दिल्ली के द्वार का में हज हाउस के निर्माण के लिए आवंटित भूमि को लेकर दिल्ली सरकार लगातार विपक्ष और आम जनता के निशाने पर है और अब हिंदुओं ने खुलकर इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। ताजा मामले में 360 गाँवों की खाप पंचायतों ने केजरीवाल को कड़ी चेतावनी दी है और कहा है कि वो हिंदू आबादी के बीच हज हाउस का निर्माण नहीं होने देंगे। दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने भी इसका समर्थन किया है।
दरअसल, डेवलपमेंट के नाम पर ली गई जमीन का इस्तेमाल किसी एक समुदाय के लिए इस्तेमाल होते देख तब भी ग्रामीणो ने दिल्ली सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया है। अब इस मामले को लेकर आसपास के कई गाँवों की खाप पंचायतों ने इसका खुलकर विरोध करना शुरू कर दिया है। 28 गाँवों की खाप पंचायतों के प्रमुख राकेश नंबरदार ने इस मामले पर कहा, ‘इसी वर्ष अगस्त के महीने में सभी गाँवों की एक पंचायत बुलाई गई थी, और इसमें लगभग 10,000 लोग शामिल हुए थे। पंचायत में चर्चा के बाद हज हाउस को आवंटित की गई जमीन को वापस लेने की माँग पर सभी सहमत हुए थे और पंचायतों ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार को उनकी माँगें नहीं मानने पर व्यापक प्रदर्शन की चेतावनी भी दी थी। केजरीवाल सरकार ने पंचायतों की माँग को अनसुना कर दिया था। अब जब दिल्ली के बीजेपी चीफ आदेश गुप्ता ने मदद का हाथ बढ़ाया है और उनकी सहायता से हमने इस बात को केंद्र सरकार तक पहुँचाया है’।
इस मामले पर दिल्ली बीजेपी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि प्रतिनिधिमंडल ने बैठक के दौरान मंत्री को एक ज्ञापन सौंपा। आदेश गुप्ता ने कहा कि यह विडंबना है कि शहर में स्कूलों, कॉलेजों और अस्पतालों के लिए जमीन की कमी है, लेकिन दिल्ली सरकार ने द्वारका सेक्टर 22 में विशेष समुदाय के लिए “स्थानीय लोगों की इच्छा के खिलाफ” जमीन आवंटित करने का फैसला किया है।
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आदेश गुप्ता ने गुरुवार को दिल्ली की केजरीवाल सरकार निशान साधा और कहा, “तथ्य यह है कि जिस क्षेत्र में हज हाउस के लिए जमीन आवंटित की गई है, वहां अल्पसंख्यक समुदाय के शायद ही कोई लोग रहते हैं।”
भाजपा नेता ने दावा किया कि दिल्ली में वक्फ बोर्ड के पास ऐसे कई भूखंड हैं जहां हज हाउस बनाया जा सकता है और इसके लिए ग्रामीणों की जमीन अधिग्रहण की जरूरत नहीं है। इससे पहले दिल्ली बीजेपी ने जमीन आवंटन के विरोध में प्रदर्शन किया था।
गुरुवार को पुरी से मिले प्रतिनिधिमंडल में दिल्ली भाजपा महासचिव दिनेश प्रताप सिंह, उपाध्यक्ष राजन तिवारी और जयवीर राणा के अलावा पालम खाप पंचायत के प्रतिनिधि शामिल थे।
दिल्ली हज हाउस मुद्दा
बता दें किi दिल्ली हज हाउस को पहली बार 2008 में पूर्व सीएम शीला दीक्षित द्वारा प्रस्तावित किया गया था, ताकि हज यात्रियों के लिए आव्रजन सहायता, आवास, प्रार्थना कक्ष और भोजन स्थान प्रदान किया जा सके। कहा जाता है कि प्रस्तावित हज हाउस में एक बार में कम से कम 350 तीर्थयात्री ठहरेंगे।
परियोजना को द्वारका के सेक्टर 22 में लगभग 5,000 वर्ग मीटर भूमि आवंटित की गई थी। 2018 में, आम आदमी पार्टी सरकार ने परियोजना के लिए 94 करोड़ रुपये आवंटित किए, जो कुछ द्वारका निवासियों का दावा है कि आप की वोट-बैंक राजनीति का हिस्सा है।
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) हज हाउस के खिलाफ लगातार विरोध कर रही है और सरकार को उसकी ‘मुस्लिम-तुष्टिकरण नीतियों’ के लिए खरी खोटी सुना रही है। पिछले महीने जारी एक प्रेस बयान में विहिप ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली को ‘जिहादियों की राजधानी’ बनाने से बाज आना चाहिए।
विहिप के केंद्रीय नेतृत्व ने यह भी चेतावनी दी कि दिल्ली सरकार को “हज हाउस बनाने का विचार छोड़ देना चाहिए और घुसपैठियों और जिहादियों की सेवा करना बंद कर देना चाहिए, अन्यथा राष्ट्रीय राजधानी का समाज सड़कों पर आने के लिए मजबूर हो जाएगा। “
ग्रामीणों का आरोप, डीडीए ने किया विश्वासघात
जुलाई, साल 2002 में दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी ने विकास कार्य के नाम पर द्वारका के भरथल गांव की जमीन का अधिग्रहण किया था। करीब 6 साल बाद वर्ष 2008 में पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने डीडीए से जमीन लेकर उस पर हज हाउस (Haj House) के निर्माण का ऐलान कर दिया। डेवलपमेंट के नाम पर ली गई जमीन का इस्तेमाल किसी एक समुदाय के लिए इस्तेमाल होते देख ग्रामीणो ने सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए विरोध किया था पर उनकी आवाज कहीं दब सी गई। हालांकि, उसके बाद से इस जमीन पर हज हाउस (Haj House) के निर्माण के लिए एक ईंट तक नहीं रखी गई। अब केरजीवाल सरकार इसपर हज हाउस के निर्माण के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं तो इसबार विरोध व्यापक स्तर पर देखने को मिल रहा है।
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