Pushpa – The Rise – आप इस कहावत से भलीभांति परिचित होंगें-‘लोहा ही लोहे को काटता है’ वो कैसे? हाल ही में ‘Spider Man –No Way Home’ फिल्म ने ना सिर्फ भारत भर में धूम मचा रखी है अपितु आधे से अधिक शो भारत में इस हॉलीवुड फिल्म ने बुक कर दिए हैं। एक समय ऐसा लग रहा था कि इस फिल्म को कोई चुनौती देने योग्य नहीं है परंतु एक भारतीय फिल्म ने न केवल इसे चुनौती दी बल्कि भारतीय सिनेमा का मान बरकरार रखते हुए ये भी सिद्ध किया कि अगर फिल्म में दम हो, तो न भाषा की सीमा मायने रखती है और ना ही क्षेत्र के बंधन।
हॉलीवुड के टक्कर में टॉलीवुड की फिल्में
दरअसल, हाल ही में प्रदर्शित तेलुगु फिल्म ‘Pushpa – The Rise’ ने सभी को अपने शानदार प्रदर्शन से चौंका दिया है। सुकुमार द्वारा निर्देशित Pushpa – The Rise फिल्म में तेलुगु सुपरस्टार अल्लू अर्जुन और रश्मिका मंदाना प्रमुख भूमिका में हैं। बता दें कि Pushpa – The Rise शेषचलम वन क्षेत्र में लाल चंदन के पेड़ों की तस्करी पर केंद्रित है। इस फिल्म ने ‘Spider Man’ के विजयरथ को चुनौती देते देते हुए केवल तीन दिनों में 100 करोड़ से भी अधिक की कमाई कर ली है, जिसमें से 12 करोड़ रुपये केवल हिन्दी में डब किये गए संस्करण से आए हैं।
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लगभग 200 से 250 करोड़ रुपये के बजट में बनी Pushpa – The Rise कुछ ही दिनों में न केवल अपना बजट रिकवर करने को तैयार है अपितु Marvel जैसे वैश्विक खिलाड़ियों को अपने स्तर पर टक्कर भी देने को तैयार है। इसके साथ ही एक बात और सिद्ध होती है कि भारत में Pan India फिल्मों की लोकप्रियता न केवल दिन प्रतिदिन बढ़ रही है अपितु यह भारतीय सिनेमा में बॉलीवुड के वर्चस्व को भी ध्वस्त करने के लिए उद्यत है।
अब ये कैसे संभव हो सकता है? इसका आरंभ साल 2015 में होता है, जब एस एस राजामौली ने अपनी फिल्म ‘बाहुबली’ को लगभग हर भाषा में प्रदर्शित करने का प्रयास किया था। मूल रूप से तेलुगु में बनी यह फिल्म अन्य संस्करणों में भी लोकप्रिय रही, परंतु Bollywood का वर्चस्व फिर भी कायम था।
टॉलीवुड फिल्मों की बड़ी है फैन फॉलोइंग
लेकिन 2017 में जब ‘बाहुबली’ का सीक्वेल आया, तो मानो सब कुछ बदल गया। इस फिल्म ने लगभग हर रिकॉर्ड को ध्वस्त करते हुए लगभग 1000 करोड़ से अधिक रुपये की कमाई की थी। यदि ‘दंगल’ फिल्म की सर्वाधिक कमाई चीन में नहीं होती, तो ‘बाहुबली’ वित्तीय तौर पर कुल राजस्व में भारत की सबसे सफल फिल्म सिद्ध होती, जिसने लगभग 1900 करोड़ रुपये वैश्विक बॉक्स ऑफिस पर कमाए थे।
लेकिन यह रीति यहीं खत्म नहीं हुई। बाहुबली के नेतृत्व में जब तेलुगु उद्योग ने ये सिलसिला प्रारंभ किया, तो कन्नड़ उद्योग कैसे पीछे रहता? अगले ही वर्ष 2018 में कोलार स्वर्ण खदान के गोरखधंधों पर आधारित ‘KGF’ का प्रथम संस्करण प्रदर्शित हुआ। कन्नड़ स्टार नवीन राज गौड़ा उर्फ ‘यश’ के नेतृत्व में यह फिल्म न केवल पूरे भारत में प्रदर्शित हुई, अपितु उसने उसी दिन भारत में प्रदर्शन का निर्णय लिया, जिस दिन शाहरुख ख़ान की बहुप्रतीक्षित ‘जीरो’ प्रदर्शित होने को तैयार थी।
‘KGF’ ने अपेक्षाओं के विपरीत न केवल ‘ज़ीरो’ की नैया डुबाई अपितु 250 करोड़ से अधिक कमाकर एक अलग पहचान भी बनाई और आज दर्शक KGF के दूसरे संस्करण के लिए बॉलीवुड के बड़े से बड़े फिल्म से भी अधिक प्रतीक्षारत हैं। इसे संयोग कहिए या KGF के निर्माताओं की सोची समझी नीति परंतु KGF का दूसरा संस्करण भी एक महत्वपूर्ण फिल्म के साथ क्लैश कर रहा है, जो आमिर खान की बहुप्रतीक्षित ‘लाल सिंह चड्ढा’ है। यह फिल्म प्रसिद्ध ‘Forrest Gump’ का भारतीय संस्करण है।
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बॉलीवुड को बदलना होगा अपना पैमाना
लेकिन सबसे अधिक प्रतीक्षा यदि किसी फिल्म की है, तो वह है एस एस राजामौली द्वारा निर्देशित ‘रौद्रम रणम रुधिरम’ यानि RRR की। अल्लूरी सीताराम राजू और कोमारम भीम के शौर्य गाथा पर आधारित इस काल्पनिक चित्रण पर कोविड का ग्रहण अवश्य लगा था, परंतु अब यह फिल्म 7 जनवरी को प्रदर्शित होने को तैयार होने को तैयार है और तेलुगु आधारित होने के बावजूद इसकी प्रतीक्षा भारत के हर व्यक्ति को है, चाहे वो किसी भी क्षेत्र का हो। स्वयं राजामौली ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि फिल्म बनाते समय उनके लिए ये महत्वपूर्ण नहीं कि अभिनेता किस क्षेत्र से है, महत्वपूर्ण यह है कि वह उसके कथा के लिए कितना महत्वपूर्ण है।
ऐसे में, ‘Pushpa’ की अप्रत्याशित सफलता ने जिस प्रकार से ‘Spiderman’ को चुनौती दी है, उसने स्पष्ट कर दिया है कि अखिल भारतीय फिल्में ही भारतीय सिनेमा का नया पर्याय होंगी और बॉलीवुड को अब अपने पैमाने बदलने होंगे, अन्यथा उनका अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।