संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के राजदूत गिलाद एर्दन (Gilad Erdan) ने UN के मंच से ही इजरायल की निंदा करने वाली संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद यानी UNHRC की वार्षिक रिपोर्ट को फाड़ते हुए फटकार लगाई है। महासभा में अपने भाषण के दौरान इजरायल के दूत ने एक विशेष सत्र के दौरान UNHRC को “इस्राइल विरोधी पूर्वाग्रह” के लिए लताड़ा।
उन्होंने अपने भाषण में कहा कि 15 साल पहले परिषद की स्थापना के बाद से ही इसने ईरान की तरह 10 बार या सीरिया की तरह 35 बार इजरायल को दोष दिया है और निंदा किया है। उन्होंने आगे कहा की “मानवाधिकार परिषद (UNHRC) ने इजरायल पर हमला करने का एक मौका नहीं छोड़ा और संयुक्त रूप से अन्य सभी देशों के मुकाबले 142 की तुलना में इजरायल के खिलाफ 95 प्रस्ताव लेकर आ चुका है।”
Today, I addressed the @UN General Assembly and spoke out against the baseless, one-sided, and outright false accusations from the Human Rights Council's annual report. 1/8 pic.twitter.com/b4YIv2jGaK
— Ambassador Gilad Erdan גלעד ארדן (@giladerdan1) October 29, 2021
उन्होंने UNHRC की धज्जियां उड़ाते हुए कहा कि, “यह वही संस्था है, जहां पर यहूदी लोगों के देश के अधिकार को नस्लवादी घोषित किया गया था। वह एक ऐसा निर्णय था, जिसे उचित रूप से उलट दिया गया था। उसी निर्णय को उस समय इजरायल के राजदूत Chaim Herzog ने संयुक्त राष्ट्र में फाड़ दिया था और ठीक इस बार की इस Anti Semitic विकृत एकतरफा रिपोर्ट के साथ किया जाना चाहिए।”
1975 में Herzog ने किया था यही कारनामा
बता दें कि एर्दन ने Herzog के नवंबर 1975 के भाषण का जिक्र किया था, जिसमें उन्होंने इसी तरह का कारनामा किया था। उन्होंने महासभा के मंच पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को फाड़ दिया और कहा कि, “यह हमारे लिए, यहूदी लोगों के लिए, एक कागज के टुकड़े से अधिक नहीं है और हम इसे इस तरह से नहीं मानेंगे।”
एर्दन ने भी उसी तरह कहा कि UNHRC रिपोर्ट का एकमात्र स्थान “Anti Semitism के कूड़ेदान में” है और इसके बाद उन्होंने पोडियम पर खड़े-खड़े ही रिपोर्ट को फाड़ा और चले गए।
नाटकीय और यादगार क्षण, Herzog ने महासभा के मंच पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को फाड़ दिया था, Chaim Herzog कहा था कि, "यह हमारे लिए, यहूदी लोगों के लिए, यह एक कागज के टुकड़े से अधिक नहीं है और हम इसे इस तरह से मानेंगे।"
17.07 Min पर। https://t.co/vuyU8WRB3C
— अभिनव (@abhinavpratap_s) November 1, 2021
दरअसल, UNHRC ने शुक्रवार को एक बयान में कहा था कि उसकी ओर से 2021 में म्यांमार, अफगानिस्तान और इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष पर तीन विशेष सत्र आयोजित किए गए थे। UNHRC परिषद ने बताया कि इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष वाले सत्र में “कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र और इजरायल में अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के सभी कथित उल्लंघनों तथा अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के हनन की जांच के लिए एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच आयोग को स्थापित करने का निर्णय लिया गया।”
दूसरी ओर इजराइल ने लंबे समय से UNHRC पर इजरायल विरोधी पूर्वाग्रह का आरोप लगाया है। इजराइल एकमात्र ऐसा देश है, जिस पर एक विशेष एजेंडा के साथ परिषद के हर सत्र में व्यवस्थित रूप से चर्चा की जाती है!
चीन के इशारे पर नाचता है UNHRC!
UNHRC का इजरायल विरोधी रवैया ही था, जिसके कारण अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में अमेरिका ने परिषद छोड़ने का फैसला किया था। ये वही UNHRC है, जो भारत और पीएम मोदी के खिलाफ रिपोर्ट प्रकाशित करता रहता है। ये वही UNHRC है, जिसने CAA को भेदभावपूर्ण बताया था और भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की कहानी गढ़ी थी। यही नहीं, इसी संगठन ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ भारत के सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की बात भी कही थी।
भारत द्वारा CAA लागू करने के बाद संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त के प्रवक्ता जेरेमी लॉरेंस ने एक बयान जारी किया था, जिसमें लिखा था, “हम चिंतित हैं कि भारत का नया नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 मूलभूत रूप से भेदभावपूर्ण है।” देखा जाए तो इस संगठन पर हमेशा की पक्षपाती होने का आरोप लगता रहा है। साथ ही इसे चीन के इशारे पर नाचने वाले संगठन रूप में भी जाना जाता है! इसी बीच इजरायल के राजदूत ने इस संगठन को वास्तविकता याद दिलाते हुए एक करारा तमाचा जड़ा हैं। अब इस संगठन को यह समझना चाहिए कि उसके किसी भी रिपोर्ट से किसी कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।