पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयानों को सुनकर ऐसा लगता है, मानों विकास की असल गंगा तो बंगाल से ही बहती है। इसके विपरीत जमीनी स्तर पर राज्य की स्थिति कितनी अधिक बदतर है इसपर कोई चर्चा नहीं हो रही। नई सरकार बनने के बाद जब ममता सरकार के लिए आवश्यक था कि वो राज्य के विकास पर ध्यान दे किन्तु हालिया खबर बताती है कि राज्य में विकास कार्यों के लिए पीडब्ल्यूडी विभाग के खर्च में ही 60 प्रतिशत से ज्यादा की कटौती कर दी गई है। अर्थात् अब बंगाल में पहले से भी कम बुनियादी ढांचों के कार्यों पर खर्च होगा। ममता बनर्जी अलग-अलग तुष्टीकरण की योजनाओं के जरिए जो पैसा खर्च करती हैं, वही पैसा यदि विकास परियोजनाओं पर खर्च करतीं, तो बंगाल को भी फायदा होता, और राजनीतिक तौर पर ममता को भी।
खर्चों में कटौती के प्रयास
ABP बांग्ला की एक रिपोर्ट इस बात की ओर इशारा करती है कि पश्चिम बंगाल में सरकार अपने खर्च को कम करने पर ध्यान दे रही है। खर्च कम करने की दिशा में बंगाल सरकार ने पहला और बड़ा झटका राज्य के लोक निर्माण विभाग अर्थात् पीडबल्यूडी विभाग को दिया है, एक अधिसूचना के जरिए ही ये घोषणा की गई है कि ममता सरकार ने 60 फीसदी तक विभाग के बजट में कटौती कर दी है। इस फैसले का सीधा असर राज्य के सढ़क निर्माण के कार्यों पर पड़ेगा।
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सड़क निर्माण के लिए आवंटित 4,616 करोड़ रुपए के साथ ही शर्त रखी गई है कि इसका करीब 60 प्रतिशत 2,650 करोड़ रुपए का खर्च न किया जाए। इस मामले में विभाग द्वारा जानकारी दी गई है, कि राज्य सरकार सड़क एवं पुलों के निर्माण के लिए होने वाले सुधारों पर ध्यान देना चाहती है। इसके चलते ही बजट में कटौती की है। अब कटौती करके कैसे सुधार होंगे? फ्लाईओवर और सड़कों के निर्माण कैसे होंगे? यकीनन ये ममता सरकार का बेतुका तर्क है, किन्तु ये ममता सरकार की प्राथमिकताओं को दर्शाता है।
राजस्व में भारी कमी
टीएफआई आपको पहले ही बता चुका है कि कैसे पहले वामदलों ने बंगाल को आर्थिक रूप से कमजोर किया, तो दूसरी ओर पिछले 10 वर्षों में ममता बनर्जी ने तुष्टीकरण और राज्य की ढुलमुल आर्थिक नीतियों के चलते पश्चिम बंगाल की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर हो गई है। यहां से निवेश लगभग खत्म हो चुका है। ऐसे में ममता बनर्जी भी इस बात को समझ चुकी हैं। संभवतः उन्होंने इसीलिए अपने कैबिनेट मंत्री मलय घटक को खर्च को कम करने का आदेश दिया है। इसके पीछे मंत्रियों द्वारा ये कहा जा रहा है कि बजट आवंटन का पूरा पैसा उपयोग में ही नहीं आ पाता है, इसलिए ममता सरकार सही तरीके से खर्च की बात कर रही है। इसके विपरीत सत्य ये है कि ममता राज्य में धार्मिक एवं राजनीति लाभ की नीयत से पैसों को खर्च कर रही हैं। राज्य सरकार महिलाओं को दी जाने वाली राशि के वितरण के लिए अलग-अलग मंत्रालयों से फंड जुटा रही हैं, जिसका प्रमाण सड़क निर्माण के बजट में कटौती भी है। वहीं भवानीपुर सीट पर हिन्दुओं को लुभाने के लिए ही ममता ने पूरे बंगाल में दुर्गा पूजा के पंडालों की कमेटियों को फंड देने की बात कर चुकी हैं।
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भाजपा का हमला
ममता सरकार के इस फैसले के संबंध में विधानसभा में विपक्ष के नेता और भाजपा विधायक सुवेंदु अधिकारी ने भी ममता को आड़े हाथों लिया गया है। सरकार की अधिसूचना के दस्तावेजों को ट्विटर पर शेयर करते हुए सुवेंदु ने कहा है कि राज्य में विकास पिछड़ रहा है, और ये सब ममता सरकार की नामकामियों का सबूत है। वहीं, भाजपा नेता शमिक भट्टाचार्य ने भी ममता पर हमला बोलते हुए कहा है कि सरकार के पास विकास कार्यों के लिए पैसा नहीं है, जो कि अफसोसजनक बात है।
WB Govt maneuvering through bankruptcy, is forcing PWD to bear the brunt. Even 60% reduction in budget for roads is not enough as officials are being asked to make further restrictions.
Development takes a backseat?
WB Govt's brand new scheme:
"Duare Garta" (Potholes @ doorstep). pic.twitter.com/iWVudUEQzS— Suvendu Adhikari (Modi Ka Parivar) (@SuvenduWB) September 15, 2021
ऐसे में ये कहा जा सकता है कि खर्चों में कटौती करने के मुद्दे पर ममता सरकार बुरी तरह घिर गई है, क्योंकि राज्य की सड़कों की स्थिति पहले से ही लचर है। ऐसे आवश्यकता इन्हें दुरुस्त करे की थी, किन्तु लोक निर्माण विभाग में कटौती कर ममता सरकार ने बैठे-बिठाए पहले से आक्रामक भाजपा को हमला करने का एक और मौका दे दिया है।