कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है और इस पार्टी ने लंबे समय तक सत्ता की बागडोर संभाली है। इतनी अनुभवी पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस ने देश में विकास के नाम पर सिर्फ चुनावी राजनीति का ढिंढोरा पीटा है। इतिहास इस बात का साक्षी रहा है कि किसी समय में सत्ता की गद्दी पर आसीन रही कांग्रेस पार्टी ने देश को आधुनिक बनाने की बजाय शोषित करने का बेड़ा उठाया था। यह सब इसलिए क्योंकि आज कांग्रेस का हाल बद् से बद्तर हो गया है। कांग्रेस, अपनी पार्टी के ओल्ड गार्ड के खिलाफ ही लड़ रही है। वहीं, कांग्रेस के भीतर आपसी अंतर कलह का दौर जारी है। हाल ही में, कांग्रेस के नेता मणिशंकर अय्यर ने देश के सन्दर्भ में एक बयान दिया है, जो कि सुर्खियाँ बटोर रहा है।
कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर का विवादित बयान
मणिशंकर अय्यर ने अपने विवादित बयान में कहा है कि “देश को रक्षा पर कम खर्च करना चाहिए, भारत को इसके बजाय शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण में निवेश करना चाहिए।” मणिशंकर अय्यर कांग्रेस के उन नेताओं में शामिल है, जो हर एक मुद्दे पर अनावश्यक बातें बोलकर अपनी और अपनी पार्टी की जगहसाई करते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस के नेता मणिशंकर अय्यर ने देश के खिलाफ बोलने की कसम खा ली है।
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बता दें कि दिल्ली में भारत-रूस समाज कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अय्यर ने दावा किया कि “अगर देश सैन्य हथियारों में कम निवेश करें तो दुनिया से गरीबी दूर की जा सकती है।” अय्यर अक्सर पाकिस्तान से जुड़े अपने बयानों को लेकर विवादों में घिरे रहते हैं।
अय्यर के अलावा कांग्रेस में उनके साथी नवजोत सिंह सिद्धू ने भी एक विवादास्पद टिप्पणी की थी, जब उन्होंने पाकिस्तान में करतारपुर गुरुद्वारे का दौरा किया था। जहां उन्होंने पाकिस्तान के पीएम इमरान खान का जिक्र किया था। करतारपुर में पत्रकारों को संबोधित करते हुए “सिद्धू ने यूरोपीय संघ (ईयू) की तरह ही पाकिस्तान के साथ ‘खुली सीमाओं’ की वकालत की थी।”
गौरतलब है कि मणिशंकर अय्यर की टिप्पणी विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान के कुछ दिनों बाद आई है। आपको बता दें कि एस जयशंकर ने अपने बयान में कहा था कि “भारत और चीन अपने संबंधों में “विशेष रूप से खराब पैच” से गुजर रहे हैं।”
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बार-बार घुसपैठ का जिक्र करते हुए उन्होंने आगे कहा कि “चीन ने अपने समझौतों का उल्लंघन करते हुए कई कदम उठाए हैं, जिसके लिए उसके पास ‘विश्वसनीय स्पष्टीकरण’ नहीं है।” साथ ही, यह भी कहा कि “चीनी नेतृत्व को जवाब देना है, कि वे द्विपक्षीय संबंध कहां बनाए रखना चाहते हैं।”
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कांग्रेस के राजनीतिक सफ़र का कायाकल्प
चीन के मुद्दे पर किसी कांग्रेसी नेता द्वारा रक्षा से जुड़े मामले पर इस तरह का बयान दर्शाता है कि कांग्रेस के नेता 1962 की गलती भूल गए हैं। आज दुश्मनों को जवाब देने वाली भाजपा सरकार पर सुझाव देकर मणिशंकर अय्यर खुद और अपनी पार्टी कांग्रेस की बेइज्जती कराने पर तुले हुए हैं। अय्यर रक्षा पर कम खर्च करने का बयान देकर भाजपा के निशाने पर आ गए हैं।
वहीं, भाजपा ने इस मुद्दे को लपकते हुए मणिशंकर अय्यर सहित कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है। देशव्यापी मुद्दे पर पूरा भारत जानता है कि भाजपा के सामने कांग्रेस की छवि का कोई तुल्य नहीं है, किन्तु उत्तर प्रदेश चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस नेता द्वारा इस तरह का बयान सामने आना कांग्रेस के राजनीतिक सफ़र का कायाकल्प कर सकता है।