कांग्रेस के प्रतिभावान नेताओं ने आज उसे धरातल पर लाकर पटक दिया है। यही कारण है जो अब कांग्रेस देश के चुनिंदा राज्यों में बची अपनी गिनी चुनी सरकारों को भी टाटा टाटा बाय बाय करने से चूक नहीं रही हैं। आपसी कलह का तो पता नहीं पर ‘कुर्सी का यह किस्सा’ सरकार गिराने से लेकर आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की बड़ी हार का कारण अवश्य बन सकता है। जिस कांग्रेस शासित राज्य में इन दिनों सबसे बड़ा द्वंद्व देखने को मिल रहा है वो है पंजाब। पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार विपक्षी दलों से कम और अपने ही दल के प्रदेश इकाई के प्रमुख के बयानों से अधिक खतरे में है।
बड़े लम्बे प्रयासों के बाद नवजोत सिंह सिद्धू को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी मिल पाई थी, पर जबसे वो इस कुर्सी पर बैठे हैं भाजपा समेत अन्य दलों को छोड़ अपनी ही पार्टी और सरकार को घेरने में लगे हैं। ट्वीट-ट्वीट खेलते हुए सिद्धू ने एक बार फिर अपनी ही सरकार पर बेहद संजीदा आरोप जड़ दिए हैं और वहीं उसके उलट भाजपा शासित राज्यों की भरपेट प्रशंसा कर दी है। इससे राज्य सरकार और कांग्रेस पार्टी में उथल-पुथल का वातावरण है।
दरअसल, पंजाब में गन्ना किसानों द्वारा अपनी उपज की कीमतों में बढ़ोतरी की मांग को लेकर कांग्रेस सरकार के खिलाफ प्रदर्शन जारी रखने के बीच पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने सोमवार को इस मुद्दे के समाधान की मांग एक ट्वीट के माध्यम से की है। सिद्धू ने कहा कि पंजाब में खेती की उच्च लागत के बावजूद, राज्य-सलाह मूल्य (एसएपी) भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राज्यों हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की तुलना में कम है। इस ट्वीट से अमरिंदर सरकार को अपने ही दल की ओर से उनकी नीतियों के संदर्भ में असहमतियाँ प्राप्त हों रही हैं। वहीं सिद्धू के इस व्यवहार से कांग्रेस पार्टी और सरकार दोनों को ही बड़े दुष्परिणाम झेलने पड़ सकते हैं।
The sugarcane farmers issue needs to be immediately resolved amicably …. Strange that despite the higher cost of cultivation in Punjab the state assured price is too low as compared to Haryana / UP / Uttarakhand. As torchbearer of agriculture, the Punjab SAP should be better !
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) August 23, 2021
यह भी पढ़ें- अमरिंदर को बाहर निकालकर मुख्यमंत्री बनने की होड़ में है सिद्धू
पंजाब उन राज्यों में से है जहां अभी कांग्रेस पार्टी सत्ता पर विराजमान है पर यहाँ दोनों प्रमुख पदों पर बैठे कांग्रेस नेता अपनी कलहों से पार पाने में असमर्थ दिखाई दे रहे हैं। यह दोनों नेता और कोई नहीं हैं, बल्कि स्वयं पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और राज्य की कांग्रेस पार्टी इकाई के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ही हैं। इन दोनों के बीच हो रही राजनीतिक पद-प्रतिष्ठा की लड़ाई अब पार्टी के अंतर्विरोध का नया कारण बन गई हैं।
जहां सिद्धू अपनी ही सरकार के विरोध में मोर्चा खोलकर बैठ गए हैं तो इससे विपक्षी दलों को बहती गंगा में हाथ धोने का अवसर मिल रहा है। जिसपर भाजपा की अन्य राज्य इकाइयां अब ठहाके लगाकर हँस रही हैं क्योंकि उनके हाथ सिद्धू का ट्वीट जो आ गया है, जिसमें प्रचुर मात्रा में भाजपा सरकारों की प्रशंसा की गई है और कांग्रेस के किसान हितैषी होने की भी पोल सबके सामने खुल रही है।
सत्य परेशान हो सकता है,पर पराजित नहीं।।
नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि काश हरियाणा के तर्ज पर गन्ने का रेट पंजाब के किसानों को भी मिल पाता!
हरियाणा में गन्ने का रेट जहां ₹350 प्रति क्विंटल है,वहीं पंजाब में हाल ही में ₹15 बढ़ाने के बावजूद महज ₹325 प्रति क्विंटल ही है।@mlkhattar https://t.co/SbEUXRpmq0
— Haryana BJP (@BJP4Haryana) August 23, 2021
कांग्रेस पार्टी की सरकारें यदि इतनी ही किसानों के हित में काम करती तो शायद सिद्धू के प्रशंसा करते हुए ट्वीट में तीनों राज्य कांग्रेस शासित होते न की भाजपा शासित। पिछले शुक्रवार से, सैकड़ों गन्ना किसानों ने अनिश्चित काल के लिए आंदोलन शुरू किया था और पंजाब में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार से गन्ने के एसएपी को बढ़ाने और 200-250 करोड़ रुपये के बकाया भुगतान को मंजूरी देने की उनकी मांगों को स्वीकार करने के लिए कहा था जिसपर अभी तक अमरिंदर सरकार ने मात्र पुनर्विचार बैठकों के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं किया है।
यह भी पढ़ें- अमरिंदर-सिद्धू के ‘अभिनय’ का ‘पोस्टमार्टम’, गांधी परिवार ने पंजाब कांग्रेस को तबाह कर दिया
इस पूरे प्रकरण में निश्चित ही अमरिंदर सरकार की भूमिका असंतोष पैदा करने वाली है, गन्ने के राज्य सहमत मूल्य (एसएपी) को 310 रुपये से बढ़ाकर 325 रुपये करने के राज्य सरकार के फैसले पर किसानों ने निराशा व्यक्त की है। किसान सरकार से मांग कर रहे हैं कि दाम बढ़ाकर 400 रुपये प्रति क्विंटल किया जाए और अपना बकाया भुगतान किया जाए।
वहीं सिद्धू का आक्रामक व्यवहार कांग्रेस की मौजूदा सरकार के लिए तो घातक है ही, पर आगामी 2022 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की स्थिति भयावह करने का माध्यम भी बनता जा रहा है। अब पंजाब कांग्रेस में दो फाड़ रुजने से रही, चाहे गांधी परिवार का कोई भी सदस्य क्यों न मैदान में कूद पड़े।