महंत नरेंद्र गिरी को किसने मारा? : हाल ही में उत्तर प्रदेश में हृदयविदारक घटना हुई, जब महंत नरेंद्र गिरी रहस्यमयी परिस्थितियों में मृत पाए गए। जिस अवस्था में उनकी लाश मिली, उससे प्रतीत हो रहा था कि उन्होंने आत्महत्या की, परंतु उनके शिष्यों का मानना है कि उनकी हत्या हुई है और इसकी जांच आवश्यक है, जिसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आश्वासन भी दिया है, जिसके लिए उन्होंने SIT जांच भी बिठाई है।
अब महंत नरेंद्र गिरी से तीन महत्वपूर्ण प्रश्न जुड़े हैं – वे कौन है, उनकी मृत्यु क्यों और कैसे हुई, और यदि उनकी हत्या वास्तव में हुई, तो महंत नरेंद्र गिरी को किसने मारा?
सर्वप्रथम तो महंत नरेंद्र गिरी के बारे में जानते हैं। वे ‘अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (ABAP)’ के अध्यक्ष और प्रयागराज स्थित बाघंबरी मठ के महंत थे। 20 सितंबर को वे रहस्यमयी परिस्थितियों में मृत पाए गए थे। तभी से अनेक प्रकार की अटकलें लगाई जा रही हैं।
प्रयागराज स्थित मठ में रहने वाले सेवादारों, शिष्यों, एवं समाजवादी पार्टी के नेताओं पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि महंत नरेंद्र गिरी से संबंधित एक संत आनंद गिरी समाजवादी पार्टी के भी निकट थे। एक शिष्य बबलू ने बताया कि रविवार (19 सितंबर, 2021) को महंत ने गेहूँ में रखने के लिए सल्फास की गोलियाँ मँगाई थीं। कमरे में सल्फास की डिब्बी मिली, जो बंद थी। एक सपा राज्य मंत्री का नाम भी सामने आ रहा है।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, एक व्यक्ति ने बताया कि उन्होंने महंत के मृत शरीर को फंदे से लटकता पाया गया था। उस व्यक्ति के बयान के अनुसार, “मैंने और एक अन्य शिष्य सुमित ने महंत जी को फँदे से उतारा था। प्रतिदिन महंत नरेंद्र गिरि शाम 5 बजे के आसपास चाय पीने के लिए कमरे से बाहर आते थे। सवा 5 बजे तक जब दरवाजा नहीं खुला तो दरवाजा को खटखटाया गया”
इसके पश्चात पुलिस को घटना के सम्बन्ध में सूचित किया गया। बाघंबरी मठ में 12 से अधिक CCTV कैमरे लगे हुए हैं। उसे खँगाला जा रहा है। वहाँ से कोई सुराग हाथ लगने की संभावना है। प्रारम्भिक सूत्रों के अनुसार 7 पन्नों का सुसाइड नोट प्राप्त हुआ, परंतु इससे उनके शिष्यों का मतभेद है, क्योंकि उनके अनुसार महंत नरेंद्र गिरी अधिक शिक्षित नहीं थे। ‘अखिल भारतीय संत समिति’ और ‘गंगा महासभा’ के महासचिव जीतेंद्रानंद सरस्वती का कहना है कि वह इतना बड़ा सुसाइड नोट लिख ही नहीं सकते थे। दैनिक भास्कर की ही एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार गंगा सफाई आंदोलन में उनके साथ काम कर चुके कानपुर के श्रमिक नेता रामजी त्रिपाठी का कहना है कि महंत नरेंद्र गिरी अपने शिष्यों से ही चीजें पढ़वाते थे और पत्र वगैरह लिखवाते थे।
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अब प्रश्न ये उठता है : यदि महंत नरेंद्र गिरी ने आत्महत्या नहीं की, तो महंत नरेंद्र गिरी को किसने मारा? आज तक की रिपोर्ट के अनुसार, महंत नरेंद्र गिरी को सपा नेताओं द्वारा एक सीडी के जरिए ब्लैकमेल किया जा रहा था। उक्त राज्य मंत्री नरेंद्र गिरी के शिष्य आनंद का भी करीबी है। कहा जा रहा है कि उस दिन नरेंद्र गिरी किसी का इंतजार कर रहे थे। उनका रिकॉर्ड किया एक वीडियो भी पुलिस ने बरामद किया है। इसके अलावा महंत नरेंद्र गिरी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस निर्णय का भी समर्थन किया था, जहां गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की बात कही गई थी।
इन सब बातों को संज्ञान में लेते हुए उत्तर प्रदेश प्रशासन ने निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है। उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने इस मामले में निष्पक्ष जाँच का आश्वासन दिया है। स्वयं योगी आदित्यनाथ ने SIT जांच बिठाने का निर्णय किया है। उन्होंने स्पष्ट कहा है, “महान संत की मौत के मामले में जाँच में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी और किसी पर भी संदेह होने पर उसके साथ सख्ती से पेश आया जाएगा।”
फिलहाल के लिए पुलिस महंत नरेंद्र गिरि को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में उनके शिष्य योगगुरु आनंद गिरि, हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या तिवारी और उनके बेटे संदीप तिवारी को गिरफ्तार कर उनसे पूछताछ कर रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, महंत नरेंद्र गिरि आत्महत्या मामले में प्रयागराज में गठित एसआईटी में डेप्यूटी एसपी अजीत सिंह चौहान के साथ इंस्पेक्टर महेश को भी रखा गया है। इस मामले में डीआइजी सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी ने कहा कि जरूरत पड़ी तो कुछ लोगों का लाई डिटेक्टर टेस्ट भी कराए जाएँगे।
ऐसे में योगी आदित्यनाथ द्वारा SIT जांच बिठाकर एक ही तीर से दो निशाने भेदे जाएंगे। एक तरफ संत समाज को यह विश्वास भी रहेगा कि उनकी समस्याएँ अनसुनी नहीं जाएंगी, और दूसरी ओर, ये भी सामने आएगा कि आखिर क्यों और किसलिए महंत नरेंद्र गिरी की मृत्यु हुई। यदि ये आत्महत्या थी, तो ऐसा निकृष्ट कदम उन्होंने क्यों उठाया, और यदि ऐसा नहीं है, तो उन्हे किस लिए और क्यों मार डाला गया?