द वायर पर जानबूझकर घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा देने और सुरक्षाबलों में भय के माहौल को बढ़ावा देने का आरोप लगा है। इसके अलावा एक और लेख में द वायर ने कश्मीर पुलिस द्वारा झूठे एनकाउन्टर करने की बात कही थी।
कारण बताओ नोटिस के अंश अनुसार, “घटनास्थल पर मजिस्ट्रेट भी मौजूद थे, जिन्होंने देखा था कि कैसे पुलिस ने आरोपी की माँ के जरिए उसे आत्मसमर्पण के लिए बाध्य किया था। रिमांड के लिए माननीय न्यायालय के सभी आदेशों का सर्वसम्मति से पालन किया गया था”। कश्मीर पुलिस ने आरोप लगाया कि द वायर कुछ स्वघोषित विशेषज्ञों के साथ मिलकर लोगों में अफरा-तफरी मचाने के उद्देश्य से भ्रामक खबरें फैलाता है।
कश्मीर पुलिस गलत भी नहीं है, क्योंकि द वायर इसीलिए कुख्यात है। हाल ही में यूपी पुलिस ने दो बार उसे घेरे में लिया था – लोनी मुद्दे पर फेक न्यूज को बढ़ावा देने के लिए और बाराबंकी में अवैध मस्जिद के विध्वंस पर लोगों को भड़काने के लिए। ऐसे में द वायर को फिर से फेक न्यूज के लिए नोटिस मिलना कोई नई बात नहीं। लेकिन अब द वायर के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।