जन-धन: देश में अपराध को कम कर रही है पीएम मोदी द्वारा शुरु की गई वित्तीय समावेशन योजना!

वाह मोदी जी वाह!

जन-धन योजना

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स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि जिन राज्यों में बड़ी मात्रा में जन-धन खाते खोले गए हैं, वहां क्राइम रेट कम हुआ है। प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत जिन राज्यों में खाते खुले हैं और उनमें बैलेंस लगातार बना रहा है, वहां ना सिर्फ क्राइम रेट में कमी देखने को मिली है, बल्कि इन राज्यों में नशीली वस्तुओं के सेवन में भी कमी देखने को मिली है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का कहना है कि जन-धन खाते का यह प्रभाव संभवतः अकाउंट-मोबाइल-आधार को जोड़ने से संभव हुआ है।

दरअसल, मोदी सरकार ने जब प्रधानमंत्री जन-धन योजना की शुरूआत की थी, तो इसका उद्देश्य भारत के गरीब पिछड़े क्षेत्र में रहने वाले लोगों को अर्थव्यवस्था के मुख्यधारा से जोड़ना था। जिसका फायदा अब देखने को मिल रहा है। मौजूदा समय में भारत ने फाइनेंशियल इंक्लूजन के मामले में चीन को भी पीछे छोड़ दिया है।

खबरों के मुताबिक SBI की रिपोर्ट बताती है कि मोदी सरकार की जन-धन योजना, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और गांव-गांव खुले बीसी के प्रयासों के कारण भारत ने चीन, जर्मनी और दक्षिण अफ्रीका को पीछे छोड़ दिया है। वहीं, दूसरी ओर देश में जन-धन खातों के कारण सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ आम आदमी के पास पहुंचने लगा है।

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भ्रष्टाचार में कमी और क्राइम रेट में सुधार

डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर योजना से भ्रष्टाचार में कमी देखने को मिली है और इसके साथ ही विभिन्न सरकारी योजनाओं को सीधे आम आदमी के मोबाइल फोन से जोड़ दिया है। मोदी सरकार का मंत्र मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस, जन-धन योजना, आधार लिंक योजना, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर योजना आदि के कारण सफल हुआ है। मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस का तात्पर्य यही था कि किसी भी योजना में सरकारी बाबुओं का हस्तक्षेप कम होगा, किंतु सरकार की पहुंच का विस्तार दिनों दिन बढ़ता जाएगा। इन योजनाओं ने इस मंत्र को अक्षरशः सत्य सिद्ध किया है। आज आम आदमी जन-धन खाते के कारण अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में है, आवास योजना का लाभ लेकर मकान बन रहे हैं, शौचालय बन गए हैं, आम आदमी का जीवनस्तर सुधर रहा है। ऐसे में क्राइम रेट में कमी स्वाभाविक है। वहीं, दूसरी ओर प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने आम आदमी को आर्थिक उत्थान के अवसर प्रदान किया है।

परिलक्षित होने लगे हैं सरकार के सुधारों के परिणाम

मोदी सरकार ने पिछले साढ़े 7 वर्षों में जो भी सुधार लागू किए हैं उनके परिणाम धीरे-धीरे परिलक्षित होने लगे हैं। भारत का निर्यात तेजी से बढ़ रहा है और विभिन्न संस्थाएं यह दावा कर रही है कि भारत का आर्थिक विकास अगले एक दशक तक बरकरार रहेगा। इसी क्रम में SBI की रिपोर्ट भी सरकार की उपलब्धियों को स्पष्ट कर रही है। केंद्र ने देश के आर्थिक एकीकरण के लिए व्यापक सुधार लागू किए हैं और अब राज्य सरकारें जितनी तेजी से अपने यहां इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास करेंगी, कानून व्यवस्था में सुधार करेंगी और औद्योगिकीकरण के अनुकूल माहौल तैयार करेंगी, भारत का आर्थिक विकास उतनी तेजी से होगा।

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