कोरोना त्रास ने राज्यों और राज्यों की अर्थनीति को चौपट कर के रखा है और इससे कोई अनभिज्ञ नहीं है। राज्यों ने इस आपदा में कितने अवसर तलाशे और अपने राज्य की जनता के विकास में कोई बाधा न उत्पन्न हो इसके लिए वास्तव में वे कितने सजग दिखे उसका अनुमान दो राज्यों को तराजू में तोलकर लगाया जा सकता है। देश के सर्वाधिक जनसंख्या वाले प्रदेश उत्तर प्रदेश और देश के दक्षिण के अधिक जनसंख्या वाले राज्यों में से एक केरल में कोरोना की पहली और दूसरी लहर ने अपने-अपने स्तर पर खूब उत्पात मचाया। निस्संदेह इससे अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ा खतरा भी उत्पन्न हुआ जिससे राज्य की प्रत्येक व्यवस्था लचर हुई और चरमरा गई। लेकिन उत्तर प्रदेश ने जिस प्रकार हर क्षेत्र में कोरोना विस्फोट के बावजूद जो नियंत्रण स्थापित किया, केरल की नियंत्रण नीति उसके आसपास भी नहीं भटकती है।
COVID-19 महामारी ने केरल राज्य की अर्थव्यवस्था को गहरा झटका दिया है और राज्य के वित्त पर गंभीर दबाव डाला है। केरल की अर्थव्यवस्था बजट 2020-21 के संबंध में वर्ष 2020-21 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) का 1, 56, 041 करोड़ का नुकसान हुआ है।
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गौरतलब है कि इस वर्ष केरल ने 9 मई से पूर्ण लॉकडाउन लागू कर दिया था, जब दूसरी लहर ने राज्य का विध्वंस करना शुरू कर दिया था। इसी अवधि के दौरान, उत्तर प्रदेश जैसे राज्य, जिसकी आबादी 24 करोड़ से अधिक है पर जब ये राज्य दूसरी लहर से प्रभावित था तब इसने पूर्ण तालाबंदी की घोषणा की थी। उस कदम के दो महीने बाद, उत्तर प्रदेश वायरस के प्रसार को प्रभावी ढंग से रोकने में सक्षम रहा और सकारात्मकता दर को 0.02 प्रतिशत तक ले लाया है। राज्य ने अपनी अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से खोल दिया है और जनजीवन कमोबेश सामान्य हो गया है। फिर भी केरल एक अनोखे मामले के रूप में सामने आया है।
शायद, दूसरे राज्यों में दूसरी लहर देखने वाले मुख्यमंत्री को यह विश्वास था कि उनके पास सब कुछ नियंत्रण में है। इसलिए, सभी तिमाहियों से मिली सलाह को नजरअंदाज करते हुए, उन्होंने वैकल्पिक दिनों में अर्थव्यवस्था को खोलने का फैसला किया। यह नासमझी पर्याप्त नहीं थी, तो पिनाराई विजयन ने अपनी तुष्टिकरण की राजनीति के हिस्से के रूप में ईद-अल-अधा पर प्रतिबंधों को हटाने का फैसला करते हुए अपनी खुद की मूर्खता को दूर कर दिया था।
Almost 65% of total recent COVID cases are from Kerala, making Kerala the Mecca of COVID.
So much is already said and done by Central govt as well as Judiciary to prevent the #ThirdWave but Kerala's mismanagement like opening markets for EID sabotaged all the efforts. pic.twitter.com/oQEizYSxMw
— Varun Puri (Modi Ka Parivar)🇮🇳 (@varunpuri1984) August 25, 2021
आज उत्तरप्रदेश में कोविड -19 की सकारात्मकता दर 0.01 प्रतिशत से कम हो गई है। इस दर में कई दिनों से लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है, यह संकेत देती है कि राज्य से महामारी की लहर कम हो रही है।
उत्तर प्रदेश में वर्तमान कोविड टेस्ट पोसिटीविटी रेट (टीपीआर) 0.006 प्रतिशत है। इसके विपरीत, केरल जैसा राज्य कोई कमी दर्ज करने में विफल रहा है और उसका टीपीआर 18.67 प्रतिशत है। आज के आंकड़ों की बात करें तो बीते 24 घंटों में उत्तर प्रदेश में मात्र 17 नए कोरोना केस आए हैं जबकि केरल में 30,203 नए कोरोना केस दर्ज किए गए हैं। उल्लेखनीय है कि केरल में कोविड टेस्टिंग उत्तर प्रदेश की तुलना में काफी कम रही है।
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Why are they blaming Onam for rise in Covid cases in Kerala ?? There was Bakr Eid, Mohharam… pic.twitter.com/CYqKdbbwap
— नंदिता ठाकुर 🇮🇳 (@nanditathhakur) August 26, 2021
अंतर स्पष्ट है उतर प्रदेश ने इतनी जनसंख्या होने के बाद भी कोरोना नियंत्रण में अपनी सूझभूझ का परिचय दिया तो वहीं केरल ने अपने राजनीतिक उल्लू को सीधा करने के लिए ईद और मुहर्रम जैसे प्रयाजनों के अनुमति देकर आ बैल मुझे मार का काम किया था। इससे अर्थव्यवस्था भी धरातल पर आ गई है और अन्य सभी व्यवस्थाओं पर ताला जड़ गया है। यह सुशासन नहीं कुशासन का अभिप्राय है।