इस बात में किसी को कोई संशय नहीं है कि कोरोनावायरस चीन के वुहान की ही एक लैब से लीक ही हुआ था। इसके बावजूद चीन इस बात को स्वीकार करने को तैयार नहीं है। अमेरिका इस मुद्दे पर जांच भी करवा रहा है, जिसकी रिपोर्ट भी जो बाइडन को सौंपी गई है। इसी वुहान लैब लिक थ्योरी लेकर भारत के कोलकता में रहने विज्ञान के शिक्षक एवं रिसर्चर ने अपनी टीम के साथ कोरोनावायरस की उत्तपत्ति पर रिसर्च की थी, और उनकी टीम Drastic इस नतीजे पर पहुंची थी, कि कोरोनावायरस का जन्म चीन के वुहान शहर से ही हुआ; इसके विपरीत चीन ये बात मानने को तैयार नहीं है। अब चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने द सीकर नाम से ट्विटर पर प्रचलित एक भारतीय अध्यापक के खिलाफ एजेंडा चलाना शुरु कर दिया है।
ग्लोबल टाइम्स का ये रवैया पीएम मोदी के प्रति उनके डर को दिखाता है क्योंकि अभी तक इस मुद्दे पर भारत ने कोई विशेष प्रतिक्रिया नहीं दी है, किन्तु यदि इन रिसर्च के आधार पर भारत ने भी चीन के विरुद्ध ऑस्ट्रेलिया की भांति मोर्चा खोल दिया तो चीन की मुश्किलें बढ़ सकती है।आपको बता दें कि ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने चीन को कोरोनावायरस का जनक बताते हुए ये मांग की थी, कि चीन द्वारा प्रत्येक कोरोना प्रभावित राष्ट्र को हुए नुकसान की आर्थिक भरपााई करनी चाहिए।
कोरोनावायरस की उतपत्ति के संबंध में चीन आए दिन खुद का बचाव करता रहता है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को इससे संबंधित एक रिपोर्ट भी सौंपी गई है। ऐसे समय में ही चीन ने भारत में विज्ञान के एक शिक्षक एवं रिसर्चर के संबंध में प्रोपेगैंडा फैलाने के प्रयास किए हैं, जिसके पीछे की मुख्य वजह केवल पीएम मोदी के प्रति चीन का डर है। चीन ने अपने मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि भारतीय रिसर्चर एवं विज्ञान के शिक्षक द सीकर की Drastic टीम की रिपोर्ट केवल चीन के प्रति नफरत फैलाने का प्रयास है। ग्लोबल टाइम्स ने मांग की है, कि अमेरिका की इस संबंध में रिपोर्ट आने के बाद द सीकर की रिपोर्ट को अवैध घोषित किया जाए।
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ग्लोबल टाइम्स ने द सीकर को अवैध दुष्प्रचार फैलाने वाला बताया है, चीनी मुखपत्र का कहना है कि ये टीम केवल आनलाइन साजिश फैलाने का काम ही करती है। सीसीपी के मुखपत्र ने लिखा, “DRASTIC सदस्य लगातार “वुहान लैब लीक” थ्योरी के बारे में साजिश के तहत झूठी खबरें फैला रहे हैं और निष्पक्ष वैज्ञानिक पदों पर रहने वाले वैज्ञानिकों के खिलाफ ऑनलाइन माध्यम से हमले कर रहे हैं। इस साजिश सिद्धांत के DRASTIC के हेरफेर पर व्यापक रूप से सवाल उठाए गए हैं।” स्पष्ट है कि ग्लोबल टाइम्स इस मुद्दे पर द सीकर को बदनाम करने के प्रयास कर रहा है, जो कि हास्यास्पद है।
द सीकर ने इस मुद्दे पर अपने रिसर्च कौशल का प्रयोग किया था, उन्होंने ही अपनी रिसर्च के आधार पर बताया था कि कैसे कोरोनावायरस के पीछे मुख्य भूमिका RaTG3 वायरस की थी। उन्होंने अपने रिसर्च क्षमता के आधार पर ही CNKI का पता लगाया, जो कि एक विशाल डेटाबेस है। इतना ही नहीं उन्होंने कनमिंग मेडिकल विश्वविद्यालय के 2013 के छात्र द्वारा लिखी गई 60 पन्नों की थीसिस का भी अध्यन किया, जिसमें अज्ञात वायरस के जरिए ही 6 लोगों की मौत हुई थी, जो कोरोनावायरस ही था।
उन्होंने अपनी ये रिसर्च ट्विटर पर भी साझा की थी। उस दौरान इस वायरस को SARS ही कहा गया था। इतना ही नहीं, ये भी सामने आया था, कि जब इस वायरस के कारण लोगों की मौत हुई थी, तो उसे मुख्य धारा की मीडिया द्वारा नजरंदाज कर दिया था। वहीं जब 2020 में द सीकर ने ये सारी थीसस सामने रखकर दावा किया था, तो उसके बाद से ही चीनी अधिकारी हरकत में आ गए थे, एवं उन्होंने दस्तावेज तक छिपाने शुरु कर दिए थे। वुहान की लैब में कोराना जैसे करीब 8 अन्य SARS का परीक्षण हो रहा था। वहीं जब कोरोना के कारण लोगों की मौत होने लगी, तो लैब के वैज्ञानिकों ने इस मुद्दे पर जानकारी देने से बेहतर चुप्पी साधना समझा।
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द सीकर की रिपोर्ट चीन के वुहान में ही कोरोना के पनपने और लैब लीक थ्योरी को सत्यापित करती है, किन्तु अपने एजेंडे के आधार पर काम करने वाले पश्चिमी मीडिया संस्थानों की रिसर्च के जरिए चीनी मुखपत्र विज्ञान के भारतीय शिक्षक की रिपोर्ट को नकार रहा है। ग्लोबल टाइम्स के आक्रामक होने की वजह वैज्ञानिक का भारतीय होना भी है। चीन का कोरोना को लेकर पूरी दुनिया में विरोध हो रहा है। ऑस्ट्रलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन इस मुद्दे पर सर्वाधिक मुखर हैं।
ऐसे में अब चीन को डर है कि वुहान लैब लीक थ्योरी के आधार पर ऑस्ट्रेलिया चीन के खिलाफ खड़ा हो गया था, ठीक उसी तरह भारत भी पीएम मोदी के नेतृत्व में चीन की आलोचना शुरु कर सकता है, जिससे निपटना चीन के लिए मुश्किल विषय बन सकता है। यही कारण है कि चीनी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स भारतीय पीएम मोदी से भयभीत होकर भारतीय वरिष्ठ शिक्षक एवं उनकी टीम के वुहान में कोरोना उत्पत्ति के दावों को नकार रहा है।