मोदी सरकार की उपलब्धियां जिसने देशवासियों के लिए कई कार्य सुगम किए हैं
पिछले कई वर्षों से मोदी सरकार निरंतर रिफॉर्म मोड में अग्रसर है। GST से लेकर विमुद्रीकरण तक, Insolvency and Bankruptcy Code से लेकर मौद्रिक नीति प्रक्रिया तक, कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती से लेकर आयकर के सरलीकरण तक मोदी सरकार की उपलब्धियां जिसने देशवासियों के लिए कई कार्य सुगम किए हैं। इनमें से कई सुधार ऐसे थे, जो क्रांतिकारी भी थे, परंतु प्रारंभ में कुछ उद्योगों के लिए हानिकारक भी। हालांकि, बाद में यही सुधार देश की अर्थव्यवस्था के लिए हितकारी सिद्ध हुए और अब हमारे देश की अर्थव्यवस्था एक स्वर्णिम युग में पुनः प्रवेश को तैयार है।
हमारी अर्थव्यवस्था किस प्रकार से राइट ट्रैक पर है, इसका उदाहरण आप इसी से समझ सकते हैं कि इस समय प्रत्यक्ष कर कलेक्शन में वृद्धि पहली तिमाही में 86 प्रतिशत से भी अधिक दर्ज की गई है। इसके अलावा जीएसटी कलेक्शन हर माह 1 लाख करोड़ रुपये से ऊपर दर्ज हो रही हैं। कंपनियों के पंजीकरण में कोई कमी नहीं है, विशेषकर उत्पादन [Manufacturing] और कृषि क्षेत्र में, और आईटी एवं फार्मा क्षेत्र में तो अप्रत्याशित वृद्धि और उन्नति देखने को मिल रही है।
कुछ लोगों में कोरोना की तीसरी लहर का भय है, परंतु इस बार दूसरी लहर के मुकाबले भारत पूरी तरह तैयार है। आधी से अधिक जनसंख्या को कम से कम कोविड के पहला वैक्सीन के डोज़ लग चुका है और सरकार अन्य संसाधन भी जुटाने के लिए युद्धस्तर पर काम कर चुकी है। एक ओर पाश्चात्य जगत और ईस्ट एशिया अभी भी डेल्टा वेरियंट से जूझ रहे हैं, तो वहीं केरल को छोड़ कर भारत के लगभग सभी राज्यों में स्थिति नियंत्रण में है।
इसके अलावा आर्थिक गतिविधियों में बढ़ती सकारात्मकता के कारण अब देश के वित्तीय संस्थान भी क्रेडिट देने के लिए तैयार हो रहे हैं। पिछले चार से पाँच वर्षों तक भारत में क्रेडिट ग्रोथ में वृद्धि 1 से 2 प्रतिशत के बीच थी, क्योंकि बैंकों के पास एनपीए [Non Perfoming Asset] की भरमार थी और उचित डिमांड नहीं थी। परंतु अब देश के वित्तीय संस्थान भी समझ रहे हैं कि देश में आर्थिक वृद्धि का स्वर्णिम युग निकट आ रहा है, और इसीलिए वे दिल खोल कर क्रेडिट देने को तैयार हैं।
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भारत की आर्थिक रिकवरी का प्रमाण
भारत की आर्थिक रिकवरी का प्रमाण हाल ही में ICRA की एक रिपोर्ट में पाया गया है। ICRA की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर के अनुसार, “जुलाई 2021 में राज्यों द्वारा पाबंदियाँ हटते ही आर्थिक रिकवरी की जड़ें जुलाई 2021 में गहरी होती गई, विशेषकर दक्षिण भारत के राज्यों में। एक नॉर्मल बेस होने के बाद भी 15 में से 8 आर्थिक हाई फ्रीक्वेन्सी इन्डिकेटरों में सकारात्मकता दिखाई दे रही है, जिससे सकारात्मक सुधार के आसार दिखाई दे रहे हैं।”
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इसके अलावा month to month स्तर पर गैर वित्तीय इन्डिकेटरों में 13 में से 10 इन्डिकेटरों में सकारात्मक परिणाम दिखाई दे रहे हैं। इन सभी में जो वर्तमान परिणाम है, वह कोविड से पहले वाले स्तर पे जा रहे हैं। ये तब संभव हुआ है, जब अप्रैल 2021 से मई 2021 के बीच कोविड की दूसरी लहर के कारण एक कड़ा लॉकडाउन घोषित हुआ था। जो सात इन्डिकेटर प्री कोविड लेवल पर पहुंचे हैं, उनमें गैर तेल मर्चन्डाइज़ एक्सपोर्ट, जीएसटी, ई वे बिल, इलेक्ट्रिसिटी जनरेशन, CIL आउट्पुट, पेट्रोल कन्सम्पशन, PV आउटपुट एवं रेल फ्रेट ट्राफिक इत्यादि सम्मिलित हैं।
जैसे 2000 में हमारे देश ने डबल डिजिट ग्रोथ देखी थी, वैसे पुनः देखने को मिल सकती है। एक बार लॉकडाउन संबंधित पाबंदियाँ पूरी तरह हट जाए और यदि पर्यटन जैसे क्षेत्र जुड़ जाएँ, तो भारत की आर्थिक प्रगति को मापना और उसे रोकना लगभग असंभव होगा, और विश्व की आर्थिक प्रगति में भी भारत एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
























