भारत की संस्कृति रही है कि यहाँ हर विचार का समान रूप से आदर और सत्कार किया जाता है। फिर वो चाहे सत्ता चला रहे शासक को आईना दिखाने वाला विपक्ष हो या अन्य विपरीत विचार परिवार का सदस्य। इस नेक विचार का कई विकृत मानसिकता के ध्वजवाहक लाभ उठाने तथा देश के विपरीत खड़े होने से पीछे नहीं हटते। अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के अवैध अधिग्रहण के बाद भारत के कुछ क्षेत्रों में तालिबानी मानसिकता के उपासको की संख्या में ख़ासी बढ़ोतरी भी हुई है। इसी का एक हालिया उदाहरण असम के तेजपुर मेडिकल कॉलेज का है जहां शुक्रवार रात 11 जिलों से तालिबान के अफगान अधिग्रहण के समर्थन में सोशल मीडिया संदेश पोस्ट करने के आरोप में कई गिरफ्तारियाँ हुई हैं। पिछले कुछ दिनों में जिस तरह से भारत में तालिबान समर्थक की संख्या में वृद्धि हुई है उसे देखते हुए यह आवश्यक है कि सभी राज्य सरकारें असम सरकार की तरह ही पैनी नजर बनाए रखें और ऐसे लोगों के ऊपर मामला दर्ज कर जेल भेजने की जरूरत है।
UAPA, IT एक्ट और CRPC के तहत हुई गिरफ्तारियाँ
पूर्वोत्तर राज्यों में तालिबानी और देश विरोधी जड़ें मजबूत करने के लिए कई संगठन बड़े लंबे समय से जुटे हुए हैं। यही कारण है कि असम जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में ऐसी घटनाएँ अधिक संख्या में सामने आ रही हैं। शुक्रवार को एक छात्र समेत एक कांस्टेबल और तीन मौलाना उन 15 लोगों में शामिल हैं, जिन्हें असम पुलिस ने तालिबान के अफ़ग़ानिस्तान अधिग्रहण पर समर्थन करने के तहत गिरफ्तार किया है। इन सभी को UAPA, IT एक्ट और सीआरपीसी की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
असम पुलिस के विशेष महानिदेशक जीपी सिंह ने बताया कि उन्हें पिछले कुछ दिनों में 18 ऐसे प्रोफाइल मिले हैं, जिन्होंने तालिबान के समर्थन में सोशल मीडिया पर संदेश पोस्ट किए हैं। उन्होंने कहा, “सोशल मीडिया पोस्ट के विश्लेषण के बाद, हमने उन्हें यूएपीए (UAPA) के तहत बुक किया है।”
@assampolice has arrested 14 persons for social media posts regarding Taliban activities that have attracted provisions of law of the land.People are advised to be careful in posts/likes etc on social media platforms to avoid penal action @CMOfficeAssam @DGPAssamPolice @HMOIndia pic.twitter.com/iQaKTXP74x
— GP Singh (@gpsinghips) August 21, 2021
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एक बीकॉम स्टूडेंट, एक मेडिकल स्टूडेंट और एक स्थानीय पत्रकार
इन सभी आरोपितों में तृतीय वर्ष के 23 वर्षीय मेडिकल छात्र नदीम अख्तर शामिल हैं, जिसे लाकांडी में उसके घर से गिरफ्तार किया गया था तथा जमीयत से आने वाले एक नेता मौलाना फजुल करीम (49) को दारांग जिले में गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तार किए गए अन्य लोगों की पहचान कामरूप से अबू बक्कर सिद्दीकी और सैदुल हक, कछार के जावेद मजूमदार, मोजिदुल इस्लाम और बारपेटा के फारुक हुसैन खान, धुबरी से सैयद अहमद और अरमान हुसैन, दक्षिण सलमारा से खांडकर नूर अलोम, मौलाना यासीन खान, गोलपारा, होजई से मौलाना बशीरुद्दीन लस्कर, करीमगंज से मुजीब उद्दीन और मुर्तुजा हुसैन खान के रूप में हुई है।
इन सभी तत्वों और उच्चकोटि के तालिबान हिमायतियों पर शासन और प्रशासन के कड़े रुख ने यह सिद्ध कर दिया है कि सोशल मीडिया पर चिंघाड़ने से पहले अब विषैली ज़ुबान खोलना कितना घातक सिद्ध हो सकता है।
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वहीं, डिप्टी डीजीपी वायलेट बरुआ ने कहा कि असम पुलिस सोशल मीडिया पर तालिबान के समर्थन में टिप्पणी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रही है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘हम इस तरह के लोगों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज कर रहे हैं, अगर आपकी नजर में कोई ऐसी चीज आती है तो कृपया पुलिस से संपर्क करें। पुलिस बाकी तीन प्रोफाइल के उपयोगकर्ताओं को गिरफ्तार नहीं कर पाई है, जिन्होंने फेसबुक पर इसी तरह की पोस्ट प्रसारित की हैं क्योंकि वे सभी दुबई, सऊदी अरब और मुंबई में स्थित हैं।
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कई और भी ऐसे तालिबान समर्थक
इन सभी कारस्तानियों में असम के ये शांतिदूत अकेले शामिल हैं, सभी की तुच्छ सोच शामिल है जो आतंकी संगठन तालिबान का समर्थन कर रहे हैं। विवादित शायर मुन्नव्वर राणा भी तालिबान समर्थक गुट के साथी हैं जिन्हें तालिबान महर्षि वाल्मीकि समान लगते हैं। वहीं अपने राजनीतिक जीवन के अंत पर खड़े समाजवादी पार्टी के सांसद और तालिबान समर्थक शफीकुर रहमान बरक ने भी तालिबान की तुलना भारत के स्वतंत्रता सेनानियों से की थी। अब इन सभी पर एकमुश्त नकेल कसनी शुरू हो चुकी है, जैसे मुन्नव्वर राणा पर यूपी में एससी एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज़ हो चुका है। वही अरफा खानम और राणा आयुब जैसे लोग भी है जो अपने विष को एक सफ़ेद चोगा पहना कर सोशल मीडिया पर रख रहे हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ भी आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए। कई ऐसे लोग अब भी हैं जो कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन की तारीफ कर रहे थी और अफगानिस्तान पर कब्जे को अच्छा बता रहे हैं।
जितनी भी कार्यवाही अभी तक असम प्रशासन ने सुनिश्चित की है उससे यह तय हो गया है कि घर के भेदियों पर अब सरकार और पुलिस दोनों की पैनी नज़र है और ऐसा कृत्य करने वाला कोई भी आपराधिक मानसिकता वाला तत्व कोई भी इस कानूनी बेड़ियों से अछूता नहीं करेगा। हालांकि तब भी भारत में कई तालिबान समर्थक और माफी मांगने वाले हैं जिन पर मामला दर्ज कर जेल भेजने की जरूरत है।