बॉलीवुड की पुरानी आदत है, कि किसी भी देश-प्रेम और सेना से जुड़ी फिल्म में भी निर्देशक वामपंथी एजेंडा डाल देते हैं। इस बेहद ही घटिया एजेंडे पर बॉलीवुड फिल्म बनाता रहता है, और बिका हुआ वामपंथी मीडिया फिल्म को सुपरहिट घोषित कर देता है। इसके विपरीत कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा की सच्ची घटना पर आधारित फिल्म शेरशाह का निर्देशन विष्णुवर्धन ने यथार्थ पर कर दिया। इसका नतीजा ये हुआ कि अब वामपंथी मीडिया और फिल्म समीक्षक शेरशाह को नकारात्मक रेटिंग दे रहे हैं।
भारत पाकिस्तान के बीच करीब 22 साल पहले हुए करगिल युद्ध में भारत के लिए एक हीरो साबित हुए शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा को कौन नहीं जानता, जिन्होंने विजय के नारे को ही ‘ये दिल मांगे मोर’ कर दिया था।
पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतारने वाले कैप्टन बत्रा के जीवन पर आधारित फिल्म शेरशाह रिलीज हो गई है, जो कि करगिल युद्ध के दौरान के सत्यों को देश के नागरिकों के समक्ष रख रही है।
सिद्धार्थ मल्होत्रा द्वारा निभाये गये विक्रम बत्रा के किरदार के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। या यूं कहिये कि निर्देशक विष्णुवर्धन ने इस फिल्म में बॉलीवुड की कोई भी पारंपरिक नौटंकी नहीं डाली है, जिसके चलते ये फिल्म सेना से संबंधित अन्य फिल्मों से भिन्न है।
#Shershah despite being a Karan Johar and Siddharth Malhotra movie is getting negative reviews on liberal platforms.
Budding leftists should understand, the cause doesn’t care for people. You’ll be crucified at the very first opportunity.
— Atul Kumar Mishra (@TheAtulMishra) August 13, 2021
और पढ़ें- आपको झकझोरकर रख देगी ‘शेरशाह’, सिद्धार्थ मल्होत्रा ने कैप्टन विक्रम बत्रा को जीवंत कर दिया
फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे विक्रम बत्रा के किरदार में सिद्धार्थ जम्मू-कश्मीर के आम नागरिकों से बातचीत कर रहे हैं, और उनके मुश्किलों को हल करने के प्रयास करते हैं। बॉलीवुड की फिल्मों में अकसर देखा जाता है, कि भले ही पाकिस्तान से युद्ध हो रहा हो; किन्तु पाकिस्तान का महिमा मंडन करने के प्रयास खूब होते हैं।
वहीं शेरशाह फिल्म में पाकिस्तान को एक कट्टर दुश्मन की तरह ही दिखाया गया है। फिल्म में पाकिस्तान की नापाक हरकतों और भारतीय क्षेत्र पर कब्जे की उसकी साजिशों को स्पष्ट रूप से दिखाया गया है। इस दौरान फिल्म के एक दृश्य में तो ये भी दिखाया गया कैसे करगिल युद्ध के दौरान एक पाकिस्तानी सैनिक ने विक्रम से कहा था माधुरी दीक्षित हमें दे दे हम सब यहां से चले जाएंगे। इस पर विक्रम बत्रा ने उसी सैनिक को मारते हुए कहा था कि ‘माधुरी दीक्षित तो दूसरी शूटिंग में व्यस्त हैं, फिलहाल इससे काम चला लो।’ फिल्म के कई दृश्यों में विक्रम बत्रा का आक्रोश और दुश्मन को सबक देने की दृढ़ता साफ दिखती है।
फिल्म में असल जीवन के विक्रम बत्रा की तरह ही सिद्धार्थ मलहोत्रा भी ‘दुर्गा माता की जय’ के नारे लगाते दिखाई दिए। इस फिल्म की खूब तारीफ हो रही है, लेकिन करन जौहर के प्रोडक्शन में बनी इस फिल्म लिबरलों को बिल्कुल भी पसंद नहीं आई है।
करन जौहर को पता है कि वर्तमान समय में राष्ट्रवाद से संबंधित फिल्मों का प्रचलन अधिक हैं, ऐसे में अपने बर्बाद होते आर्थिक ताने बाने को बचाने के लिए उन्होंने शेरशाह जैसी फिल्म बना दी, अच्छी बात ये है कि फिल्म के संबंध में कोई विवाद भी नहीं है। इस फिल्म से फिल्ममेकर करण जौहर के बिज़नस माइंड की झलक साफ दिखाई दे रही है। उन्हें पता है कैसे कब पैसे बनाने है और फिल्म बनाने का उद्देश्य भी यही होता है।
खैर, जहां कोई विवाद नहीं होता वहां विवाद पैदा करने की आदत वामपंथियों की होती है, वामपंथी फिल्म समीक्षकों से लेकर एनडीटीवी और the quint, scroll , filmybeat जैसे मीडिया संस्थान शेरशाह फिल्म को रेटिंग या तो कम दे रहे या नेगेटिव दे रहे हैं।
My review of #Shershaah. https://t.co/mzVX3sREqG #replug
— Anupama Chopra (@anupamachopra) August 13, 2021
तरन आदर्श जैसे मशहूर फिल्म आलोचक ने शेरशाह फिल्म को साढ़े तीन रेटिंग दिए हैं। ठीक इसी तरह फिल्म समीक्षक अनुपमा चोपड़ा ने भी शेरशाह फिल्म को देशभक्ति से भरी हुई तो बताया है, किन्तु रेटिंग में काफी कंजूसी दिखाई है। वामपंथी फिल्म समीक्षक ही नहीं, बल्कि कई वामपंथी मीडिया संस्थान भी शामिल हैं।
NDTV Movie ratings:
Shershah : 2.5 star
State Of Siege: 2 star
URI, the surgical strike: 2 star
Bahubali: 2 star
Baby: 2 starKalank: 3.5 star
Veere di Wedding: 3.5 starMoral: Shershah is very good movie and MUST watch.
— Farrago Abdullah Parody (@abdullah_0mar) August 12, 2021
NDTV जो सेना की छवि हमेशा धूमिल करता रहता है, उसने कंजूसी दिखाते हुए एक बेहतरीन फिल्म को मात्र 2.5 star दिये है। वहीं, NDTV के वामपंथी साथी क्विंट की फिल्म समीक्षक स्तुति घोष ने भी शेरशाह फिल्म को मात्र तीन रेटिंग दी हैं। सलमान खान की घटिया फिल्मों को 4 और साढ़े चार की रेटिंग देने वाले इन मीडिया संस्थानों और फिल्म समीक्षकों द्वारा एक बेहतरीन शेरशाह फिल्म को कम रेटिंग दी जा रही है।
और पढ़ें- कॉपी, पेस्ट और रीमेक- बॉलीवुड के पास कोई नई कहानी, आइडिया और Creativity नहीं बची है
इसकी मुख्य वजह ये है कि ये फिल्म एक सत्य घटना पर तो आधारित है ही, साथ ही इसमें पारंपरिक तौर पर सेना के खिलाफ बॉलीवुड की फिल्मों में दिखाया जाने वाला सांकेतिक एजेंडा पूर्णथः गायब है। पाकिस्तान से कट्टर दुश्मनी से लेकर भारतीय सैनिकों की दयालुता व पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी संगठनों से कश्मीरियों का भय स्पष्ट दिखाया गया है, और ये सब वामपंथियों को पच नहीं रहा है। करन जौहर प्रोडक्शन हाउस धर्मा प्रोडक्शन के तले बनी इस फिल्म में कोई भी नौटंकी न होना आश्चर्यजनक बात है, किन्तु करन जौहर जानते हैं कि राष्ट्रवाद के विषय पर बनने वाली फिल्म में यदि यथार्थ से जरा सी भी ऊंच-नीच की गई, बिजनेस ठप्प हो गया।
भारतीय दर्शकों की जागरूकता के कारण विवादों के डर से करन के प्रोडक्शन हाउस के अंतर्गत विष्णुवर्धन ने एक बेहतरीन फिल्म बनाई। भले ही फिल्म को लेकर कोई विवाद न हुआ हो, किन्तु अब वामपंथी वर्ग यथार्थ सत्य दिखाने के कारण शेरशाह फिल्म को निशाने पर ले रहा है, और नकारात्मक रेटिंग दे रहा है।