युगांत हुआ, प्रशासनिक सेवा का सबसे दीप्तिमान सूर्य आज शून्य में समाहित हुआ। सूर्य समान इस प्रखर पुरुष का नाम था- शक्ति सिन्हा। दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निजी सचिव, पूर्व नौकरशाह और शिक्षाविद शक्ति सिन्हा का सोमवार को निधन हो गया। वह 64 वर्ष के थे।
सूत्रों के अनुसार, शक्ति सिन्हा उच्च रक्तचाप से पीड़ित थे और बेचैनी की शिकायत पर उन्हें आईपी एक्सटेंशन के आरके अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मृत्यु हो गयी।
राजनीतिक नेताओं और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने शक्ति सिन्हा के आकस्मिक निधन पर शोक और दुख व्यक्त किया और एक रणनीतिक विचारक और सार्वजनिक नीति उनके नेतृत्व और योगदान को याद किया:-
- राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के प्रेस सचिव अजय सिंह ने ट्वीट किया, “जीवन कितना नाजुक है! कल ही शक्ति सिन्हा जी से मुलाकात की और एक लंबी और समृद्ध बातचीत हुई। अब वह नहीं रहे। बहुत दुख की बात है!”
- भाजपा नेता राम माधव ने कहा कि शक्ति सिन्हा गवर्निंग बोर्ड ऑफ इंडिया फाउंडेशन के सदस्य हैं और आज दोपहर लेह में एक सम्मेलन को संबोधित करने वाले थे। उन्होंने ट्वीट किया, “एक विनम्र और सरल लेकिन विद्वान और बौद्धिक प्राणी थे। एक बड़ी क्षति। गहरी संवेदना। ओम्,”
- पीसीआई ने ट्वीट किया- “प्रेस क्लब ऑफ इंडिया पूर्व नौकरशाह और तीन मूर्ति में नेहरू मेमोरियल लाइब्रेरी एंड म्यूजियम के निदेशक शक्ति सिन्हा, शिक्षाविद और लेखक के असामयिक निधन से स्तब्ध है। श्री शक्ति सिन्हा कुछ दिनों पहले पीसीआई चर्चा का हिस्सा थे। हम शोक करते हैं उनके असामयिक निधन पर करुण वेदना व्यक्त करते है।”
- पूर्व सेना प्रमुख वेद मलिक ने कहा कि शक्ति सिन्हा सशस्त्र बलों के कल्याण से संबंधित मामलों में अपनी तत्परता के लिए सिन्हा हमेशा मददगार रहे हैं। उन्होंने ट्वीट किया, “शक्ति सिन्हा के निधन के बारे में जानकर दुख हुआ। एक विद्वान और एक अच्छे इंसान। कारगिल युद्ध के दौरान पीएम वाजपेयी के साथ पीएस थे। सशस्त्र बलों के कल्याण से संबंधित मामलों में हमेशा मददगार रहे। आरआईपी। ओम शांति।“
- भाजपा नेता जय पांडा ने सिन्हा को बेहतरीन सिविल सेवकों और जन बुद्धिजीवियों में से एक बताया। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “उन्होंने पीएम वाजपेयी के करीबी सहयोगी के रूप में काम किया, बड़े पैमाने पर लिखा, बोला जिसे व्यापक रूप से पसंद किया गया और प्रशंसा की गई। उनका आज अचानक निधन हो गया, भारत में योगदान देने के लिए उनके पास बहुत कुछ था। ओम शांति।”
- अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने शक्ति सिन्हा के निधन पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने ट्वीट किया, “हमने एक बहुत ही प्रतिष्ठित व्यक्ति को खो दिया। उनका अद्भुत कार्य और कोमल आत्मा हमेशा हमारे दिल में रहेगी। मैं भगवान बुद्ध से शोक संतप्त परिवार को शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करता हूं। दिवंगत आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति हो।”
- IAS एसोसिएशन ने ट्वीट किया, “हम श्री शक्ति सिन्हा के असामयिक निधन पर शोक व्यक्त करते हैं। वह एक प्रशासक, विचारक और उत्कृष्ट लेखक थे। हाल ही में उन्होंने व्यापक रूप से प्रशंसित पुस्तक- वाजपेयी: द इयर्स दैट चेंजेड इंडिया प्रकाशित की। परिवार के सदस्यों के प्रति हमारी संवेदना”।
वाजपेयी के साथ शक्ति सिन्हा का रिश्ता 1980 में शुरू हुआ था जब उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय में नियुक्त किया गया था। वह पूर्व प्रधानमंत्री की विचार प्रक्रिया और भाषणों के शौकीन थे। 1990 के दशक के अंत में, जब उन्हें वाजपेयी के साथ काम करने का मौका मिला तो वे बहुत खुश हुए थे।
1979 बैच के एक आईएएस अधिकारी, शक्ति सिन्हा ने दो संस्थानों की स्थापना के लिए काम किया – एक थिंक टैंक (अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिसी रिसर्च एंड इंटरनेशनल स्टडीज, एमएस यूनिवर्सिटी, वडोदरा में) और एक अकादमिक इंस्टीट्यूशन ऑफ एक्सीलेंस (दिल्ली स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी एंड गवर्नेंस, दिल्ली विश्वविद्यालय)।
दिवंगत विद्वान ने उस अवधि का एक संस्मरण भी लिखा था – “Vajpayee: The years that changed India”। वह तीन मूर्ति में नेहरू मेमोरियल लाइब्रेरी एंड म्यूजियम के पूर्व निदेशक थे। शक्ति सिन्हा ने 1990 के दशक के अंत में निजी सचिव और फिर प्रधानमंत्री के संयुक्त सचिव के रूप में भी काम किया। वह अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय में अत्यधिक शक्तिशाली अधिकारियों में से एक थे। सरकारी सेवाओं से लेकर व्यापारिक संस्थाओं तक के अधिकारियों ने उनके आकस्मिक निधन पर दुख व्यक्त किया।
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शक्ति सिन्हा एक सोच थे, प्रशासनिक क्षेत्र के प्रवर्तक थे। उन्होने लालफीताशाही को सेवा भाव में परिवर्तित कर दिया। वो ना सिर्फ एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी थे वरन एक उत्कृष्ट लेखक और शिक्षाविद भी थे। उनका व्यक्तित्व बहू आयामी होने के बावजूद विराटता को जिस प्रकार सौम्यता में समेटता है, वह अतुलनीय है।
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