दिन प्रतिदिन विश्व तकनीकी रूप से प्रगति कर रहा है। संचार क्षेत्र से लेकर परिवहन तक में नित नए आयाम स्थापित किए जा रहे हैं। मोबाइल में 5G के आगमन के बाद से अब ऑटोमोबाइल में भी 5G के समावेशन पर कार्य आरंभ हो चुका है। अमेरिका, यूरोप और चीन में बिकने वाली लगभग सभी कारें, अब 5G कनेक्टिविटी से लैस होती हैं। भारत में भी इसकी कवायद आरंभ हो चुकी है, पर सवाल यह है कि भारत में यह कितना सक्षम रहेगा?
भारत में ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में कुछ वर्षों पहले ही Connected Car Technology का आरंभ हुआ था। कनेक्टेड कारें ऑटोमोबाइल उद्योग में नया मानदंड बन गई हैं और हम केवल इसके बेहतर और बेहतर होने की उम्मीद कर सकते हैं। वर्तमान में, भारत में कनेक्टेड कारें 4G (चौथी-पीढ़ी) LTE कनेक्टिविटी का उपयोग करती हैं, जो तेज इंटरनेट गति प्रदान करती है और सहज उपयोगकर्ता अनुभव प्रदान करती है। IoT (Internet of things) का भविष्य 5G है, जो LTE का 5वां जेनरेशन है। भले ही 5G नेटवर्क अभी भी विकास के चरण में हैं, लेकिन ऑटोमोटिव उद्योग पर उसका बहुत बड़ा प्रभाव पड़ेगा।
5G कनेक्टेड कारों का है नया दौर
आने वाले वर्षों में 5G कनेक्टेड कारें नया मानदंड होंगी। अधिक से अधिक कनेक्टेड वाहन के सड़क पर उतरने के साथ डेटा की मात्रा में भी वृद्धि होगी। तभी तेज इंटरनेट स्पीड और बेहतर कवरेज के साथ 5G कनेक्टिविटी और भी मेनस्ट्रीम होगी। 5G कनेक्टिविटी कार-टू-कार संचार में सुधार करेगी और यह यातायात/सड़क की स्थिति, सड़क पर किसी भी दुर्घटना, गति सीमा जैसी सूचनाओं के बेहतर रिले में मदद करेगी। आने वाले इलेक्ट्रिक वाहन भी 5G के लाभों का उपयोग करेंगे और यदि सेल्फ-ड्राइविंग कार नहीं हैं, तो आप भविष्य में 5G कनेक्टेड वाहन चला रहे होंगे।
एक कनेक्टेड वाहन विभिन्न प्रकार की संचार तकनीकों का उपयोग करता है और यहीं पर ऑटोमोटिव और सूचना प्रौद्योगिकी हाथ से काम करती है। आज लाखों वाहन रीयल-टाइम नेविगेशन, कनेक्टेड इंफोटेनमेंट और आपातकालीन सेवाओं के लिए सेलुलर नेटवर्क से जुड़े हुए हैं। विप्रो की एक रिपोर्ट के अनुसार वाहनों में 5G कनेक्टिविटी के साथ निम्नलिखित तकनीक लैस किए जाएंगे।
- Vehicle to Infrastructure (V2I): इस प्रकार की कनेक्टिविटी का उपयोग मुख्य रूप से वाहन की सुरक्षा के लिए किया जाता है। वाहन सड़क के बुनियादी ढांचे के साथ संचार करता है और यातायात/सड़क/मौसम की स्थिति, गति सीमा, दुर्घटना आदि जैसी जानकारी साझा/प्राप्त करता है।
- Vehicle to Vehicle (V2V): वाहन से वाहन संचार प्रणाली वाहनों के बीच सूचनाओं के वास्तविक समय के आदान-प्रदान की अनुमति देती है। V2V का उपयोग वाहनों की सुरक्षा के लिए भी किया जाता है।
- Vehicle to Cloud (V2C): V2C कनेक्शन वायरलेस LTE नेटवर्क के माध्यम से स्थापित किया जाता है और यह क्लाउड के साथ डेटा रिले करता है। व्हीकल टू क्लाउड कनेक्टिविटी का उपयोग मुख्य रूप से ओवर-द-एयर (OTA) व्हीकल अपडेट, रिमोट व्हीकल डायग्नोस्टिक्स को डाउनलोड करने या किसी IoT डिवाइस से कनेक्ट करने के लिए किया जाता है।
- Vehicle to Pedestrian (V2P): कनेक्टेड वाहनों में उपयोग की जाने वाली नवीनतम प्रणालियों में से एक V2P प्रणाली है और यह सुरक्षा उद्देश्यों के लिए भी है। पैदल चलने वालों का पता लगाने के लिए वाहन सेंसर का उपयोग करते हैं, जो टक्कर की चेतावनी देता है।
- Vehicle to Everything (V2X): उपरोक्त सभी प्रकार की कनेक्टिविटी के संयोजन को V2X कनेक्टिविटी के रूप में जाना जाता है।
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वर्ष 2028 तक 94% पहुंच जाएगी 5G सक्षम कारों की हिस्सेदारी
गार्टनर की रिपोर्ट के अनुसार, 5G सेवा से सक्रिय रूप से जुड़ी 5G सक्षम कारों की हिस्सेदारी 2020 में 15% से बढ़कर वर्ष 2023 में 74% और वर्ष 2028 में 94% तक पहुंच जाएगी। वर्ष 2023 तक ऑटोमोटिव उद्योग 5G IoT समाधानों के लिए सबसे बड़ा बाजार अवसर बन जाएगा। यह उस वर्ष में कुल 5G IoT का 53% प्रतिनिधित्व करेगा। स्ट्रैटेजी एनालिटिक्स का दावा है कि एक बार जब सभी कारें 5G तकनीक से लैस हो जाएंगी, तो वाहन निर्माता कंपनियां सालाना वारंटी लागत से बचेंगी और इस माध्यम से करीब $40 बिलियन का राजस्व प्राप्त करने में सक्षम होंगी।
साथ ही, वाहन उपभोक्ताओं को वार्षिक लीज या ऋण में $32 बिलियन की बचत होगी। इतना ही नहीं, 5G कनेक्टेड कारें ऑटोमोबाइल डीलरों के लिए भी एक बड़ा व्यावसायिक अवसर लेकर आएंगी। ऐसे में ऑटोमोबाइल डीलर वाहनों की बिक्री के दौरान राजस्व में $24 बिलियन की वार्षिक वृद्धि देख सकते हैं। जब 3G और 4G नेटवर्क विकसित किए गए थे, तब उपभोक्ताओं के लिए हाई-स्पीड डेटा प्रमुख विचार था। आज मशीन-टू-मशीन संचार प्राथमिकता बन चुका है। इसके लिए भारी मात्रा में बैंडविड्थ की आवश्यकता होती है, जो 5G सपोर्ट करता है। 5G कम विलंबता के साथ अति-विश्वसनीय कनेक्शन प्रदान करता है।
क्या भारत में सफल होगी यह तकनीक?
हालांकि, भारत में अभी 5G वाहनों के बारे में कुछ भी कहना जल्दबाज़ी होगा। आज भी 4G से जुड़ी हुई वाहनों की संख्या बेहद सीमित है। MG Hector, Kia Seltos, Nissan Kicks, Hyundai Venue ही कुछ ऐसी गाडियां हैं, जिनमें 4G कनेक्टिविटी है और वह भी उतना सक्षम नहीं। देश में 4G कनेक्टिविटी के सीमित होने के कारण आज भी लोगों को फोन के लिए उस स्पीड से इंटरनेट सेवा नहीं मिल पाता, जिसकी उम्मीद की जाती है। ऐसे में वाहनों का 5G से जुड़ने में वर्षों लग सकते हैं। अगर वाहन पूरी तरह 5G से जुड़ भी जाता हैं, तो आदतानुसार हम भारतीय मशीन पर पूरी तरह से निर्भर होने में हिचकिचा भी सकते हैं।
गौरतलब है कि अगर इसे सफलतापूर्वक प्रोग्राम किया गया हो, फिर भी अप्रत्याशित गड़बड़ी हो सकती है। लगभग सभी उपकरणों में कभी भी गड़बड़ी आ सकती है। ऐसे में विश्वसनीयता आ पाना कठिन है। यही नहीं, इस तकनीक के आने से हैकर्स के लिए गाडियां ही प्रमुख लक्ष्य होंगी, क्योंकि इससे वाहन लगातार मालिक के विवरण को ट्रैक और मॉनिटर करता है। इससे व्यक्तिगत डेटा का संभावित संग्रह हो सकता है, जिससे व्यक्ति का जीवन भी असुरक्षित रहेगा।
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अगर गाड़ियों में 5G तकनीक मेनस्ट्रीम हुई तो टैक्सी, ट्रक या यहां तक कि सह-पायलटों की नौकरी भी खतरे में पड़ा जाएगी, जबकि भारत में यह क्षेत्र बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करता है और ऐसी स्थिति में यह नकारात्मक असर डालेगा। इसके साथ ही कठोर मौसम की स्थिति के दौरान अक्सर ही गाड़ियों के सेंसर फेल होते रहेंगे, जिससे दुर्घटना की आशंका भी बढ़ जाएगी। 5G तकनीक से जुड़ी कारें जितनी सुविधा प्रदान करेंगी, उसके फायदे के साथ-साथ काफी नुकसान भी है। हो सकता है कि आने वाले समय में बड़े शहरों में 5G तकनीक की अधिकता देखने को मिले, लेकिन छोटे शहरों और गांव तक इसे पहुंचने में एक दशक लगना तय है।